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दिन का बढ़ा हुआ तापमान से बुवाई में हो रही है देरी, किसानों को बीज के जलने का डर

Published - 09 Oct 2020

मौसम के मिजाज से रबी की बुवाई में हो रही है देरी

राजस्थान में अधिकतर स्थानों पर खरीफ की फसल कट चुकी है और उनके विक्रय का कार्य चल रहा है। वहीं दूसरी ओर खेत खाली पड़े हैं। किसानों ने अभी तक अगली फसल रबी की बुवाई अभी तक नहीं की है। सामान्यत: रबी की बुवाई का कार्य एक अक्टूबर से शुरू हो जाता है लेकिन इस बार तापमान में तेजी के कारण किसान रबी की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि सुबह और रात के तापमान में गिरावट आई है, पर दोपहर का तापमान रबी की बुवाई के लिहाज से काफी अधिक है। अभी भी दिन का तापमान 35-36 डिग्री चल रहा है जबकि रबी की बुवाई के लिए 23-30 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। इस संबंध में कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को अभी कुछ दिन और इंतजार करने की सलाह दी है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जब तक दिन का तापमान कम नहीं हो जाता तब तक बुवाई करना ठीक नहीं है। इधर किसान भी बीज जलने की आशंका से बुवाई करने से डर रहे हैं। बता दें कि रबी फसलों में सरसों की बुवाई जल्दी हो जाती है लेकिन तापमान की अधिकता से इस बार सरसों की बुवाई अभी तक नहीं हो पा रही है। 

 

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देश के सबसे अधिक तापमान वाले स्थानों में अधिकतर राजस्थान के

निजी मौसम ऐजेंसी स्काईमेट के अनुसार शुक्रवार को मॉनसून की विदाई के बाद अधिकतम तापमान उत्तर भारत के कई राज्यों में 40 डिग्री के करीब दर्ज किया जा रहा है। पिछले 24 घंटों के दौरान देश के 10 गर्म शहरों की सूची में सबसे ऊपर रहा राजस्थान का चुरू, जहां अधिकतम तापमान 39.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। इसके अलावा हरियाणा, गुजरात के कई जिलों में भी तापमान की तल्खी अभी भी बरकरार है। राजस्थान में चूरू 39.7, श्रीगंगानगर 39.5, बाड़मेर 39, बीकानेर 38.2, मिलानी 38.2, जैसलमेर 37.9 व जोधपुर में 37.4 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकार्ड किया गया है। वहीं राजस्थान के अन्य जिलों में भी सूरज की तल्खी बनी हुई है। इधर गुजरात राज्य के दिसा में 39.4 और अहमदाबाद में 39.9 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा। जबकि हरियाणा के नारनौल में 38.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। 

 


राजस्थान में रबी फसलों का संभावित बुवाई का लक्ष्य

राजस्थान राज्य में इस बार रबी सीजन में 98.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई का लक्ष्य रखा गया है। कृषि विभाग के अनुसार रबी सीजन में 32 लाख हैक्टेयर में गेहूं, 16 लाख हैक्टेयर में चना और 3 लाख हैक्टेयर में जौ की बुवाई का लक्ष्य तय किया गया है। रबी फसलों की बुवाई के लिए कृषि विभाग की तैयारियाँ पूरी है लेकिन बढ़ा हुआ तापमान आड़े आ रहा है।  


कृषि विशेषज्ञों की क्या है राय

  • रबी की बुवाई के लिए मिट्टी में नमी का होना बहुत जरूरी है और ये जब संभव है की दिन के तापमान में गिरावट आए। 
  • मिट्टी में नमी नहीं होने से बीज की लागत बढ़ जाती है और उत्पादन पर भी इसका असर पड़ता है। 
  • इस तल्ख तापमान में यदि बुवाई की जाती है तो बीज जल सकता है और इसके अंकुरण में दिक्कत होगी वहीं उत्पादन प्रभावित होगा वो अलग। 
  • इसलिए किसानों को अभी कुछ दिन और इंतजार करना चाहिए। जब तापमान कम हो जाए और मिट्टी में पर्याप्त नमी होने लगे तब रबी फसल की बुवाई शुरू करनी चाहिए। 

 

 

मौसम की प्रतिकूलता से साल दर साल घटता सरसों का रकबा

मौसमी कारणों के चलते सरसों की बुवाई का रकबा पिछले कुछ बरसों से लगातार घटता जा रहा है। मौसम की अनुकूलता होने पर आम तौर पर सितंबर अंत से सरसों की बुवाई शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार सितंबर जा चुका और अक्टूबर का एक सप्ताह बीत चुका है पर मौसम प्रतिकूल बना हुआ है। अभी तक सरसों की बुवाई नहीं हो पा रही है। बता दें कि राजस्थान में सबसे अधिक सरसों का उत्पादन श्रीगंगानगर में होता है। इसके बाद दूसरे नंबर पर अलवर व तीसरा नंबर भरतपुर का आता है। इसमें सबसे अधिक गुणवत्ता वाले सरसों के तेल के लिए भरतपुर पहचाना जाता है। यहां के सरसों के तेल की गुणवत्ता के लिहाज से इसका देश में प्रथम स्थान है। लेकिन मौसम की प्रतिकूलता और आयातित विदेशी तेल के कारण भरतपुर का काफी सरसों उत्पादित क्षेत्र आलू उत्पादित क्षेत्र में परिवर्तित हो गया है। इससे यहां साल दर साल इसके रकबे में कमी आती जा रही है। यही हाल अन्य जिलों का हो है। यहां भी सरसों का रकबा साल दर साल कम होता जा रहा है।


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