राष्ट्रीय कामधेनू आयोग : देसी गाय के फायदे पर होगी परीक्षा

Share Product Published - 11 Jan 2021 by Tractor Junction

राष्ट्रीय कामधेनू आयोग  : देसी गाय के फायदे पर होगी परीक्षा

गौ संरक्षण : जानें, कब होगी परीक्षा और कौन-कौन हो सकता है इसमें शामिल?

देशी गौ पालन को प्रोत्साहित के साथ उनका संरक्षण करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने एक नई पहल की है। इसके तहत आयोग पूरे देश में गौ विज्ञान परीक्षा का आयोजन कराएगा। मीडिया में प्रकाशित खबरों के आधार पर राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने कहा है कि गौ विज्ञान परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। इस कामधेनु गौ विज्ञान प्रचार-प्रसार परीक्षा में प्राथमिक, माध्यमिक और कॉलेज स्तर के छात्र हिस्सा ले सकेंगे। देशी गायों और इसके फायदे के बारे में छात्रों और आम लोगों के बीच रुचि पैदा करने के मकसद से एक नेशनल लेवल की स्वैच्छिक ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की जाएगी। इस परीक्षा का आयोजन 25 फरवरी को किया जाएगा। इस ऑनलाइन परीक्षा का नाम गौ विज्ञान प्रचार-प्रसार परीक्षा होगा।

 

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निशुल्क होगी गौ विज्ञान परीक्षा

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने कहा है कि बिना किसी शुल्क के वार्षिक तरीके से गौ विज्ञान परीक्षा का आयोजन होगा। इस कामधेनु गौ विज्ञान-प्रचार प्रसार परीक्षा में प्राथमिक, माध्यमिक और कॉलेज स्तर के छात्र और आम लोग निशुल्क हिस्सा ले सकेंगे। कथीरिया ने कहा कि, देशी गायों के बारे में छात्रों और नागरिकों के बीच जागरुकता पैदा करने के लिए आयोग ने गौ विज्ञान पर नेशनल लेवल की परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन व वल्लभभाई कथीरिया ने बताया है कि यह परीक्षा हर साल कराई जाएगी। केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की जिम्मेदारी गिरिराज सिंह संभाल रहे हैं।

 


कैसे होगी गौ विज्ञान परीक्षा?

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग अब गौ विज्ञान पर अध्ययन सामग्री उपलब्ध करवाने की तैयारी भी कर रहा है। कथीरिया का कहना है कि परीक्षा में ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाएंगे और आयोग की वेबसाइट पर पाठ्यक्रम के बारे में ब्यौरा उपलब्ध कराया जाएगा। परीक्षा परिणामों की घोषणा तुरंत कर दी जाएगी और सर्टिफिकेट दिए जाएंगे। साथ ही होनहार उम्मीदवारों को इनाम दिया जाएगा।


क्या रहेगा गौ विज्ञान परीक्षा का पैटर्न?

यह परीक्षा हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 12 क्षेत्रीय भाषाओं में कराई जाएगी। कथीरिया के अनुसार कामधेनु गौ विज्ञान प्रचार प्रसार परीक्षा एक ऑनलाइन एग्जाम होगा जिसमें हिंदी, अंग्रेजी और 12 क्षेत्रीय भाषाओं में 75 बहुविकल्पीय सवाल होंगे। यह परीक्षा एक घंटे की होगी और इसमें चार कैटेगरीज होंगी। यह परीक्षा प्राइमरी लेवल (8वीं कक्षा तक के), सेकेंडरी लेवल (कक्षा 9 से 12 तक), कॉलेज लेवल (12वीं के बाद) और आम लोगों के लिए होगी। इस परीक्षा से संबंधित संदर्भ किताबों और दूसरे स्टडी मैटेरियल को कामधेनु आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया है। परीक्षा के नतीजे 26 फरवरी 2021 को घोषित कर दिए जाएंगे। इसमें सफल होने वाले प्रतिभागियों को नकद पुरस्कार/सर्टिफिकेट दिए जाएंगे।

 

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गौ विज्ञान परीक्षा के लिए जारी किया 54 पेज का सिलेबस

गौ विज्ञान परीक्षा के लिए तैयार किए गए पाठयक्रम में देसी गाय की खूबियां बताई गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आयोग द्वारा इस परीक्षा के लिए 54 पेज का सिलेबस अपनी वेबसाइट पर जारी किया है। इस सिलेबस में लिखा गया है कि देसी गाय काफी चालाक होती है और वह गंदी जगहों पर नहीं बैठती है। साथ ही यह भी कहा गया है कि देसी गाय जर्सी गाय के मुकाबले काफी अच्छी होती है। वह मुश्किल मौसम में भी आसानी से रह सकती है। इतना ही नहीं इस सिलेबस में यह भी दावा किया गया है कि देसी गाय के दूध में सोने के तत्व रहते हैं जिसके कारण से इसका रंग पीला होता है। देसी गाय का दूध पीने से बच्चे काफी स्वस्थ रहते हैं। वहीं जो बच्चे जर्सी गाय का दूध पीते हैं उन्हें अस्थमा और डायबिटिज जैसी गंभीर बीमारियां होती हैं।

 

क्या है कामधेनु आयोग?

कामधेनु आयोग की स्थापना केंद्र ने फरवरी 2019 में की थी। इसका लक्ष्य गायों के संरक्षण, संवर्द्धन के लिए काम करना है। यह मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत आता है। केंद्रीय पशुपालन विभाग गायों को लेकर देशव्यापी परीक्षा कराने जा रहा है। दरअसल, केंद्र के पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत एक आयोग बनाया गया है जिसका नाम है राष्ट्रीय कामधेनु आयोग। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग अपनी तरह की पहली कामधेनु गौ विज्ञान प्रचार प्रसार परीक्षा आयोजित करने जा रहा है।

 

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गाय की देसी नस्लों के संरक्षण पर रहेगा जोर

कामधेनु आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा गया है कि आधुनिक और वैज्ञानिक तर्ज पर गायों का पशुपालन करने और नस्लों को संरक्षित करने और उनमें सुधार करने, गायों, बछड़ों के कटान को रोकने के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन किया गया है। पशुपालन मंत्रालय के मुताबिक, भारत में गायों की 43 नस्लें पाई जाती हैं। गोवंश की प्रजातियों के लिहाज से देश में बड़ी विविधता है। लंबे वक्त से भारत कोशिश कर रहा है कि गायों की घरेलू नस्लों को प्रोत्साहित किया जाए और उनकी उत्पादकता बढ़ाई जाए।


भारत में 53 करोड़ से ज्यादा है पशुधन

साल 2012 की पशुओं की गणना के मुताबिक, भारत में करीब 30 करोड़ गाय और भैंस हैं। इसमें से 19.1 करोड़ गायें हैं और 10.87 करोड़ भैंसें हैं। पशुओं की इस संख्या में 21.6 करोड़ मादा गाय-भैंस हैं, जबकि 8.4 करोड़ नर पशु हैं। 2012 की गणना के मुताबिक, कऱीब 52 लाख गाय-भैंस ऐसे हैं जिन्हें कोई नहीं पाल रहा है। हालांकि, 2019 के आखिर में 20वीं पशुधन गणना रिपोर्ट भी आ गई है। इसके मुताबिक, देश की कुल पशुधन आबादी 53.57 करोड़ है जो पशुधन गणना- 2012 की तुलना में 4.6 फीसद ज्यादा है। कुल गोजातीय आबादी (मवेशी, भैंस, मिथुन एवं याक) वर्ष 2019 में 30.79 करोड़ आंकी गई जो पिछली गणना की तुलना में लगभग एक फीसद ज्यादा है।

 

 

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