इस विधि से करें धान की बुवाई, सरकार से मिलेगी 15000 रुपए की सब्सिडी

Share Product प्रकाशित - 19 May 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

इस विधि से करें धान की बुवाई, सरकार से मिलेगी 15000 रुपए की सब्सिडी

जानें, क्या है सरकार की योजना और इससे कैसे मिलेगा धान किसानों को फायदा

खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान है। इसकी बुवाई वैसे तो जून माह में की जाती है लेकिन इस बार किसान मई के महीने में ही धान की बुवाई कर रहे हैं। ऐसा इसलिए कि वे धान की बुवाई में डीएसआर मशीन का इस्तेमाल करके इसकी सीधी बुवाई करने में रूचि दिखा रहे हैं। इस विधि की खास बात यह है कि इस डीएसआर तकनीक से बुवाई करने पर पानी की बचत होती है और पैदावार भी अधिक मिलती है। ऐसे में किसान डीएसआर तकनीक से धान की खेती कर रहे हैं।

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खास बात यह है कि इस तकनीक से धान की खेती (Paddy farming) के लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति एकड़ 1500 रुपए की सब्सिडी दी जा रही है। यदि किसान 10 एकड़ में धान की इस तकनीक से बुवाई करें तो उन्हें 15,000 रुपए की सब्सिडी मिल सकती है।

यह किसान कर रहे हैं धान की सीधी बुवाई

पंजाब के किसान सीधी बिजाई विधि से धान की बुवाई कर रहे हैं। यहां धान की बुवाई का समय 15 जून से शुरू होता है। लेकिन निरंतर गिरते भूजल के कारण इस बार यहां के किसानों ने धान की सीधी बुवाई करने में रूचि दिखाई है। इधर, पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी यहां के किसानों से अपील करते हुए डीएसआर मशीन के उपयोग से धान की सीधी बुवाई करने को कहा है। इससे भू जल की बचत होगी, क्योंकि इसके तहत खेत में पानी भरकर नहीं रखना पड़ेगा।

क्या है धान की डीएसआर तकनीक (What is DSR technology of paddy)

धान की सीधी बुवाई को डीएसआर तकनीक के नाम से भी जाना जाता है। डीएसआर धान रोपाई की एक ऐसी तकनीक है जिसमें मैन्युअली या मशीन के माध्यम से धान को सीधे खेत में लगाया जाता है। इस तकनीक में न तो किसान को नर्सरी में पौधे उगाने की आवश्यकता होती है और न ही पौधों की रोपाई की। इसके अलावा खेत में पानी भरने की भी आवश्यकता नहीं होती है। इस विधि या तकनीक में सीधे खेत में धान बुवाई की जाती है। हालांकि भारत में यह विधि या तकनीक बहुत पहले से है लेकिन धान उत्पादन में इसका इस्तेमाल यहां बहुत कम किया गया। अब पानी की समस्या को देखते हुए किसान फिर से इस तकनीक के इस्तेमाल कर रहे हैं और सरकार भी किसानों को इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए जोर दे रही है ताकि पानी की बचत हो सके।

धान की डीएसआर तकनीक में कितना आता है खर्चा (How much does DSR technology of paddy cost)

धान की डीएसआर तकनीक या सीधी बुवाई विधि से आप अपने खेत में सीधे धान की बुवाई करते हैं तो इस काम में आपका करीब 4,000 रुपए प्रति एकड़ का खर्च आता है। इस विधि से धान की बेहतर उपज प्राप्त की जा सकती है। इस तकनीक में आप ट्रैक्टर और डीएसआर मशीन के इस्तेमाल से सिर्फ दो मजदूरों की सहायता से पूरे खेत में धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं।

डीएसआर मशीन पर कितनी मिलती है सब्सिडी (How much subsidy is available on DSR machine)

सरकार की ओर से कृषि यंत्र अनुदान योजना के तहत डीएसआर मशीन की खरीद पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इस योजना के तहत डीएसआर मशीन की खरीद पर राज्य सरकार की ओर से किसानों को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है, जो अधिकतम 40,000 रुपए है। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु व सीमांत किसानों सहित महिला किसानों को प्राथमिकता दी जाती है।

कैसे की जाती है डीएसआर तकनीक से धान की बुवाई (How is paddy sowing done with DSR technology)

डीएसआर तकनीक में सिर्फ दो मजदूर एक दिन में एक ट्रैक्टर और डीएसआर मशीन (DSR machine) के साथ कई एकड़ खेत में धान की सीधी बिजाई कर देते हैं। डीएसआर विधि से धान की बुवाई को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों को 1500 रुपए प्रति एकड़ की दर से सब्सिडी भी दी जाती है। यदि किसान 10 एकड़ में धान की बुवाई इस तकनीक से करें तो उन्हें 15,000 रुपए की सब्सिडी मिल सकती है। वहीं किसानों का कहना है कि इस विधि से धान की बुवाई करने पर पानी की खपत कम हुई है और उन्हें अधिक पैदावार भी प्राप्त हुई है। पंजाब के एक अन्य किसान बताते हैं कि वे पिछले चार साल से डीएसआर विधि से धान की बुवाई कर रहे हैं, उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है।

डीएसआर तकनीक से धान की बुवाई के क्या है लाभ (What are the benefits of sowing paddy with DSR technology)

डीएसआर तकनीक से धान की बुवाई करने पर पानी की बचत होती है, क्योंकि इस तकनीक में बिजाई के 21 दिन बाद उसको पानी देना होता है। वहीं दूसरा सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि बारिश के समय पानी सीधे जमीन के अंदर चला जाता है जिससे अतिरिक्त पानी खर्च करने की जरूरत नहीं होती है। वर्षा जल से ही काम चल जाता है। इस तकनीक से धान की खेती करने पर 4,000 से 5,000 रुपए तक की बचत होती है। इससे धान की खेती की लागत घटती है और इसका बेहतर उत्पादन मिलता है।

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