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स्वामित्व योजना: किसानों को दिए जाएंगे स्वामित्व कार्ड, आसानी से मिलेगा बैंक लोन

Published - 04 Feb 2022

जानें, क्या है स्वामित्व योजना और इससे किसानों को लाभ

किसानों के खेत और मकान का रिकार्ड अब सरकार रखेगी। इसके लिए सरकार की ओर से स्वामित्व का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी संपत्ति का मालिकाना हक दिलाना है। केंद्र सरकार की इस योजना से उन किसानों को फायदा होगा जिनके पास अपनी संपत्ति जैसे-खेत और मकान का वैध प्रमाण नहीं है। इस योजना के माध्यम से ऐसे किसानों का पता लगाया जाएगा। उन्हें अपनी संपत्ति का रिकार्ड दिया जाएगा और स्वामित्व कार्ड प्रदान किए जाएंगे जिससे उन्हें पट्टा बनवाने में आसानी होगी। इससे उन्हें बैंक से लोन भी आसानी से मिल जाएगा। अभी स्वामित्व योजना के तहत हरियाणा में कृषि भूमि की मैपिंग का काम चल रहा है। यहां किसानों की कृषि भूमि की मैपिंग की जा रही है। मैपिंग का काम पूरा होने पर किसानों को उनकी भूमि का रिकार्ड प्रदान किया जाएगा और स्वामित्व कार्ड दिए जाएंगे। इससे किसानों को कई लाभ होंगे।

किसानों को ऑनलाइन उपलब्ध होगा कृषि भूमि का पूरा डेटा

हरियाणा राज्य सरकार भी किसानों को स्वामित्व कार्ड देने के लिए कृषि भूमि की मैपिंग करा रही है। जिससे किसानों की भूमि का पूरा डेटा ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा। इस संबंध में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में कृषि भूमि मैपिंग का कार्य करने के लिए व्यापक स्तर पर चलाए जा रहे अभियान में तेजी लाएं ताकि प्रदेश की कृषि भूमि डाटा उपलब्ध हो सके। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के अधिकांश गांवों का ड्रोन बेस मैपिंग का कार्य किया जा चुका है। स्वामित्व योजना की तरह प्रदेश की कृषि भूमि की मैपिंग का कार्य किया जाएगा और राजस्व रिकार्ड को परिवार पहचान पत्र से जोड़ा जाएगा। 

तीन चरणों में पूरा होगा मैपिंग का कार्य

राज्य में कृषि भूमि की मैपिंग का कार्य लार्ज स्केल पर चल रहा है। इसे तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में ग्रामीण क्षेत्र की कृषि भूमि की मैपिंग तथा इस पर बने हुए स्ट्रक्चर के मानचित्र बनाने का कार्य किया जाएगा। दूसरे चरण में शहरों में इंडस्ट्री क्षेत्रों की मैपिंग की जाएगी। तीसरे चरण में पैमाइश का कार्य होगा। 

कृषि भूमि की मैपिंग के लिए पटवारियों को दिया जाएगा प्रशिक्षण

कृषि भूमि की मैपिंग के लिए रोवर्स मशीन से पटवारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक तहसील स्तर पर दो-दो रोवर्स (जीपीएस) मशीन खरीद कर मुहैया करवाई जाएंगी। हर तहसील को रोवर्स मशीन से जोड़ा जाएगा ताकि खेतों की पैमाइश आसानी से की जा सके। प्रदेश भर में 19 स्थानों पर कंटीन्यूअस रैफ्रेसिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं। इसके जरिये से आसपास के एरिया में 500 किलोमीटर के दायरे में जीपीएस लोकेशन का आसानी से पता चल सकेगा। इसके अलावा 16 जीआईएस लैब भी प्रदेश भर में स्थापित की गई है। मजबूत रेफरेंस प्वाइंट लगाए जाएंगे।

कृषि भूमि की मैपिंग से क्या होगा लाभ

लार्ज स्केल पर कृषि भूमि की मैपिंग कराने से किसानों को बहुत लाभ होगा। इनमें से कुछ लाभ इस प्रकार से हैं-

  • लार्ज स्तर पर मैपिंग का कार्य होने से सभी मालिकों की जमीन की जानकारी स्पष्ट हो सकेगी।
  • स्कूल, शामलाती ढांचा, धार्मिक स्थल आदि भूमि की लोकेशन भी सही मिल सकेगी। 
  • गांवों में मुरब्बा स्टोन की तरह तकनीक आधारित 25 मुरब्बे के क्षेत्रफल में गहरे एवं मजबूत रेफरेंस प्वाइंट का उपयोग कर सकेंगे।
  • इस प्रकार कृषि भूमि की पैमाइश में जीपीएस लोकेशन डबल तकनीक पर आधारित पैमाइश का लाभ मिलेगा। 
  • कृषि भूमि को लेकर आए दिन झगड़े और अदालती केस होते रहते हैं। इसमें दो पक्षों के पैसा का नुकसान होता है। मैपिंग के बाद पैमाइश में कार्य में सहायता मिलेगी जिससे अदालती विवादों में कमी आएगी।

मैपिंग कार्य के लिए टीमें की गई है तैनात

लैंड मैपिंग का कार्य करने के लिए करनाल, कुरुक्षेत्र और पानीपत में 3 टीमें लगाई गई। इसके अलावा 15 मार्च तक और टीमें लगाई जाएंगी। इस प्रकार प्रदेश भर में कुल 44 टीमें लैंड ड्रोन मैपिंग का कार्य करेंगी जिसे अगस्त 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। पहले 5 गांवों में ट्रायल बेस पर लार्ज स्केल मैपिंग का कार्य किया गया। अब इसे पूरे प्रदेश में शुरू कर दिया गया है। 

जमीन सुधार के लिए नया सिस्टम शुरू करने में मिलेगी मदद

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार प्रदेश में जमीन सुधार के लिए नया सिस्टम लेकर आ रही है। इसके माध्यम से सारी कृषि जमीन का रिकॉर्ड ही उपलब्ध हो जाएगा। उन्होंने बताया कि जमाबंदी के लिए भी नया फॉर्मेट तैयार किया गया है जिसमें पीपीपी का कॉलम जोड़ा गया है। कृषि भूमि को परिवार पहचान पत्र से भी जोडऩे का कार्य किया जाएगा।

क्या है स्वामित्व योजना

स्वामित्व योजना को केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया है। इसकी घोषणा प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस, 24 अप्रैल, 2020 को घोषणा की थी। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को संपत्ति का अधिकार देने के लिए संपत्ति कार्ड का वितरण किया जाना है। इस योजना का क्रियान्वयन 4 वर्ष में चरणबद्ध ढंग से किया जाएगा। इसे 2020 से 2024 के बीच पूरा किया जाएगा। इस योजना के तहत देश के 6.62 लाख गांवों को कवर किया जाएगा। बता दें कि गांव की खेती की जमीन का रिकॉर्ड खसरा-खतौनी में तो होता है। लेकिन, गांवों की आवासीय संपत्ति का मालिकाना हक के आधार पर कोई रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में इस स्कीम के माध्यम से अब हर आवासीय संपत्ति की पैमाइश कर मालिकाना हक सुनिश्चित किया जाएगा।

स्वामित्व योजना की अब तक की प्रगति

पिछले साल 24 अप्रैल 2021 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वामित्व योजना के तहत ई-संपत्ति कार्ड के वितरण का शुभारंभ किया था। इस दौरान प्रधानमंत्री ने उन 6 राज्यों में स्वामित्व योजना के प्रभाव को रेखांकित किया, जहां इसे केवल एक वर्ष के भीतर शुरू किया गया। इस दौरान 5 हजार से अधिक गांवों में 4.09 लाख लोगों को ऐसे ई-संपत्ति कार्ड प्रदान किए गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह योजना एक तरह से गरीब तबके की सुरक्षा और गांवों एवं उनकी अर्थव्यवस्था के नियोजित विकास को सुनिश्चित करेगी। उन्होंने राज्यों से अनुरोध किया कि वे सर्वे ऑफ इंडिया के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करें और जहां भी जरूरी हो राज्य के कानूनों में बदलाव करें। उन्होंने बैंकों से कहा कि वे संपत्ति कार्ड का एक प्रारूप, जोकि ऋण संबंधी औपचारिकताओं के लिए आसानी से स्वीकार्य हो, तैयार करके आसान ऋण सुनिश्चित करें।  

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