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साइल हेल्थ कार्ड योजना में अपडेट : अब खेत में नि:शुल्क होगी मिट्टी की जांच

Published - 02 Jul 2020

साइल हेल्थ कार्ड योजना : मोबाइल वैन प्रयोगशाला से मिट्टी के नमूनों की जांच में लगेगा कम समय

खेत की उर्वरा शक्ति का पता लगाने के लिए मिट्टी की जांच बेहद जरूरी है। इससे किसान को यह जानने में मदद मिलती है कि उसके खेत की मिट्टी कैसी है और उसे इस मिट्टी में कौन-कौन सी फसलें बोनी चाहिए ताकि उसका उत्पादन बढऩे के साथ ही उसे अच्छी आमदनी प्राप्त हो सके। कई बार खेत की मिट्टी अधिक अम्लीय या क्षारीय होने से खेत में बोई हुई फसल का उत्पादन घट जाता है। इससे किसान की आमदनी में कमी तो आती ही है, साथ ही धीरे-धीरे भूमि बंजर होने लगती है जिससे उस भूमि पर फसल उगाना संभव नहीं हो पाता है।

इन सब बातों से बचने के लिए किसान को मिट्टी की जांच अवश्य करानी चाहिए ताकि मिट्टी में जिन पोषक तत्व व खनिज लवणों की कमी है उसकी पूर्ति के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद व उर्वरक डाल कर उसकी पूर्ति की जा सके। मिट्टी की जांच के बाद किसान को फसलों का चयन करने में भी मदद मिलती है। इससे वे खेत की मिट्टी की प्रकृति के अनुसार फसल बो सकता है।

सरकार की ओर से मिट्टी परीक्षण के लिए कृषि विभाग की सहायता से किसानों को मिट्टी परीक्षण कराने की सुविधा दी जाती है। पहले मिट्टी परीक्षण कराने के लिए किसान को अपने स्थानीय कृषि विभाग जाकर मिट्टी की जांच करानी होती थी लेकिन अब किसान को घर बैठे मिट्टी की जांच की जाएगी वो भी बिलकुल फ्री में। किसानों की सुविधा के लिए एनएफएल ने मिट्टी के नमूनों की जांच के लिए 5 मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोशालाओं का शुभारंभ किया है। मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशाला शुरू करने से किसानों की मिट्टी के नमूनों की जांच में कम समय लगेगा साथ ही घर बैठे यह सुविधा मिलने से किसान को इसके लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। 

 

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1

 

क्या है मिट्टी की जांच के लिए सोइल हेल्थ कार्ड योजना

सरकार सभी किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच करने के लिए सोइल हेल्थ कार्ड योजना चला रही है। जिसके तहत किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है जिससे किसान भूमि का स्वास्थ्य को जान कर उसके अनुसार फसलों की खेती एवं खाद उर्वरक का प्रयोग कर सकें। केंद्र सरकार की ओर से प्रत्येक 3 साल में किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किया जाएगा। कार्ड किसानों को उनके खेतों की गुणवत्ता के अनुरूप प्रदान किया जाएगा जो कि 3 साल के लिए 1 बार प्रदान किया जाएगा। इस स्कीम के अनुसार सरकार का 3 साल के अंदर ही पूरे भारत में लगभग 14 करोड़ किसानों को यह कार्ड जारी करने का उद्देश्य है। इस मृदा हेल्थ कार्ड में खेतों के लिए  पोषण/ उर्वरकों के बारे में बताया जाएगा। सॉइल हेल्थ कार्ड एक रिपोर्ट कार्ड है जिसमें मिट्टी के गुण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी।

 

 

मिट्टी में होगी इन तत्वों की जांच

आधुनिक मृदा परीक्षण उपकरणों से युक्त ये मोबाइल प्रयोगशालाएं मिट्टी का समग्र और सूक्ष्म पोषक तत्व विश्लेषण करेगी। इसके अलावा इन मोबाइल प्रयोगशालाओं में किसानों को विभिन्न कृषि विषयों पर शिक्षित करने के लिए ऑडियो-वीडियो सिस्टम भी मौजूद रहेगा। अपनी मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के अलावा देश के विभिन्न स्थानों पर स्थिर मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के माध्यम से भी किसानों को सेवाएं दे रही है। इन सभी प्रयोगशालाओं ने वर्ष 2019-20 में मुफ्त में लगभग 25,000 मिट्टी के नमूनों का परीक्षण किया है।

 

मृदा परीक्षण या मिट्टी की जांच के उद्देश्य

  • मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों का सही- सही निर्धारण कर मृदा स्वास्थ्य कार्डों के माध्यम से कृषकों तक पहुंचाना।
  • विभिन्न फसलों की दृष्टि से पोषक तत्वों की कमी का पता करके किसानों को स्पष्ट सूचना देना।
  • मृदा पोषक तत्वों की स्थिति ज्ञात करना और उसके आधार पर फसलों के अनुसार उर्वरकों / खादों को डालने की संस्तुति करना।
  • मृदा की विशिष्ट दशाओं का निर्धारण करना, जिसमें मृदा को कृषि विधियों और मृदा सुधारकों की सहायता से ठीक किया जा सके।
  • संतुलित उर्वरकों के प्रयोग को प्रोत्साहित करना।   

 

कैसे लिया जाता है जांच के लिए मिट्टी का नमूना

  • एक एकड़ क्षेत्र में लगभग 8-10 स्थानों से ‘v’ आकार के 6 इंच गहरे-गहरे गड्ढा बनाया जाता है।
  • खेत के सभी मिट्टी को इकट्ठा कर के 1 / 2 किलो का नमूना बनाया जाता हैं।
  • नमूने की मिट्टी से कंकड़, घास इत्यादि को अलग किया जाता है।
  • मिट्टी को कपड़े में रखा जाता है तथा उसमें नाम इत्यादि दे दिया जाता है जिससे यह पता लग सके कि किस खेत की मिट्टी है। इसके अलावा फसल का पूरा ब्यौरा भी दिया जाता है।
  • इसके बाद प्रयोगशाला में इसकी जांच की जाती है। चाहे तो किसान परख मृदा परीक्षण किट की सहायता से स्वयं भी इसका परीक्षण कर सकते हैं।

 

मिट्टी की जांच के लिए ध्यान रखने योज्य बातें

  • किसान को मिट्टी की जांच प्रत्येक 3 वर्ष में एक बार अवश्य कर लेनी चाहिए।
  • मिट्टी की जांच जब मिट्टी में नमी की मात्रा बहुत कम हो तब करनी चाहिए।
  • फसल शुरू होने से पहले मिट्टी की जांच कराई जानी चाहिए।

 

मृदा हेल्थ कार्ड में दी जाती है ये जानकारियां

  • मिट्टी की सेहत
  • खेत की उत्पादक क्षमता
  • पोषक तत्व की मौजूदगी एवं पोषक तत्व की कमी
  • पानी की मात्रा यानी नमी
  • अन्य उपस्थित पोषक तत्व
  • खेतों की गुणवत्ता सुधारने हेतु उचित दिशा-निर्देश।

 

मृदा स्वास्थ्य कार्ड से होने वाले लाभ

  • सघन खेती के कारण खेत की मिट्टी में उत्पन्न विकारों की जानकारी मिलती है।
  • मिट्टी में विभिन्न पोषक तत्वों की उपलब्धता की दशा का बोध होता है जिससे जिस पोषक तत्व की कमी हो सकती पूर्ति की जा सके। 
  • बोयी जाने वाली फसल का आवश्यक अनुमान लगाने में यह मृदा स्वास्थ्य कार्ड बड़ा सहायक होता है।
  • फसल के अच्छे उत्पादों के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड की बहुत उपयोगिता है।
  • इस स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से संतुलित उर्वरक प्रबंधन कर किसान अपने उत्पादन में वृद्धि कर सकता है जिससे उसे अधिक आमदनी प्राप्त हो सकती है।

 

 

मिट्टी की जांच कराने के लिए कहां करें आवेदन

मिट्टी की जांच कराने के लिए आवेदन हेतु किसान अपने निकटतम कृषि विभाग से संपर्क करें या कृषि विभाग की आफिशियल वेबसाइट https://www.soilhealth.dac.gov.in/ पर जाकर आनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है। 
इस संबंध में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप की कृषि विभाग की मृदा हेल्थ वेबसाइट https://www.soilhealth.dac.gov.in/  पर जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

 

 

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