हाइड्रोपोनिक फार्मिंग : चार दोस्तों ने किया कमाल, बिना मिट्टी के उगा दी ये सब्जियां

Share Product Published - 27 Nov 2020 by Tractor Junction

हाइड्रोपोनिक फार्मिंग : चार दोस्तों ने किया कमाल, बिना मिट्टी के उगा दी ये सब्जियां

जानें, क्या है हाइड्रोपोनिक फार्मिंग / बिना मिट्टी के खेती की तकनीक

कोरोना संक्रमण के दौर में सरकार का सबसे अधिक ध्यान कृषि की ओर गया है। इस दौरान जहां सभी व्यवसाय ठप हो गए, वहीं कृषि व्यवसाय ने लोगों को काफी राहत पहुंचाई। किसान ने अन्नदाता बनकर देश के लोगों की खाद्य संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया। कोरोना संक्रमण के दौर में बंपर फसल का उत्पादन हुआ जो अन्य वर्षों की तुलना में काफी अधिक रहा। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने कृषि को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक बजट का उपयोग कृषि क्षेत्र में करने का मन बनाया हुआ है। सरकार का फोकस कृषि पर होने से लोगों की रूचि भी खेतीबाड़ी के काम की ओर होने लगी है। इस दौरान खेती में कई नवाचार भी किए जा रहे हैं। 

 

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बिना मिट्टी के खेती

आज कई पढ़े-लिखे युवक खेती को व्यवसाय के रूप में अपना रहे हैं जिसके उन्हें काफी सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। इसी कड़ी में हाल ही में उदयपुर के चार दोस्तों ने खेती में एक नवाचार किया है जो काफी सराहनीय है। मीडिया में प्रसारित जानकारी के अनुसार कोरोना काल में ट्यूरिज्म व्यवसाय ठप होने के बाद उदयपुर के इन चार दोस्तों दिव्य जैन, भूपेन्द्र जैन, रौनक और विक्रम ने खेती में नई तकनीक के साथ भाग्य आजमाया है। यह नई तकनीक इसलिए खास है जिसकी चर्चा चारों ओर हो रही है। दरअसल उदयपुर शहर के इन चारों दोस्तों ने बिना मिट्टी के खेती करने की शुरुआत की है जो काफी दिलचस्प होने के साथ आश्चर्यचकित करने वाली भी है। भला बिना मिट्टी के खेती कैसे हो सकती है। पर ऐसा संभव कर दिखाया है उदयपुर के इन चारों दोस्तों ने। 

 


क्या है हाइड्रोपोनिक फार्मिंग (Hydroponic farming at home)

हाइड्रोपोनिक्स का मतलब होता है जलीय कृषि। यानि इस खेती में फसल पानी में उगाई जाती है और इसमें मिट्टी का इस्तेमाल नहीं होता। खेती की इस आधुनिक तकनीक में फसल पानी और उसके पोषण स्तर के जरिए बढ़ती है। भारत के कई हिस्से ऐसे हैं जहां पानी की कमी रहती है लेकिन इस तकनीक से सामान्य तकनीक की अपेक्षा सिर्फ 10 प्रतिशत पानी की जरूरत पड़ती है, साथ ही मिट्टी की भी कोई जरूरत नहीं होती। बस सूर्य का प्रकाश फसल को मिलता रहना चाहिए। लेकिन जहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती वहां कस्टमाइज्ड तरीके से रोशनी की व्यवस्था की जाती है। इन चारों दोस्तों ने इसी तकनीक को आधार बनाकर उदयपुर शहर से 12 किमी दूर दस हजार वर्गफीट की जमीन पर ऑटोमेटेड फार्म बैंक टू रूट्स तैयार की और बिना मिट्टी के खेती करने लगे। इसके माध्यम से ये ओक लेट्यूस, ब्रॉकली, पाक चाय, चैरी-टोमेटो, बेल पेपर और बेसिल की खेती कर रहे हैं। इन सब्जियों की सबसे ज्यादा मांग पांच सितारा होटल्स में होती है और पर्यटक इन्हें पसंद भी करते हैं।


कैसे की जाती है हाइड्रोपोनिक फार्मिंग (Hydroponic farming)

बिना मिट्टी के पानी से होने वाली इस फार्मिंग को करने के लिए उदयपुर के इन चारों दोस्तों ने रिसर्च किया और फिर उदयपुर में पॉली हाउस बनाकर उसमें खेती शुरू कर दी। इस खेती में मिट्टी का कहीं भी उपयोग नहीं किया गया है। इसमें तापमान को स्थिर रखते हुए पौधों की जड़ तक पाइप से पानी पहुंचाया जाता है और उसी से पोषक सब्जियों की पैदावार होती है। हाइड्रोपोनिक खेती में बीज बोने से लेकर बढऩे तक की एक अलग प्रक्रिया होती है। ये पौधे छोटे प्लास्टिक के कप- ए आकार की फ्रेम में कतार में रखे जाते हैं। इससे पौधों की जड़ में जरूरत के अनुसार पानी चलता रहता है। इस पानी में न्यू्ट्रेंट सोल्यूशन मिलाए जाते हैं ताकि पौधों को जरूरी पोषक तत्व मिलते रहें। पॉली हाउस में तैयार किए जाने वाले इन पौधों को पानी के पाइप से पहुंचाया जाता है। पौधे पॉली हाउस में 27 से 30 डिग्री तक तापमान मेंटेन करके रखा जाता है। 


पेस्ट्रीसाइड्स का इस्तेमाल नहीं होने से गुणवत्तापूर्ण उत्पादन / हाइड्रोपोनिक उर्वरक

यह खेती इसलिए भी लोगों के लिए चर्चा का विषय बन चुकी है कि इस तकनीक से खेती में पेस्ट्रीसाइड्स का बिलकुल भी इस्तेमाल नहीं किया गया है। इससे गुणवत्तापूर्ण उत्पादन मिल रहा है। इस फार्मिंग के सकारात्मक नतीजे मिल रहे हैं। इससे दो माह की अवधि के दौरान ऐसी फसल तैयार हो चुकी है। इस सब्जी से बनने वाली चीजें स्वादिष्ट होने के साथ ही सेहत के लिए भी फायदेमंद है, जिसे पांच सितारा होटल्स में नाश्ते और फास्ट फू्रड में सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है।

 

 

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