Published - 05 Jul 2021 by Tractor Junction
इन दिनों सरसों की मांग के मुकाबले बाजार में इसकी आवक कम हो रही है। किसान रोक-रोक कर अपनी उपज बिक्री के लिए बाजार में ला रहे हैं। इससे उन्हें सरसों के अच्छे भाव मिल रहे हैं। इसी प्रकार सोयाबीन के भावों में भी तेजी का रूख देखने को मिला है। इस तरह सरसों व सोयाबीन किसानों को इस साल अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद की जा रही है। इधर विदेशों में तेजी के रूख का स्थानीय असर होने से दिल्ली तेल तिलहन बाजर में बीते सप्ताह सोयाबीन, मूंगफली, सरसों तेल तिलहन, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन तेल की कीमतों में सुधार आया है।
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बीते सप्ताह, सरसों दाना का भाव 100 रुपए का लाभ दर्शाता 7,275-7,325 रुपए प्रति क्विंटल हो गया जो पिछले सप्ताहांत 7,125-7,175 रुपए प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव भी 250 रुपए बढक़र 14,500 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 45 रुपए और 55 रुपए का लाभ दर्शाते क्रमश: 2,345-2,395 रुपए और 2,445-2,555 रुपए प्रति टिन पर बंद हुए।
सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की भारी स्थानीय और निर्यात मांग के कारण सोयाबीन दाना और लूज के भाव क्रमश: 195 रुपए और 245 रुपए का लाभ दर्शाते क्रमश: 7,645-7,695 रुपए और 7,545-7,645 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुए। मांग बढऩे से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली (रिफाइंड), सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 100 रुपए, 400 रुपए और 600 रुपए के सुधार के साथ क्रमश: 14,100 रुपए, 13,700 रुपए और 12,800 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार विदेशों में तेजी के रुख का स्थानीय असर होने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सोयाबीन, मूंगफली, सरसों तेल-तिलहन, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार रहा। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि देश में खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने आयात शुल्क में कमी की और पामोलीन के आयात पर प्रतिबंध को हटा दिया है। सरकार ने सोयाबीन डीगम पर 450 रुपए आयात शुल्क मूल्य घटाया है। जबकि सीपीओ पर आयात शुल्क में 450 रुपए और आयात शुल्क मूल्य में 225 रुपए की कमी की है और इस प्रकार सीपीओ पर शुल्क में लगभग 675 रुपए प्रति क्विंटल की कमी की गई है।
मार्च, अप्रैल और मई के दौरान आयातित तेलों के मुकाबले सस्ता होने की वजह से सरसों की खपत बढ़ी है। सरसों तेल से रिफाइंड बनाए जाने के कारण भी सरसों की कमी हुई। खाद्य नियामक एफएसएसएआई द्वारा आठ जून से सरसों में किसी अन्य तेल के सम्मिश्रण पर रोक लगाए जाने से भी उपभोक्ताओं में शुद्ध सरसों तेल के लिए मांग बढ़ी है। सरसों की मांग के मुकाबले बाजार में आवक कम है और किसान रोक-रोक कर माल ला रहे हैं। सरसों तेल का अधिकतम फुटकर भाव 150-160 रुपए लीटर चल रहा है। इसी तरह सोयाबीन रिफाइंड फुटकर में 145-155 रुपए लीटर के बीच है। इन परिस्थितियों में बीते सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखा गया।
सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन की तेजी की वजह से बाकी तेल-तिलहनों के भाव भी मजबूत हो गए। स्थानीय मांग बढऩे से मूंगफली तेल-तिलहनों के भाव में सुधार आया जबकि मांग बढऩे से बिनौला तेल भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में लाभ के साथ बंद हुए। पिछले सप्ताह सोयाबीन लातूर कीर्ति (प्लांट डिलिवरी) 7,650 रुपए से बढक़र 8,000 रुपये क्विंटल हो गया। विदेशों में भाव बढऩे से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतें भी पर्याप्त लाभ के साथ बंद हुईं।
सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 2021 के लिए 4650 रुपए प्रति क्विंटल रखा है। इस समय यानी जुलाई के शुरुआती दिनों में सरसों के भाव 6700-7000 रुपये प्रति क्विंटल के आस-पास चल रहे हैं। इस तरह अभी भी सरसों के बाजार भाव सरकारी एमएसपी यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर बने हुए हैं जिससे किसानों को बाजार में अपनी सरसों बचने से काफी फायदा हो रहा है।
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