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स्वराज इनोवेशन अवार्ड्स के तीसरे संस्करण का दिल्ली में भव्य आयोजन

Published - 28 Feb 2020

स्वराज ट्रैक्टर्स ने किया भारतीय कृषि के नायकों का सम्मान
 
20.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर वाले महिंद्रा गु्रप की एक इकाई स्वराज ट्रैक्टर्स की ओर से 24 फरवरी को नई दिल्ली में स्वराज इनोवेशन अवार्ड्स  के तीसरे संस्करण का आयोजन किया गया। इस कृषि कॉन्क्लेव में स्वराज इनोवेशन अवार्ड्स 2020 के विजेताओं को सम्मानित किया गया। कृषि के क्षेत्र में किसानों और संस्थानों द्वारा दिए गए उल्लेखनीय योगदान को ये पुरस्कार प्रदान किए गए। समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर थे। तोमर ने किसानों के कल्याण के लिए स्वराज ट्रैक्टर के योगदान की सराहना की। भारतीय कृषि अनुसुधान परिषद (आईसीएआर), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कॉन्क्लेव में “ कृषि के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में बदलाव” विषय पर व्यापक विमर्श किया गया। 

 

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कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्वराज डिवीजन के सीईओ हरीश चव्हाण ने कहा कि देश के आर्थिक विकास में कृषि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और वर्तमान दौर में हमें अपने उत्पादन में तेजी लाते हुए स्थायी कृषि पद्धतियों को अपनाने की आवश्यकता है। चव्हाण ने आगे कहा कि हम वार्षिक स्वराज इनोवेशन अवार्ड्स की मेजबानी करते हुए गर्व अनुभव करते हैं क्योंकि यह अवार्ड्स हमें कृषि क्षेत्र में लोगों और संगठनों द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों और उनके योगदान को पहचानने का अवसर प्रदान करते हैं। ये पुरस्कार प्रतिभागियों और पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को समुदाय के बड़े लाभ के लिए खेती और संबंधित क्षेत्रों में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं।
 
 

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पुरस्कार समारोह में कृषि क्षेत्र के विभिन्न गणमान्य व्यक्ति और प्रमुख सरकारी अधिकारी भी शामिल हुए, जिन्होंने इस कार्यक्रम के दौरान पैनल चर्चा और तकनीकी सत्रों में भाग लिया। वहीं प्रतिभागियों को स्थायी और प्रौद्योगिकी संचालित कृषि पद्धतियां जैसे विभिन्न विषयों पर कृषि क्षेत्र मकें प्रसिद्ध विशेषज्ञों के विचार जानने का अवसर मिला।

 

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सात कैटेगिरी में चौदह पुरस्कार

इस स्वराज अवाड्र्स 2020 में सात कैटेगिरी में चौदह पुरस्कार दिए गए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि क्षेत्र के इन दिग्गजों को पुरस्कृत किया। पुरस्कार के तहत उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, मेघालय, उत्तराखंड हरियाणा, तमिलनाडू, गुजरात, छत्तीसगढ़ के किसान, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र और कोऑपरेटिव में काम करने वाले दिग्गजों को सम्मानित किया गया।
इन्हें मिला सम्मान
 
 

श्रेष्ठ कृषि विज्ञान केंद्र (दो विजेता)

  1. रामकृष्ण मिशन केवीके रांची, झारखंड :  जैविक खेती को प्रोत्साहन के लिए
  2. केवीके मुरैना, मध्यप्रदेश : शहद के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए उत्पादकों को प्रोत्साहित किया। सरसों और अन्य फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों की सहायता की। महंगे फर्टिलाइजर की बजाए परागण से कृषि उत्पादकता बढ़ाने का अनूठा प्रयोग किया। 

 


श्रेष्ठ कृषि वैज्ञानिक (दो विजेता)

  1. डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह :  डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक हैं। उन्होंने गेहूं और जौ की 48 किस्मों के विकास के लिए अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  2. डॉ. बख्शीराम : अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ब्रीडिंग साइंटिस्ट डा. बख्शीराम कोयंबटूर स्थित आईसीएआर शुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर हैं। उनके द्वारा विकसित गन्ने की वैरायटी देश के 56 फीसदी क्षेत्र में उगाई जाती है।
 

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श्रेष्ठ प्रगतिशील किसान (महिला)

मुकेश देवी : हरियाणा के झज्जर जिले के गांव बिरहोर की मुकेश देवी अपने गांव की पहली मधुमक्खी पालक है। उन्होंने 2004 में कर्ज लेकर मधुमक्खियों के 30 बॉक्स खरीदे और कारोबार शुरू किया। आज इनके पास 7000 बॉक्स है। उनका सालाना मुनाफा 2.65 करोड़ रुपए हो चुका है।
 
 

श्रेष्ठ प्रगतिशील किसान (पुरुष)

अब्दुल हादी खान : उत्तरप्रदेश के सीतापुर में बखरिया निवासी अब्दुल हादी खानन अल्प शिक्षित हैं। उन्होंने आम, अनानास, वर्मी कंपोस्ट और नैपियर का मिश्रित खेती का नया मॉडल अपनाया। उन्होंने खेत में आड़ी-टेड़ी मेड़ बनाकर सिंचाई की नई पद्धति विकसित की जिससे सिंचाई का खर्च 50 फीसदी कम हो गया। 
 
 

श्रेष्ठ राज्य (दो विजेता)

मेघालय : मेघालय की 81 फीसदी आबादी खेती पर ही निर्भर है। मेघालय ने स्ट्रॉबेरी, हल्दी, कटहल और दूध के क्षेत्र में कई सफल प्रयोग किए।
उत्तराखंड : उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के मार्गदर्शन में कृषि क्षेत्र विकास कर रहा है। राज्य में कृषि क्षेत्र घटने के बावजूद खाद्यान्न उत्पादन बढ़ रहा है। राज्य ने सभी छोटे व सीमांत किसानों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की है।
 
 

श्रेष्ठ राष्ट्रीय सहकारी समिति

नेशनल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया, आणंद : एनसीडीएफआई सहकारिता के माध्यम से डेयरी के अलावा तिलहन, खाद्य तेल और अन्य फसलों के प्रोत्साहन के लिए काम करती हैं। डेयरी क्षेत्र में सबसे उल्लेखनीय योगदान है। पिछले साल उसका कारोबार 1103 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। देश श्वेत क्रांति के जनक डा. वर्गीज कुरियन 2006 तक एनसीडीएफआई के चेयरमैन रहे थे।
 
 

श्रेष्ठ राज्य सहकारी समिति

छत्तीसगढ़ स्टेट कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड : छत्तीसगढ़ मार्कफेड ने धान की खरीद, उसके प्रबंधन और भुगतान में ऑटोमेशन को बढ़ावा देकर सहकारिता क्षेत्र को नया आयाम दिया है। धान खरीद का भुगतान सभी 18 लाख किसानों को पीएफएमएस पोर्टल से जुड़े एसएफटी के जरिए किया जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में किसी कर्मचारी का कोई दखल नहीं होता है।
 
 

श्रेष्ठ प्राथमिक सहकारी समिति

मल्कानूर कोऑपरेटिव क्रेडिट एंड मार्केटिंग सोसायटी लिमिटेड : तेलंगाना की मल्कानूर कोऑपरेटिव क्रेडिट एंड मार्केटिंग सोसायटी ने कृषि, क्रेडिट, एग्री स्टोररेज, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग, डेयरी और फिशिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 1956 में स्थापित इस सहकारी समिति में आज 7650 किसान जुड़े हैं। समिति अपने सदस्यों को फसल कर्ज व दूसरे तरह के कृषि कर्ज उपलब्ध कराती है। साथ ही बच्चों की पढ़ाई, चिकित्सा और बेटियों की शादी के लिए व्यक्तिगत कर्ज भी देती है।
 
 

श्रेष्ठ फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (दो विजेता)

रामरहीम प्रगति प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड : मध्यप्रदेश के देवास में 2012 में स्थापित रामरहीम प्रगति प्रोड्यूशर कंपनी लिमिटेड में 304 स्वयं सहायता समूह शेयरधारक हैं और इन समूहों से करीब 4200 सदस्य जुड़े हैं। यह संगठन किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के अलावा बोनस भी देता है। कंपनी एनसीडीईएक्स में सूचीबद्ध होने वाली पहली फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी भी है।
 
 
वेलियनगिरी उझावन प्रोडसर कंपनी लिमिटेड : तमिलनाडु में कोयंबटूर की वेलियनगिरि उझावन प्रोड्यूसर कंपनी नारियल, सुपारी, सब्जियां, हल्दी और केला उत्पादकों के लिए काम करती है। यह एफपीओ सदस्य किसानों को नई तकनीक अपनाने और बेहतर उत्पादकता पाने के लिए प्रोत्साहित और सहायता करता है। संगठन का कारोबार 2016-17 में 2.37 करोड़ रुपए था जो वर्ष 2018-19 में बढक़र 11.88 करोड़ रुपए हो गया।
 
 

श्रेष्ठ एग्री टेक्नोलॉजी स्टार्टअप

एगनेक्सट (एग्रीकल्चर नेक्स्ट) : कंपनी के सीईओ तरनजीत सिंह भामरा ने 2016 में किसानों और एग्रीकल्चर वैल्यू चेन से जुड़े सभी पक्षों को लाभ दिलाने के उद्देश्य से इस कंपनी की स्थापना की थी। कंपनी के इमेज प्रोसेसिंग सॉल्यूशन से खेत की तस्वीर की प्रोसेसिंग आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिये की जाती है। इससे उपज की क्वालिटी का आकलन खेत में खड़ी फसल से ही किया जा सकता है। कंपनी अपने क्लाउड बेस्ड एप्लीकेशन के लिए कई तरह के टूल्स का इस्तेमाल करती है जिनसे उपज की क्वालिटी का तुरंत पता लगाया जा सकता है।
 
स्वराज एवं महिंद्रा के बारे में : स्वराज ट्रैक्टर्स 20.7 बिलियन अमरीकी डॉलर वाले महिंद्रा ग्रुप का एक डिवीजन है और यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढऩे वाला टै्रक्टर ब्रांड है। 1974 में स्थापित, स्वराज ने स्थापना के बाद से 1.5 मिलियन से अधिक ट्रैक्टर बेचे हैं। भारत में अनाज के कटोरे के तौर पर मशहूर पंजाब में स्थित स्वराज एक ऐसा ब्रांड है जो किसानों द्वारा किसान के लिए बनाया जाता है, क्योंकि उसके कई कर्मचारी भी किसान हैं। वे रीयल वर्ल्ड परफोरमेंस लाते हैं और सुनिश्चित प्रदर्शन और स्थायी गुणवत्ता के साथ एक प्रामाणिक, शक्तिशाली उत्पाद बनाते हैं,
 
जिसका एक ही उद्देश्य है- जिससे भारतीय किसान को आगे बढऩे के अवसर मिल सकें। भारत में ग्राहक संतुष्टि में लगातार शीर्ष कंपनियों में शामिल स्वराज ट्रैक्टर्स 15 एचपी से 65 एचपी की रेंज में ट्रैक्टर बनाती है और खेती के संपूर्ण समाधान भी प्रदान करती है। वहीं महिंद्रा गु्रप 20.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कंपनियों का फेडरेशन है जो लोगों को आवागमन के नए समाधान, ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा, शहरी जीवन के विस्तार, नए व्यवसायों का पोषण करने और समुदायों को बढ़ावा देने में सक्षम बनाता है। उत्पादों की संख्या के आधार पर यह दुनिया की सबसे बड़ी ट्रैक्टर कंपनी है। महिंद्रा, कृषि व्यवसाय, खाद, वाणिज्यिक वाहनों, परामर्श सेवाओं, ऊर्जा, औद्योगिक उपकरण, रसद, रियल एस्टेट, स्टील, एयरोस्पेस, डिफेंस और टू-व्हीलर में अपनी मजबूत उपस्थिति का भी आनंद उठाता है। भारत में मुख्यालय वाला महिंद्रा 100 देशों के 2,40,000 से अधिक लोगों को रोजगार देता है।
 

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