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सरकारी योजना 2020 क्या है - किसान खेत में ही बेच सकेंगे फसल ?

Published - 04 Apr 2020

राष्ट्रीय कृषि बाजार (eNAM) पोर्टल पर सरकार ने जोड़ी नई सुविधाएं

ट्रैक्टर जंक्शन पर किसान भाइयों का एक बार फिर स्वागत है। कोरोना (कोविड-19) वायरस से किसानों को कोई नुकसान नहीं हो, इसके लिए सरकार नई-नई योजनाओं और राहतों की घोषणाएं कर ही है। अब केंद्र सरकार ने देश के करोड़ों लघु और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) पोर्टल पर तीन सुविधाएं लांच की है। इससे किसानों को अपनी उपज को बेचने के लिए थोद मंडियों में आने की जरूरत कम हो जाएगी। वे खेत के समीप या गांव स्थित वेयरहाउस में उपज को रखकर वहीं बेच सकेंगे। साथ ही एफपीओ अपने संग्रह से उत्पाद को लाए बिना व्यापार कर सकेंगे। साथ ही लॉजिस्टि मॉड्यूल के नए संस्करण को भी जारी किया गया है, जिससे देशभर के पौंने पांच लाख ट्रक जुड़ सकेंगे। कोरोना वायरस के संक्रमण काल में इस योजना से सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की पालना होगी।

 

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1

 

ऑनलाइन ई-नाम पोर्टल के नए फीचर्स

राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) प्लेटफ़ॉर्म की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तीन नई सुविधाएं लॉन्च की है। तोमर ने बताया कि अनाज, फल और सब्जियों की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में मंडियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नई सुविधाओं से छोटे और सीमांत किसानों को काफी सहूलियत होगी। वे अपनी उपज को मान्यता प्राप्त गोदामों में रख पाएंगे, लॉजिस्टिक्स खर्चों को बचा सकेंगे और बेहतर आय अर्जित करते हुए देशभर में उपज को अच्छे तरीके से बेचकर खुद को परेशानी से बचा सकते हैं। मूल्य स्थिरीकरण समय और स्थान उपयोगिता के आधार पर किसान आपूर्ति और मांग की तुलना करते हुए फायदे में रहेंगे। 

 

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा लांच किए गए तीन सॉफ्टवेयर मॉड्यूल इस प्रकार हैं:-

  • ई-नाम में गोदाम से व्यापार की सुविधा के लिए वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग माड्यूल।
  • एफपीओ का ट्रेडिंग माड्यूल जहाँ एफपीओ अपने संग्रह से उत्पाद को लाए बिना व्यापार कर सकते हैं।
  • इस जंक्शन पर अंतर-मंडी तथा अंतरराज्यीय व्यापार की सुविधा के साथ लॉजिस्टिक मॉड्यूल का नया संस्करण, जिससे पौने चार लाख ट्रक जुड़े रहेंगे।

 

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कोरोना (कोविड-19) से लड़ाई में मददगार ई-नाम पोर्टल से किसानों का होगा फायदा

कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लडऩे के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए कामकाज करने में भी यह मददगार है। तोमर ने कहा कि ये नई सुविधाएं कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, ताकि इस समय किसानों को अपने खेतों के पास ही बेहतर कीमतों पर अपनी उपज बेचने में मदद की जा सके। परिवहन के इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से उपयोगकर्ताओं तक कृषि उपज सुविधापूर्वक शीघ्रता से पहुंचाई जा सकेगी। इस अवसर पर तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में ई-नाम पोर्टल 14 अप्रैल 2016 को शुरू किया गया था, जिसे अपडेट कर काफी सुविधाजनक बनाया गया है। पहले से ही 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 585 मंडियों को ई-नाम पोर्टल पर एकीकृत किया गया है। इसके अतिरिक्त 415 मंडियों को भी ई-नाम से जल्द ही जोड़ा जाएगा, जिससे इस पोर्टल पर मंडियों की कुल संख्या एक हजार हो जाएगी। ई-नाम पर इन सुविधाओं के कारण किसानों, व्यापारियों व अन्य को मंडियों का चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी।

 

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ई-नाम पोर्टल से छोटे और सीमांत किसानों को होने वाले लाभ / ई-नाम पोर्टल पर ऑनलाइन भुगतान की सुविधा

तोमर के अनुसार एफपीओ को बोली के लिए अपने आधार/संग्रह केंद्रों से अपनी उपज अपलोड करने में सक्षम बनाया जा सकेगा। वे बोली लगाने से पहले उपज की कल्पना करने में मदद के लिए आधार केंद्रों से उपज और गुणवत्ता मापदंडों की तस्वीर अपलोड कर सकते हैं। एफपीओ के पास सफल बोली लगाने के बाद मंडी के आधार पर या अपने स्तर से उपज वितरण का विकल्प रहेगा। इन सबसे मंडियों में आवागमन कम होने से सभी को सुविधा होगी, परिवहन की लागत कम होगी. ऑनलाइन भुगतान की सुविधा मिलेगी। तोमर ने कहा कि मंडियों को किसानों व अन्य हितधारकों की सुरक्षा के लिए अत्यधिक स्वच्छता और सामाजिक दूरी बनाए रखने के उपाय अपनाने की सलाह दी गई है। राज्यों को थोक खरीदारों/प्रोसेसर और बड़े खुदरा विक्रेताओं द्वारा प्रत्यक्ष खरीद की सुविधा देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि उन्हें मंडियों में कम से कम आना-जाना पड़े।

सभी कंपनियों के ट्रैक्टरों के मॉडल, पुराने ट्रैक्टरों की री-सेल, ट्रैक्टर खरीदने के लिए लोन, कृषि के आधुनिक उपकरण एवं सरकारी योजनाओं के नवीनतम अपडेट के लिए ट्रैक्टर जंक्शन वेबसाइट से जुड़े और जागरूक किसान बने रहें।

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