धान की खेती : कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की तीन नई किस्में, मिलेगा ज्यादा उत्पादन

Share Product Published - 23 Feb 2021 by Tractor Junction

धान की खेती : कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की तीन नई किस्में, मिलेगा ज्यादा उत्पादन

जानें, इन नई बासमती किस्मों की विशेषताएं और लाभ?

कृषि वैज्ञानिकों ने बासमति चावल की तीन नई किस्में विकसित की है। इन किस्मों को लेकर कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि ये कम समय में तैयार होगी और उत्पादन भी अधिक देगी। बहरहाल ये किस्म विशेष कर जम्मू के किसानों के लिए विकसित की गई हैं। बताया जा रहा है कि ये किस्म देश के अन्य क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। दरअसल जम्मू और सांबा जिलों में किसान पिछले कई सालों से बासमती 370 किस्म की खेती करते आ रहे हैं, लेकिन उन्हें बेहतर उत्पादन नहीं मिल पा रहा है। इसे देखते हुए शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने बासमती की तीन किस्में विकसित की है। बताया जा रहा है कि इसकी गुणवत्ता बासमति 370 की तरह है लेकिन उत्पादन उससे काफी ज्यादा है। बता दें कि जम्मू के कठुआ, जम्मू और सांबा में बासमती की खेती होती है।

 

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वैज्ञानिकों ने विकसित की ये नई तीन किस्में

शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय, जम्मू के शोध विभाग के निदेशक डॉ. जगपाल द्वारा मीडिया को बताए अनुसार कई साल के रिसर्च के बाद बासमती की तीन नई किस्में, जम्मू बासमती 143, जम्मू बासमती 118 और जम्मू बासमती 123 विकसित की गई हैं। जिनकी गुणवत्ता तो 370 की तरह ही लेकिन उत्पादन बहुत ज्यादा मिलता है। यहां पर हर एक किसान धान का बीज अपने घर पर रखता है, जो सदियों से चला आ रहा है, इसलिए हमने उन्हीं किसानों से 143 अलग-अलग तरह के धान के बीज इकट्ठा किए, जिनसे हम ये तीन नई किस्में विकसित कर पाएं हैं। बासमती 370 बहुत अच्छी किस्म है, लेकिन कुछ कमियां थीं, जिसकी वजह से हमें नई किस्में विकसित करनी पड़ी।

 


बासमती की नई किस्म जम्मू बासमती 118 की विशेषता व लाभ

अभी जम्मू में प्रचलित बासमती 370 से प्रति हेक्टेयर 20 से 22 क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। जबकि नई किस्मों में सबसे अधिक उत्पादन देने वाली किस्म जम्मू बासमती 118 है, इसमें इसमें 45-47 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान का उत्पादन होता है। ये दूसरी किस्मों से जल्दी तैयार भी हो जाती है। बासमती 370 में उत्पादन भी कम मिलता था और इसकी ऊंचाई 150 से 160 सेमी थी, ज्यादा हवा चलने पर गिर जाती थी, जबकि जम्मू बासमती 118 बौनी किस्म है, जो गिरती नहीं है।

 

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जम्मू बासमती 123 की विशेषता व लाभ

नई विकसित किस्मों में दूसरी जम्मू बासमती 123 है जो 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है, इसमें सभी क्वालिटी 370 की तरह ही है, इसके दाने भी बड़े होते हैं। बता दें कि जम्मू में उत्पादित बासमती चावल विश्वप्रसिद्ध है।

 

जम्मू बासमती 143 की विशेषता व लाभ

तीसरी किस्म जम्मू बासमती 143 है जिससे 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है, ये दूसरी किस्मों से थोड़ी अलग होती है, इसके पौधो काफी लंबे होते हैं। इसके पुआल काफी ज्यादा मिलते हैं। बता दें कि जम्मू डिवीजन के आरएस पुरा, बिशनाह, अखनूर, संबा, हीरानगर और कठुआ तहसील में बासमती की खेती होती है। इनमें से आरएस पुरा क्षेत्र में बहुत सालों से बासमती की खेती हो रही है और यहां की बासमती काफी मशहूर भी है।


400 किसानों को ट्रायल के तौर दिए गए नई किस्मों के बीज

विश्वविद्यालय ने जम्मू खरीफ सत्र 2020-21 में 400 किसानों को नई किस्मों के बीज ट्रायल के तौर पर दिए थे, जिनका अच्छा परिणाम भी मिला। भारत के सात राज्यों में हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू कश्मीर के बासमती को जीआई टैग भी मिला हुआ है। जम्मू के साथ ही दूसरे राज्यों में नई किस्मों की खेती के बारे में डॉ. शर्मा बताते हैं, जिन राज्यों में बासमती के लिए जीआई टैग मिला हुआ है, वहां के किसान भी इन नई किस्मों की खेती कर सकते हैं।


कृषि मेले में किसानों को उपलब्ध हो सकेंगे इन नई किस्मों के बीज

डॉ. शर्मा के अनुसार शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, जम्मू कैंपस में हर वर्ष कृषि मेला का आयोजन हो रहा है, इस साल 16 मार्च से 20 मार्च तक किसान मेला लग रहा है, जहां से किसान बीज ले सकते हैं। अभी हमारे पास 600 कुंतल के करीब बीज उपलब्ध है, हमने दो किलो की पैकिंग बना कर रखी है, हर किसान को दो किलो बीज दिया जाएगा। आने वाले साल में बीज की मात्रा बढ़ाई जाएगी, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसानों को बीज मिल सके।

 

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एक अन्य नई किस्म पूसा बासमती 1692 के लिए प्रस्ताव आमंत्रित

आईएआरआई द्वारा विकसित पूसा बासमती 1692 के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं। यह किस्म 110-115 दिन की अवधि में पक जाती है। इसका औसत उत्पादन- 24.0 से 28.0 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह कम समय अवधि की, सेमी ड्वार्फ, कम पानी वाली और न बिखरने वाली किस्म है। संस्थान द्वारा दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बासमती जीआई क्षेत्र के लिए इसकी अनुशंसा की गई है । आईएआरआई से प्राप्त जानकारी अनुसार इच्छुक बीज कंपनियां इस पते पर संपर्क कर सकते हैं- जेडटीएम और बीपीडी यूनिट, आईसीएआर- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली -110012, फोन- 011- 25843553, 011- 25843542 पर संपर्क किया जा सकता है।

 

 

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