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ट्रैक्टरों की बिक्री पकड़ेगी रफ्तार, वित्त वर्ष में 3-6 प्रतिशत की वृद्धि संभव

Published - 09 Jul 2021

ट्रैक्टर सेल्स : इंडिया रेटिंग्स एंड रिचर्स ने दी जानकारी, बिक्री पर तीसरी लहर का पड़ेगा असर

कोविड-19 की दूसरी लहर का प्रभाव कम होने का असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी दिख रहा है। देश की प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों ने पिछले साल की अपेक्षा इस वित्तीय वर्ष के शुरुआती तीन महीनों में ज्यादा ट्रैक्टर बेचे हैं। स्थानीय लॉकडाउन और प्रतिबंधों के करीब-करीब समाप्त होने के बाद ट्रैक्टर इंडस्ट्री की चमक लौटने लगी है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में ट्रैक्टरों की बिक्री बढऩे की संभावना है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी कर ट्रैक्टरों की बिक्री बढऩे की जानकारी दी है। आईए ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में जानते हैं ट्रैक्टर सेल्स पर क्या कहती है इंडिया रेटिंग्स एंड रिचर्स (इंड-रा) की रिपोर्ट।


वित्त वर्ष 2021-22 में 6 प्रतिशत तक ट्रैक्टर बिक्री बढऩे की उम्मीद

भारत की ट्रैक्टर इंडस्ट्री ने कोविड-19 की पहली लहर में लॉकडाउन और तमाम प्रतिबंधों के बावजूद वित्त वर्ष 2020-21 में 27 फीसदी ज्यादा ट्रैक्टर बेचकर एक रिकॉर्ड बनाया था। अब वित्त विर्ष 2021-22 में कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच ट्रैक्टर की बिक्री 3-6 प्रतिशत तक बढऩे की उम्मीद है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने गुरुवार को यह जानकारी दी। रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा कि ट्रैक्टर की बिक्री चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही से बढऩे की संभावना है क्योंकि स्थानीय लॉकडाउन और प्रतिबंधों में ढील दी गई है। इसमें कहा गया है, "सामान्य मानसून पूर्वानुमान, मजबूत खरीफ फसल की उम्मीद और ग्रामीण आय में सुधार सहित कारणों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।"


जून की ट्रैक्टर बिक्री में आया उछाल

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) द्वारा जारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि ट्रैक्टर उद्योग ने जून 2021 की बिक्री में तेज उछाल देखा है। जबकि कोविड की दूसरी लहर ने अप्रैल-मई 2021 में बिक्री को प्रभावित किया था, जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में प्राप्त मासिक बिक्री के अनुपात में औसत मासिक बिक्री 76 प्रतिशत तक गिर गई थी। हालांकि, पहली तिमाही में आम तौर पर लगभग 33 प्रतिशत की मौसमी उच्च बिक्री के साथ एक महत्वपूर्ण तिमाही है, क्योंकि मई और जून माह में खरीफ सीजल के लिए भूमि की तैयारी की जाती है। इस कम बिक्री को अब बाद के महीनों में पुन: प्राप्त नहीं किया जा सकता है।


तीसरी लहर की आशंका के बीच ट्रैक्टर की खरीद टलने की संभावना 

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने  आगे कहा कि तीसरी कोविड लहर की प्रत्याशा के बीच ट्रैक्टर खरीद को उच्च चिकित्सा खर्चों को बचाने / खर्च करने के पक्ष में टाला जा सकता है। "यदि देश में तीसरी लहर देखी जाती है, जो दूसरी लहर जितनी गंभीर है, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय / राष्ट्रीयकृत तालाबंदी होती है, तो साल-दर-साल आधार पर बिक्री कम हो सकती है।


सबसे ज्यादा ट्रैक्टर बेचने वाले पांच राज्यों में कोविड का प्रभाव ज्यादा

" कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रभाव पर, रेटिंग एजेंसी ने कहा कि पहली लहर बड़े पैमान पर शहरी क्षेत्रों तक सीमित थी, लेकिन दूसरी लहर ग्रामीण भारत में अधिक व्यापक और गंभीर थी। सामूहिक रूप से शीर्ष पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में भारत के 56 प्रतिशत ट्रैक्टर बिकते हैं। इन पांच राज्यों में ही कोविड-19 के 34 प्रतिशत मामले पाए गए। दूसरी लहर के 40 से 75 प्रतिशत तक के मामले ग्रामीण जिलों में दर्ज किए गए।


तीसरी लहर के चलते बदल सकती है ट्रैक्टर खरीद की वरीयता

"इंड-रा का मानना है कि दूसरी लहर के प्रभाव और तीसरी की लहर की प्रत्याशा के कारण आकस्मिक चिकित्सा व्यय के लिए बचत के पक्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में खपत वरीयता को बदल सकती है। इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में निम्न-आय स्तर, जीवन की हानि आदि कारणों ने उपभोक्ताओं की भावनाओं को प्रभावित किया है। इसलिए ट्रैक्टर की खरीद को स्थगित किया जा सकता है।" रिपोर्ट में कहा गया है कि यह विशेष रूप से प्रतिस्थापन मांग के मामले में होगा, जो कुल मात्रा का 30-35 प्रतिशत है।"


सरकार की नीतियों से किसान ट्रैक्टर खरीदने में सक्षम

इंड-रा के अनुसार, हालांकि, केंद्र द्वारा कृषि आय में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिसमें कृषि अवसंरचना कोष, उर्वरकों के लिए सब्सिडी बढ़ाना और रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और वित्तीय वर्ष 2020-21 में फसलों की उच्च खरीद शामिल है। जिससे किसानों के हाथों में अधिक नकदी आई है और किसान ट्रैक्टरों की खरीदने के लिए सक्षम है। इसके अलावा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर सरकार के जोर से गैर-कृषि ट्रैक्टरों में वृद्धि की संभावना है, जो ट्रैक्टर की मात्रा का लगभग 30 प्रतिशत है।

 

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