पंजाब व हरियाणा में पराली जलाने पर रोक, सरकार ने उठाया ये सख्त कदम

Share Product Published - 29 Sep 2020 by Tractor Junction

पंजाब व हरियाणा में पराली जलाने पर रोक, सरकार ने उठाया ये सख्त कदम

किसान नहीं माने तो खेत के भूमि रिकार्ड पर लगाएं जाएंगे लाल निशान

पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की समस्या आज की नहीं है। पिछले कई सालों से यहां किसान धान की फसल काटने के बाद बचे हुए अवशेष जिसे यहां पराली कहा जाता है, को खेत में ही जला देते हैं जिससे खेत जल्दी खाली हो सके ताकि उसमें नई फसल बोई जा सके। फसल अवशेष यानि पराली जलाने को लेकर किसानों का अपना तर्क है। किसानों का कहना है कि वे खेतों में पराली जलाने को मजबूर हैं, क्योंकि फसल काटने पर बचे अवशेष को हटाने में काफी खर्चा आता है और इसके प्रबंधन में काफी समय लग जाता है जिससे खेत काफी समय के लिए रूका रहता है जिससे इसमें नई फसल नहीं उगाई जा सकती है। इसलिए उन्हें मजबूरन पराली को जलाना पड़ता है। 

बता दें कि पर पिछले कई सालों के दौरान पराली जलाने के मामले में हरियाणा सरकार द्वारा कई बार सख्त कदम उठाए गए लेकिन वे सभी किसानों की समस्या के आगे चल नहीं पाए और यहां पराली जलाने का काम बदस्तूर जारी रहा। अब सरकार एक बार फिर से पराली जलाने वाले किसानों के प्रति सख्त रूख अपना रही है। शायद इस बार की सख्ती से पराली जलाने की समस्या खत्म हो जाए। बता दें कि इस साल पंजाब में 27 लाख हैक्टेयर जमीन पर धान की खेती हुई है। जिसमें से सात लाख हैक्टेयर जमीन पर बासमती उगाया गया है। इसी वजह से करीब 16.50 मिलियन टन पराली इस बार होने की संभावना जताई जा रही है। जिसे लेकर सरकार चिंतित है और इसे देखते हुए ही सरकार की ओर से इससे निपटने की तैयारी की जा रही है।

 

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कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पराली के जलाने पर सख्त कार्रवाई


इधर सरकार का कहना है कि इससे हरियाणा के पास ही दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। प्रदूषण के प्रभाव से वहां के वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है जो यहां के लोगों में अनेक बीमारियों का कारण बन रही है। इसे देखते हुए हरियाणा राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पराली के जलाने पर सख्त कार्रवाई का निर्णय लिया गया है।

 


पराली जलाने से किसानों को रोकने के लिए सरकार ने उठाए ये कदम

सरकार की ओर से चावल उगाने वाले गांवों में आठ हजार नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं। साथ ही पराली प्रबंधन के लिए 23500 मशीनें भी किसानों को मुहैया कराई गई हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया है कि वे लगातार प्रधानमंत्री से पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को इसमें लगने वाली लागत की क्षतिपूर्ति दिए जाने की मांग भी कर रहे हैं।


किसानों को किया जाएगा जागरूक

जानकारी के मुताबिक तैनात किए गए नोडल अधिकारी 15 नवंबर तक गांवों में विभिन्न विभागों के साथ मिलकर किसानों को जागरुक करेंगे। इसके साथ ही उन किसानों की सूची भी तैयार करेंगे जिन्होंने अपनी जमीन ठेके पर दी हुई है। ये अधिकारी सुपर एसएमएस सिस्टम के द्वारा ऐसे हर एक किसान को फोन करके चेतावनी देंगे। इसके बावजूद अगर किसी खेत में पराली जलाने की जानकारी मिलती है तो भूमि रिकॉर्ड में उस जमीन पर लाल निशान लगा दिया जाएगा।


किसान इस नंबर से ले सकते हैं पराली हटाने के लिए मशीनों की जानकारी

कृषि विभाग की ओर से पराली हटाने के लिए किसानों को मशीनों की जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1800-180-1551 जारी किया गया है। इस नंबर पर कॉल करके किसान पैडी स्ट्रा मैनेजमेंट के लिए मशीनों की जानकारी ले सकते हैं। किसानों को अकेले या समूह में 50 से 80 फीसदी सब्सिडी पर ये मशीनें उपलब्ध कराई जाएगी।


कोरोना संक्रमण से पराली जलाने का क्या है संबंध

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कोरोना महामारी को देखते हुए किसानों से पराली नहीं जलाने की अपील की है जिसमें कहा गया है कि महामारी के दौर में पराली से उठने वाले धुएं से फेंफड़े संबंधी बीमारियों को झेल रहे लोगों को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इधर हरियाणा में पराली जलाने से पास स्थित देश की राजधानी दिल्ली पर इसका सीधा असर पड़ता है। यहां वायु प्रदूषण का स्तर बढऩे से वातावरण इतना प्रदूषित हो जाता है कि लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत आती है। अभी कुछ साल पहले ही दिल्ली में प्रदूषण की वजह से वातावरण में इतना धुआं फैल गया था कि लोगों ने मास्क पहनाकर निकलना शुरू कर दिया था ताकि इस धुएं से बचा जा सके।


वायु प्रदूषण से हो सकती है यह बीमारियां

अगर हम वायु प्रदूषण से सावधान नहीं हुए तो ये हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। वायु प्रदूषण से शरीर में अनेेक प्रकार के रोग हो जाते हैं। इससे दिल की बीमारी का होना, फेफड़ों की बीमारी होना, कैंसर होना, मानसिक समस्या, किडनी की बीमारी इत्यादि रोग होने की संभावना बनी रहती है। इसके अलावा एलर्जी, खांसी, जुकाम आदि समस्याएं भी बनी रहती हैं। इसलिए जहां वायु प्रदूषण का खतरा हो ऐसे स्थानों पर मुंह को मास्क से ढककर आना-जाना चाहिए ताकि प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।

 

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