Ace Tractor Price starts from Rs.5.00 lakh. The most expensive Ace Tractor is ACE DI 9000 4WD price at Rs.15.60 Lakh. Ace offers a wide range of 16+ tractor models in India, and the HP range starts from 35 hp to 88 hp. The most popular Ace Tractor models are ACE DI-450+, ACE DI-550 NG, and ACE DI-350NG, etc.
ACE Tractors in India | Tractor HP | Tractor Price |
ACE DI-450+ | 45 HP | Rs. 5.85 Lakh |
ACE DI-6565 | 60 HP | Rs. 7.80 Lakh - 8.20 Lakh |
ACE DI-550 NG | 50 HP | Rs. 6.20 Lakh |
ACE DI 9000 4WD | 88 HP | Rs. 15.60 Lakh |
ACE DI-350NG | 40 HP | Rs. 5.55 Lakh |
ACE DI 6500 | 61 HP | Rs. 8.5 Lakh |
ACE DI 450 NG 4WD | 45 HP | Rs. 7.50 Lakh - 8.00 Lakh |
ACE DI-854 NG | 35 HP | Rs. 5.10 Lakh |
ACE DI-350+ | 35 HP | Rs. 5.00 Lakh - 5.30 Lakh |
ACE DI-550 STAR | 50 HP | Rs. 6.50 Lakh |
ACE DI 7500 4WD | 75 HP | Rs. 11.90 Lakh |
ACE DI 6500 4WD | 61 HP | Rs. 9.80 Lakh |
ACE DI-550+ | 50 HP | Rs. 6.35 Lakh |
ACE DI-450 NG | 45 HP | Rs. 6.50 Lakh - 7.00 Lakh |
ACE DI 7500 | 75 HP | Rs. 12.35 Lakh |
Data Last Updated On : Feb 24, 2021 |
ACE Tractor is a brand that speaks for millions of Indian farmers. Vijay Agarwal was the founder of Action Construction Tools Limited in 1995. ACE Tractor started manufacturing tractors in 2008.
ACE currently produces tractors ranging from 35 to 60 hp, making it one of the finest machines available for agriculture in India. Not only India but also the ACE is responsible for exporting tractors to the entire Southeast Asian subcontinent. These tractors are supported at all costs to the buyer in class tractor specifications and high economic configuration. What adds to these tractors is that the tractor price is very affordable and easily funded.
Ace is a new company in the tractor industry, but still, it has established itself and is now a popular company among all tractor companies.
Why is ACE the best tractor company? | USP
ACE offers the world's best farmer-centric farm implements and tractors at an affordable price range. Farmers blindly believe in ACE tractors because they offer strong and high quality.
Ace tractors have all the smart features that provide comfort while driving a tractor. Ace tractors can help you save a lot of money. They have always cared about Indian farmers, which is why they always produce tractors tailored to the Indian sector.
Ace tractor price in india
Ace tractors are fast gaining popularity in the Indian market due to its affordable ace tractor price. They offer all their advanced tractors at reasonable tractor ace prices. Ace DI-550NG is the most popular Ace tractor in India. It is a 50 hp tractor with 3 cylinders and 3065 cc powerful engine capacity, which is equivalent to the 2100 engine rated RPM. This tractor is priced at the best Ace tractor 50 hp in India. All the farmers in India want to buy Ace DI-550NG suitable Ace 50 HP tractor price. At Tractor Junction, you can easily find Ace Tractor Price List, Ace Tractor 50 HP Price and Updated Ace Tractor Price List 2021.
ACE tractor last year sales report
ACE tractor sales increase 1.31%. In February 2020, ACE sales were 194 units and in February 2019, ACE tractor sales were 84 units.
ACE Tractor Dealership
ACE has a wide distribution network of 60-plus products, 100-plus location, 3300-plus employees and 15000-plus happy customers.
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ACE Tractor Service Center
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सिंचाई के साधन : बिना किसी सरकारी मदद के किसानों ने सिंचाई के लिए बना डाली डेढ़ किलोमीटर लंबी नहर
कम खर्च पर किया नहर का निर्माण, अब खेतों में लहलहा रही है फसलें आदिवासी समाज आज भी समाज की मुख्य धारा से कटे हुए है और अलग-थलग रह रहे हैं। यही कारण है कि यह समाज आज भी गरीब, अशिक्षित है। यही नहीं इन्हें सरकारी मदद भी बहुत ही कम मिल पाती है। हालांकि सरकार इसको समाज की मुख्य धारा में लाने हेतु योजनाएं संचालित कर रही है पर ये नकाफी साबित हो रहा है। इसके बावजूद इन आदिवासियों में मेहनत और लगन से काम करने का जो जज्बा है वे तारीफे काबिल है। बिना किसी सरकारी मदद और संसाधनों के ये अपने परंपरागत तरीकों को अपनाकर आज भी खेतीबाड़ी का काम कर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। इनके परंपरागत जुगाड़ के तरीके काफी रोचक और इंजीनियरों को आश्चर्य में डाल देने वाले है। इसका एक उदाहरण दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कोटड़ा के किसानों ने पेश किया है। सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1 मूलभूत सुविधाओं का अभाव, कोई सरकारी मदद नहीं, फिर भी बना डाली नहर मीडिया में प्रकाशित खबरों के आधार पर यहां के किसानों के पास न मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। इनके पास न तो बिजली है, न मोटर और न ही कोई सरकारी सहायता मुहैया हो पा रही है। इसके बावजूद इन किसानों का जज्बा काफी प्रेरणा देने वाला है। इन किसानों ने अपने खेतों में सिंचाई के लिए पानी की कमी के चलते देशी जुगाड़ अपनाकर करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी नहर बनाई है जिसका पानी उनके खेतों में जाता है। इस काम के लिए न तो उन्होंने सरकार से मदद ली और न ही ज्यादा खर्चा किया। बस अपने देशी जुगाड़ से इस नहर का निर्माण कर लिया। इसकी बदौलत आज भी ये आदिवासी किसान बंजर भूमि पर खेती कर रहे हैं। कैसे किया नहर का निर्माण मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार उदयपुर से 120 किमी दूर कोटडा अंचल के वीर गांव में 20 किसानों के पास करीब 40 बीघा जमीन है। कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते ये लोग ना तो ट्यूबवेल लगवा पा रहे थे और ना बारिश के बाद दूसरी फसल उगा पा रहे थे। ऐसे में इन्होंने खेतों से डेढ़ किलोमीटर दूर बहने वाली नदी का पानी खेतों तक लाने का विचार किया। दरअसल इस गांव में नदी ऊंचाई पर है और उसके आसपास की जमीन कहीं ऊंची तो कहीं नीची है। आदिवासियों ने नदी का पानी खेतों तक पहुंचाने के लिये दो जगह ब्रिज बनाए तो दो जगह जमीन को गैंती-फावड़े से नीचे किया। उसके बाद उस नहर में प्लास्टिक बिछाया। नहर में जब तक पानी बहता है तब तक न तो प्लास्टिक खराब होता और न ही फटता है। इस तरह इन आदिवासी किसानों ने देशी जुगाड़ से डेढ़ किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण बिना किसी सरकारी मदद के कर लिया। अब केवल हर साल प्लास्टिक बदलने का होता है खर्चा किसानों ने मीडिया को बताया कि कई बार तेज बारिश में छोटे पत्थर बह जाते हैं और प्लास्टिक फट जाती है। अब वे हर साल बारिश के बाद नहर का मुआयना कर इसमें जरूरी सुधार करते हैं और प्लास्टिक बदलते हैं। अब हर साल प्लास्टिक पर ही खर्च होता है। लेकिन इससे खेतों तक पानी आसानी से पहुंच जाता है। नहर बन जाने से उनकी समस्या का समाधान हो गया। अब ये नदी के पानी से गेहूं और सौंफ की फसल भी उगा रहे हैं। अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।
धान की खेती : कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की तीन नई किस्में, मिलेगा ज्यादा उत्पादन
जानें, इन नई बासमती किस्मों की विशेषताएं और लाभ? कृषि वैज्ञानिकों ने बासमति चावल की तीन नई किस्में विकसित की है। इन किस्मों को लेकर कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि ये कम समय में तैयार होगी और उत्पादन भी अधिक देगी। बहरहाल ये किस्म विशेष कर जम्मू के किसानों के लिए विकसित की गई हैं। बताया जा रहा है कि ये किस्म देश के अन्य क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। दरअसल जम्मू और सांबा जिलों में किसान पिछले कई सालों से बासमती 370 किस्म की खेती करते आ रहे हैं, लेकिन उन्हें बेहतर उत्पादन नहीं मिल पा रहा है। इसे देखते हुए शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने बासमती की तीन किस्में विकसित की है। बताया जा रहा है कि इसकी गुणवत्ता बासमति 370 की तरह है लेकिन उत्पादन उससे काफी ज्यादा है। बता दें कि जम्मू के कठुआ, जम्मू और सांबा में बासमती की खेती होती है। सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1 वैज्ञानिकों ने विकसित की ये नई तीन किस्में शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय, जम्मू के शोध विभाग के निदेशक डॉ. जगपाल द्वारा मीडिया को बताए अनुसार कई साल के रिसर्च के बाद बासमती की तीन नई किस्में, जम्मू बासमती 143, जम्मू बासमती 118 और जम्मू बासमती 123 विकसित की गई हैं। जिनकी गुणवत्ता तो 370 की तरह ही लेकिन उत्पादन बहुत ज्यादा मिलता है। यहां पर हर एक किसान धान का बीज अपने घर पर रखता है, जो सदियों से चला आ रहा है, इसलिए हमने उन्हीं किसानों से 143 अलग-अलग तरह के धान के बीज इकट्ठा किए, जिनसे हम ये तीन नई किस्में विकसित कर पाएं हैं। बासमती 370 बहुत अच्छी किस्म है, लेकिन कुछ कमियां थीं, जिसकी वजह से हमें नई किस्में विकसित करनी पड़ी। बासमती की नई किस्म जम्मू बासमती 118 की विशेषता व लाभ अभी जम्मू में प्रचलित बासमती 370 से प्रति हेक्टेयर 20 से 22 क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। जबकि नई किस्मों में सबसे अधिक उत्पादन देने वाली किस्म जम्मू बासमती 118 है, इसमें इसमें 45-47 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान का उत्पादन होता है। ये दूसरी किस्मों से जल्दी तैयार भी हो जाती है। बासमती 370 में उत्पादन भी कम मिलता था और इसकी ऊंचाई 150 से 160 सेमी थी, ज्यादा हवा चलने पर गिर जाती थी, जबकि जम्मू बासमती 118 बौनी किस्म है, जो गिरती नहीं है। यह भी पढ़ें : यूपी व बिहार बजट 2021-22 : किसानों को सिंचाई के लिए मिलेगा मुफ्त पानी, पशुपालन पर खर्च होंगे 500 करोड़ रुपए जम्मू बासमती 123 की विशेषता व लाभ नई विकसित किस्मों में दूसरी जम्मू बासमती 123 है जो 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है, इसमें सभी क्वालिटी 370 की तरह ही है, इसके दाने भी बड़े होते हैं। बता दें कि जम्मू में उत्पादित बासमती चावल विश्वप्रसिद्ध है। जम्मू बासमती 143 की विशेषता व लाभ तीसरी किस्म जम्मू बासमती 143 है जिससे 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है, ये दूसरी किस्मों से थोड़ी अलग होती है, इसके पौधो काफी लंबे होते हैं। इसके पुआल काफी ज्यादा मिलते हैं। बता दें कि जम्मू डिवीजन के आरएस पुरा, बिशनाह, अखनूर, संबा, हीरानगर और कठुआ तहसील में बासमती की खेती होती है। इनमें से आरएस पुरा क्षेत्र में बहुत सालों से बासमती की खेती हो रही है और यहां की बासमती काफी मशहूर भी है। 400 किसानों को ट्रायल के तौर दिए गए नई किस्मों के बीज विश्वविद्यालय ने जम्मू खरीफ सत्र 2020-21 में 400 किसानों को नई किस्मों के बीज ट्रायल के तौर पर दिए थे, जिनका अच्छा परिणाम भी मिला। भारत के सात राज्यों में हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू कश्मीर के बासमती को जीआई टैग भी मिला हुआ है। जम्मू के साथ ही दूसरे राज्यों में नई किस्मों की खेती के बारे में डॉ. शर्मा बताते हैं, जिन राज्यों में बासमती के लिए जीआई टैग मिला हुआ है, वहां के किसान भी इन नई किस्मों की खेती कर सकते हैं। कृषि मेले में किसानों को उपलब्ध हो सकेंगे इन नई किस्मों के बीज डॉ. शर्मा के अनुसार शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, जम्मू कैंपस में हर वर्ष कृषि मेला का आयोजन हो रहा है, इस साल 16 मार्च से 20 मार्च तक किसान मेला लग रहा है, जहां से किसान बीज ले सकते हैं। अभी हमारे पास 600 कुंतल के करीब बीज उपलब्ध है, हमने दो किलो की पैकिंग बना कर रखी है, हर किसान को दो किलो बीज दिया जाएगा। आने वाले साल में बीज की मात्रा बढ़ाई जाएगी, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसानों को बीज मिल सके। यह भी पढ़ें : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : असमय बारिश व ओलावृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा देगी सरकार एक अन्य नई किस्म पूसा बासमती 1692 के लिए प्रस्ताव आमंत्रित आईएआरआई द्वारा विकसित पूसा बासमती 1692 के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं। यह किस्म 110-115 दिन की अवधि में पक जाती है। इसका औसत उत्पादन- 24.0 से 28.0 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह कम समय अवधि की, सेमी ड्वार्फ, कम पानी वाली और न बिखरने वाली किस्म है। संस्थान द्वारा दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बासमती जीआई क्षेत्र के लिए इसकी अनुशंसा की गई है । आईएआरआई से प्राप्त जानकारी अनुसार इच्छुक बीज कंपनियां इस पते पर संपर्क कर सकते हैं- जेडटीएम और बीपीडी यूनिट, आईसीएआर- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली -110012, फोन- 011- 25843553, 011- 25843542 पर संपर्क किया जा सकता है। अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।
यूपी व बिहार बजट 2021-22 : किसानों को सिंचाई के लिए मिलेगा मुफ्त पानी, पशुपालन पर खर्च होंगे 500 करोड़ रुपए
जानें, नए घोषित बजट में दोनों प्रदेश के किसानों और क्या-क्या मिला? यूपी सरकार ने राज्य बजट 2021-22 की घोषणा कर दी है। इसमें यूपी सरकार ने किसानों को कई तोहफे दिए हैं। इस बार यूपी सरकार ने किसानों के लिए अपने खजाने खोल दिए है और कई सौगातें दी है। यूपी की योगी सरकार ने इस कार्यकाल का अपना आखिरी बजट सोमवार को पेश किया जिसमें किसानों का विशेष ध्यान रखते हुए उनके लाभार्थ कई घोषणाएं की गई हैं। हालांकि इस बार बजट में सभी वर्गों के लोगों को खुश करने का प्रयास किया गया है। यह बजट इस लिए भी खास माना जा रहा है कि इस बार के बजट का आकार यूपी में अभी तक के इतिहास में सबसे बड़ा 5,50,270 करोड़ रुपए का है। इस बजट को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने राज्य विधानसभा में बजट पेश किया। इसमें वित्त वर्ष 2021-22 में आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना शुरू करने की घोषणा की गई है। इधर बिहार में घोषित किए गए बजट में भी किसानों के लिए कई लाभकारी घोषणाएं की गईं हैं। जिनमें मछली पालन व पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का प्रावधान किया गया है। वहीं सिंचाई सुविधाओं के लिए 550 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1 यूपी में किसानों के लिए बजट में मिली ये 10 सौगातें 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखते हुए कहा कि इसके लिए नए वित्तीय वर्ष में आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना शुरू की जाएगी। इस योजना के लिए बजट में सौ करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के तहत छह सौ करोड़ रुपए की व्यवस्था बजट की गई है। किसानों को मुफ्त पानी की सुविधा के लिए बजट में सात सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। सरकार ने प्रदेश में किसानों के लिए सस्ते लोन की व्यवस्था भी की है। इसके लिए चार सौ करोड़ रुपए रखे गए हैं। प्रधानमंत्री किसान उर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान के तहत अगले वित्तीय वर्ष में 15 हजार सोलर पंपों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। वित्त मंत्री ने बताया कि किसानों के लिए बीमा योजना में बंटाई किसान भी शामिल हैं। वित्त मंत्री ने घोषणा की कि सभी न्याय पंचायतों में गौ-आश्रय स्थलों के विकास के लिए स्थानीय सहभागिता और स्वैच्छिक संगठनों की सहभागिता की सहभागिता कराई जाएगी। ब्रीड इम्प्रूवमेंट कार्यक्रम को भी तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। नए बजट में आठ सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 2021-22 में किसानों को 62 लाख 50 हजार क्विंटल बीज वितरण का लक्ष्य प्रस्तावित है। गन्ना किसानों को 1.23 लाख रुपए का रिकार्ड भुगतान कराया किसानों के लिए किए गए प्रयासों का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि पिछले चार वर्षों में सरकार ने गन्ना किसानों के 1.23 लाख रुपए का रिकार्ड भुगतान कराया गया है। उन्होंने कहा कि दूसरी सरकारों से 27,785 करोड़ रुपए ज्यादा गन्ना मूल्य का भुगतान इस सरकार ने किया। इन सिंचाई नहर परियोजनाओं को किया जाएगा पूरा नए प्रस्तावित बजट में मध्य गंगा नहर परियोजना के लिए 1137 करोड़ रुपए, राजघाट नहर परियोजना के लिए 976 करोड़, सरयू नहर परियोजना के लिए 610 करोड़, पूर्वी गंगा नहर परियोजना के लिए 271 करोड़ तथा केन-बेतवा लिंक नहर परियोजना के लिए 104 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है। बिहार बजट 2021-22: इस बार 2 लाख 18 हजार 303 करोड़ का बजट, सिंचाई सुविधाओं पर खर्च होंगे 550 करोड़ रुपए बिहार विधानसभा में सोमवार को राज्य के उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश किया। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा कि बिहार में इस बार का बजट 2 लाख 18 हजार 303 करोड़ रुपए का है, जिसमें विकास योजना मद में 1, 00518.86 करोड़ रुपए एवं स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय मद में 1,17,783.84 करोड़ रुपए है। बजट में किसानों का विशेष ध्यान रखा गया है। इसके तहत बजट में हर खेत में पानी पहुंचाने की योजना के लिए 550 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है। वहीं मछली व पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। बिहार बजट किसानों के लिए 10 खास बातें वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि मछली पालन और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपए राशि व्यय का प्रावधान किया गया है। बिहार में मछली उत्पादन को बढ़ाया जाएगा, ताकि यहां की मछली दूसरे राज्यों में जाए। बिहार सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था की है। हर खेत में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। हर खेत में पानी पहुंचाने की योजना के लिए 550 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है। राज्य के सभी गांवों में सोलर स्ट्रीट लाइट के लिए 150 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है। बिहार में सोलर लाइट लगाने के लिए पंचायती राज विभाग को 150 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया है। राज्य में गोवंश विकास की स्थापना की जाएगी। पशुओं के इलाज के लिए कॉल सेंटर के जरिए डोर स्टेप इलाज की व्यवस्था की जाएगी और यह सुविधा मोबाइल एप के माध्यम से मिलेगी। लोहिया स्वक्षता योजना 2 के लिए 50 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद के अनुसार गांवों में संपर्क सडक़ बनाने की योजना है। इस योजना पर 250 करोड़ का प्रावधान है। राज्य सरकार ने बजट में ऐलान किया है कि अब अगर अविवाहित महिला इंटर पास करती है तो उसे 25 हजार रुपए दिए जाएंगे। साथ ही स्नातक उतीर्ण होने पर उसे 50 हजार रुपए दिए जाएंगे। सरकार द्वारा महिलाओं को सरकारी नौकरी में 35 फीसदी आरक्षण, सरकारी ऑफिस में आरक्षण के अनुरूप संख्या बढ़ाई जाएगी। महिलाओं को उद्योग के लिए 5 लाख तक ब्याज मुक्त ऋण दिया जाएगा। वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि सात निश्चय पार्ट 2 के लिए 4671 करोड़ रुपए राशि का प्रावधान किया गया है। युवाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी जिससे रोजगार सृजित हो। बिहार के युवा उद्यमी बने इसके लिए व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि आईटीआई और पॉलिटेक्निक में गुणवत्ता बढ़ाए जा रहे हैं। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की योजना है। चिकित्सा और अभियंत्रण के महाविद्यालय स्पेशल स्किल के साथ खोले जाएंगे। इसके साथ खेल विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है। बजट में की गई अन्य घोषणाएं राज्य सरकार ने बजट में बाल हृदय योजना के लिए भी राशि का प्रावधान किया है। तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि छोटे बच्चे के हृदय में छेद को लेकर बनाया गया है और इसे लागू कर दी गई है। इसके लिए 300 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। टेलीमेडिशन की योजना को हॉस्पिटल से जोड़ा जाएगा। गंभीर बीमारी के साथ पैथोलॉजी जांच की व्यवस्था की जा रही है। वित्त मंत्री ने सदन को बताया कि जनसंख्या वृद्धि को लेकर जाम की समस्या है। शहरों में जाम से स्थिति गंभीर है, इसे दूर करने के लिए बाईपास का निर्माण किया जाएगा। 200 करोड़ रुपए की राशि का इसके लिए प्रावधान किय गया है। शहर में रह रहे भूमिहीन को घर बनाने के लिए सुविधा के साथ घाट पर अंतिम संस्कार के लिए मोक्षधाम का निर्माण इसके लिए 450 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। बिहार के सभी शहरों में जलजमाव की समस्या को दूर करने के लिए 450 करोड़ राशि का प्रावधान बजट में किया गया है। बुजुर्गों के लिए आश्रय स्थल बनाए जाएंगे, बजट में इसके लिए 90 करोड़ की व्यवस्था की गई। अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : असमय बारिश व ओलावृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा देगी सरकार
सरकार ने दिए जल्द सर्वे कराने के निर्देश, किसान इस नंबर पर दे सकते हैं नुकसान की सूचना पश्चिमी विक्षोभ के कारण इस बार कई राज्यों में असमय बारिश व ओलावृष्टि से फसल को काफी नुकसान हुआ है। कई इलाकों के किसानों के खेतों में खड़ी रबी की फसल खराब हुई है। इसे देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने अपने यहां के किसानों को नुकसान की भरपाई करने का फैसला किया है। इसके लिए सरकार की ओर से शीघ्र फसल नुकसान का सर्वे कराया जाएगा। इसको लेकर हाल ही में मध्यप्रदेश के किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने राज्य में हो रही ओला-वृष्टि की सूचना मिलने पर संबंधित जिलों के कलेक्टर और कृषि उप संचालकों को मुआयना कर सर्वे कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया है कि ओला-वृष्टि से रबी फसलों को हुई क्षति की भरपाई सरकार करेगी। सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1 सर्वे के साथ होगी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी सरकार की ओर से दिए गए निर्देशानुसार बारिश एवं ओलावृष्टि से हो रही फसल क्षति का विस्तृत सर्वे का कार्य किया जाएगा। ओला-वृष्टि से प्रभावित फसलों के सर्वे के साथ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई जाएगी। गांवों में क्षतिग्रस्त फसलों का आंकलन पंचायत प्रतिनिधियों की उपस्थिति में कराया जाएगा। कृषि मंत्री पटेल ने मीडिया को बताया है कि प्रभावित किसानों को आरबीसी-6 (4) के अंतर्गत राहत प्रदान की जाएगी। हर प्रभावित किसान को नियमानुसार नुकसान का मुआवजा दिलाया जाएगा। किसान यहां दे सकते हैं फसल नुकसान की सूचना प्रदेश के जिन किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदा जैसे बारिश एवं ओलावृष्टि जलभराव आदि कारणों से नुकसान हुआ है वे इसकी सूचना फसल बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर दे सकते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधानों के अनुसार घटना की सूचना 72 घंटे के अंदर ही बीमा कंपनी को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। जो किसान टोल फ्री नंबर पर फोन नहीं कर सकते हैं वे अपने संबंधित बैंक से फार्म लेकर भरें तथा बैंक में ही जमा कर दें या अपने यहां के कृषि अधिकारियों को सूचित करें। मध्यप्रदेश में भारतीय कृषि बीमा कंपनी का टोल फ्री नम्बर 18002337115, 1800116515 है। इस पर भी किसान अपने फसल नुकसान की सूचना दे सकते हैं। इसके अलावा तहसील स्तर पर भी नंबर जारी किए जाते हैं उन पर भी किसान फसल नुकसान की सूचना दे सके हैं। किसानों को किन दशाओं मिलता है पीएम फसल बीमा का लाभ फसल बीमा का उन किसानों को मिलता है जिन्होंने खेत की बुआई के 10 दिन के अंदर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए आवेदन किया हो। इस योजना के तहत बीमा की रकम का लाभ किसान को तभी मिलेगा जब उसकी फसल किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से ही खराब हुई हो। इस योजना के तहत बुवाई से कटाई के बीच खड़ी फसलों को प्राकृतिक आपदाओं, रोगों व कीटों से हुए नुकसान की भरपाई की जाती है। वहीं खड़ी फसलों को स्थानीय आपदाओं, ओलावृष्टि, भू-स्खलन, बादल फटने, आकाशीय बिजली से हुए नुकसान की भरपाई इस योजना के तहत की जाती है। फसल कटाई के बाद अगले 14 दिन तक खेत में सुखाने के लिए रखी गई फसलों को बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि और आंधी से हुई क्षति की स्थिति में व्यक्तिगत आधार पर क्षति का आकलन कर बीमा कंपनी भरपाई करेगी। इसके अलावा प्रतिकूल मौसम के कारण फसल की बुवाई न कर पाने पर भी लाभ मिलेगा। कितने प्रतिशत फसल खराबे पर मिलता है फसल बीमा का लाभ? पहले इस योजना के तहत ज्यादा खराबे पर फसल बीमा योजना का क्लेम दिया जाता था। अधिकारियों के अनुसार पहले 50 प्रतिशत फसल खराब होने पर किसान को बीमा का लाभ दिया जाता था लेकिन अब इसका प्रतिशत घटा दिया गया है। अब किसानों को 30 प्रतिशत से ज्यादा खराबा होने पर भी फसल बीमा का लाभ प्रदान किया जाता है। अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।
सरसों में दाना झडऩे की संभावना, गेहूं में अभी नहीं करें सिंचाई, दलहनी फसलों की देखभाल भी जरूरी
जानें, इस मौसम में रबी फसल में किन-किन बातों रखना है ध्यान? इस समय पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम में परिवर्तन दिखाई दे रहा है। एक ओर शीतलहर का दौर कम हुआ है वहीं तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। आने वाले समय में कई जगहों पर हल्की से लेकर मध्यम बारिश की संभावना भी जताई जा रही है। वहीं पिछले दिनों महाराष्ट्र में ओलावृष्टि से फसल को नुकसान हुआ है। कर्नाटक में कोडगू में ओले गिरने से भी नुकसान की सूचना मिली है। इस समय चल रही ताजा परिस्थितियों को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए रबी फसल के संदर्भ में जरूरी सलाह दी है। सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1 सरसों की फसल के लिए सलाह सरसों की खेती कर रहे किसानों के लिए सलाह जिन किसानों की तोरिया या सरसों की फसल पूरी तरह पक गई है व अतिशीघ्र कटाई करें। 75-80 प्रतिशत फलिओं का भूरा होना ही परिपक्वता का संकेत है। अधिक पकने पर दाने झडऩे की संभावना होती है। फसल में माहू (एफिड) कीट की शिशु और वयस्क दोनों ही हानिकारक अवस्थाएं है। किसान सरसों की फसल में चेपा की निगरानी करें। इस कीट की अधिक प्रकोप होने पर नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 250 मि.ली. प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर 10-15 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार दो से तीन बार छिडक़ाव करें। सरसों फसल में निचली पत्तियों पर रोग के लक्षण दिखाई देने पर मेटालेकिसल एक ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिडक़ाव करें। रोग की तीव्रता के अनुसार 10-12 दिन बाद एक छिडक़ाव और किया जा सकता है। गेहूं की फसल के लिए सलाह अभी जिन स्थानों पर आने वाले दिनों में बारिश की संभावना है वहां के किसान अभी गेहूं की फसल में सिंचाई न करें, अभी हल्की बारिश गेहूं की फसल के लिए लाभदायक है। जिन स्थानों पर बारिश नहीं होती है वहां किसान मिट्टी में उपस्थित नमी एवं दाना भरते समय आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें। गेहूं की फसल में रोगों, विशेषकर रतुआ की निगरानी करते रहें। काला, भूरा अथवा पीला रतुआ आने पर फसल में डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम/लीटर पानी) का छिडक़ाव करें। जिन किसानों के गेहूं की फसल अभी दुधिया अवस्था वहां यदि दीमक की संभावना हे तो गेहूं की फसल को दीमक से बचाने के लिए किसान 2.5 लीटर क्लोरोपाइरीफास दवा प्रति हेक्टेयर सिंचाई जल के साथ दे सकते हैं। गेहूं में फाल आर्मी वर्म कीट की इल्लियों का प्रकोप होने पर इमामेक्टिन बेंजोएट 5 स्त्र 50 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें 7 गेहूं की इल्ली या माहू का प्रकोप होने पर इमिडाक्लोप्रीड 100 मिली/एकड़ पानी में घोलकर छिडक़ाव करें। चना की फसल के लिए सलाह रबी फसल के अंतर्गत आने वाले चना की फसल एवं अन्य दलहन फसलों में कीड़े-मकौड़े इत्यादि लगने की संभावना है। इसको देखते हुए मौसम साफ होते ही अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग करें। चने में इल्लियों के नियंत्रण हेतु प्रोफेनोफास एवं साइपरमेथ्रिन मिश्रित कीटनाशक 400 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल कर छिडक़ाव करें। फलीभेदक कीट लगने की स्थिति में इसकी रोकथाम के लिए इंडोक्साकार्बा 14.5 एससी 12-15 मिलीलीटर/पंप की दर से स्प्रे करें। दलहनी फसलों के लिए सलाह दलहनी फसलों में पीला मोजेक रोग दिखाई देने पर रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें तथा मेटासिस्टाक्स या रोगोर कीटनाशक दवा एक मि.ली. या एक लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें। दलहनी फसलों में उकठा (विल्ट) रोग दिखाई देने पर सिंचाई न करें अथवा स्प्रिंकलर द्वारा सिंचाई करें। सूरजमुखी एवं तिलहनी फसलों के लिए सलाह फसल में पहली सिंचाई फसल बोने के 35-40 दिन बाद देना चाहिए एवं पहली सिंचाई के समय नत्रजन की शेष मात्रा डालनी चाहिए। पत्तियों पर भूरा धब्बा रोग दिखने पर ताम्रयुक्त फफूंदनाशी 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिडक़ाव करें। रबी तिलहनी फसलों में कीड़े-मकौड़े की वर्तमान मौसम को देखते हुए अधिक प्रकोप होने की संभावना को देखेते हुए अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग करें। साफ मौसम में निंदाई कर भी सकते है। अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद : मध्यप्रदेश में ई-उपार्जन पर रबी फसल के रजिस्ट्रेशन की तिथि बढ़ाई
मध्यप्रदेश में ई-उपार्जन पर रबी फसल के रजिस्ट्रेशन की तिथि बढ़ाई मध्यप्रदेश में इस समय रबी की फसल खरीदने के लिए सरकार की ओर से ई-उपार्जन पर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जारी है। इसके लिए यहां के किसान ई-उपार्जन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। पहले इसमें रजिस्ट्रेशन की तिथि 20 फरवरी तक थी। लेकिन कई किसान अभी भी इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाएं हैं। इसकी सुविधा के लिए प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इस तिथि को बढ़ाकर 25 फरवरी तक कर दिया है। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के कई हजार किसानों को लाभ पहुंचेगा। अब किसान अपनी रबी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए 25 फरवरी तक रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। बता दें कि इस बार मध्यप्रदेश में 15 मार्च से फसलों की खरीदी काम शुरू कर दिया जाएगा। सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1 इस बार एक साथ खरीदी जाएगी ये चार फसलें- इस बार शिवराज सरकार ने चना, सरसों, मसूर और गेहूं की फसल की खरीदी एक साथ करने का फैसला किया है। जिसके चलते 1 फरवरी से फसलों की खरीदी के लिए पंजीयन भी शुरू हो चुके हंै, जो अब 25 फरवरी तक किए जाएंगे। सरकार अब तक गेहूं की फसल खरीदी का काम पहले करती थी। उसके बाद दूसरी फसलों की खरीदी शुरू होती थी, लेकिन इस बार सरकार ने एक साथ सभी फसलों को खरीदने का फैसला किया है। फसलों की खरीद को लेकर पिछले दिनों कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना था कि अब तक मार्च के महीने में केवल गेहूं की फसल खरीदी होती थी। जबकि चना, सरसों और मसूर की फसल मई-जून के महीने में खरीदी जाती थी। लेकिन देखने में आ रहा है कि चने की फसल भी अब गेहूं के साथ ही आ जाती र्है। इसलिए सरकार ने यह फैसला लिया है कि किसानों को फसल बेचने के लिए मई-जून तक का इंतजार न करना पड़े। मध्यप्रदेश में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय - मध्यप्रदेश में इस बार समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं खरीदी की दाम 1,975 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। सरकार का अनुमान है कि इस साल प्रदेश के करीब 20 लाख किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं विक्रय करेंगे। इसे देखते हुए सरकार ने पिछली बार की अपेक्षा इस बार गेहूं के लिए खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ा दी है। चना, सरसों, मसूर के लिए तय न्यूनतम समर्थन मूल्य 2021-22 (एमएसपी)- मध्यप्रदेश में गेहूं के साथ ही चना, सरसों व मसूर की फसल के लिए भी रजिस्ट्रेशन किए जा रहे हैं। इसकी खरीद भी गेहूं के साथ ही सरकार करेगी। इसके लिए चना- 5100 रुपए प्रति क्विंटल, मसूर- 5100 प्रति क्विंटल व सरसों के लिए 4650 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय है। फसल खरीद को लेकर राज्य सरकार की तैयारी- इस बार प्रदेश में गेहूं की बंपर पैदावार के चलते सरकार फसल की खरीद की तैयारियों को लेकर जुट गई है। सरकार का अनुमान है कि इस बार किसान बड़े पैमाने पर गेहूं की बिक्री करेंगे। इसे देखते हुए गेहूं खरीदी के लिए इस बार पूरे मध्य प्रदेश में 4,529 खरीद केंद्र बनाए जा रहे हैं ताकि किसानों को परेशान न होना पड़े। यह भी पढ़ें : कृषि यंत्रीकरण : इन 15 कृषि यंत्रों पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी, अभी करें आवेदन एमपी ई-उपार्जन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज- एमपी-ई उपार्जन पोर्टल पर किसानों को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए अपनी समग्र आईडी, निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, बैंक अकाउंट पासबुक, ऋण पुस्तिका, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो आदि दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। एमपी ई-उपार्जन पोर्टल पर कैसे करें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन? यदि आप एमपी ई उपार्जन पोर्टल पर पंजीकरण करना चाहते हैं तो आपको ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके लिए सबसे पहले आपको एमपी ई उपार्जन पोर्टल की आधिकारिक वेबसाइट mpeuparjan.nic.in/ पर जाना होगा। यहां आपके सामने होम पेज खुल कर आएगा। इस होम पेज पर आपको रबी 2021 -2022 का विकल्प दिखाई देगा। आपको इस विकल्प पर क्लिक करना होगा। विकल्प पर क्लिक करने के बाद आपके सामने अगला पेज खुल जाएगा। जिसमें एमपी-ई- उपार्जन रजिस्ट्रेशन पर आपको किसान पंजीयन /आवेदन सर्च का विकल्प दिखाई देगा। आपको किसान पंजीयन विकल्प पर क्लिक करना होगा। विकल्प पर क्लिक करने के बाद आपके सामने अगला पेज खुल जाएगा। इस पेज पर आपको एक फॉर्म दिखाई देगा आपको इस फॉर्म में पूछी गई सभी जानकारी जैसे किसान का नाम, मोबाइल नंबर, समग्र आईडी आदि सभी जानकारी भरनी होगी। इसके बाद आपको सबमिट के बटन पर क्लिक करना होगा। इस प्रकार आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।