खेतीबाड़ी और बागवानी के काम को आसान बनाने के लिए कृषि यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। इन यंत्रों की सहायता से कम समय में अधिक कार्य किया जा सकता है। इससे खेती की लागत में कमी आती है और मुनाफे के अवसर बढ़ जाते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार की ओर से कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ किसानों को प्रदान किया जाता है।
सरकार ट्रैक्टर से लेकर अन्य कृषि उपकरणों पर सब्सिडी का लाभ प्रदान करती है। वहीं सिंचाई यंत्रों पर भी सब्सिडी दी जाती है। अब कृषि यंत्रों की लिस्ट में एक नया नाम ड्रोन का भी जुड़ गया है। इस पर भी सरकार की ओर से सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाएगा। ड्रोन खरीदने के लिए किसानों को 10 लाख रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से ड्रोन से खेती के फायदे और ड्रोन खरीदने पर मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी किसानों को दे रहे हैं ताकि वे लाभान्वित हो सकें।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में गुणवत्तापूर्ण खेती को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से एक प्रमुख पहल करते हुए, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इस क्षेत्र के हितधारकों के लिए ड्रोन तकनीक को किफायती बनाने के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने देश में ड्रोन का उपयोग बढ़ाने के लिए कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन (एसएमएएम) के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया गया है। इसमें अलग-अलग कृषि संस्थानों, उद्यमियों, कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) एवं किसानों के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
ग्रामीण उद्यमियों को किसी सहायता प्राप्त बोर्ड से 10वीं या उसके समान परीक्षा उत्तीर्ण होने चाहिए और उनके पास नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा निर्दिष्ट संस्थान या किसी अधिकृत दूरस्थ पायलट प्रशिक्षण संस्थान से दूरस्थ पायलट लाइसेंस होना चाहिए।
कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना किसान सहकारी समितियों, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा की जाती है। वहीं एसएमएएम,आरकेवीवाई या अन्य योजनाओं से वित्तीय सहायता के साथ किसान सहकारी समितियों, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा स्थापित किए जाने वाले नए सीएचसी या हाई-टेक हब्स की परियोजनाओं में ड्रोन को भी अन्य कृषि मशीनों के साथ एक मशीन के रूप में शामिल किया जा सकता है।
ड्रोन तकनीक प्रदर्शन करने वाली कार्यान्वयन एजेंसियों को 6 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर आकस्मिक व्यय उपलब्ध कराया जाएगा, जो ड्रोन खरीदने की इच्छुक नहीं हैं लेकिन कस्टम हायरिंग सेंटर, हाई-टेक हब्स, ड्रोन मैन्युफैक्चरर्स और स्टार्ट-अप्स से किराये पर लेना चाहते हैं। उन कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए आकस्मिक व्यय 3 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर तक सीमित रहेगा, जो ड्रोन के प्रदर्शन के लिए ड्रोन खरीदना चाहते हैं। वित्तीय सहायता और अनुदान 31 मार्च, 2023 तक उपलब्ध होगा।
वर्तमान समय में खेती को आसान बनाने के लिए ड्रोन तकनीक की मदद ली जा रही है। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है। ड्रोन के खेती में इस्तेमाल से कई फायदे हो सकते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार से हैं-
नागर विमानन मंत्रालय (एमओसीए) और नागर विमानन महानिदेशक (डीजीसीए) द्वारा सशर्त छूट सीमा के माध्यम से ड्रोन परिचालन की अनुमति दी जा रही है। एमओसीए ने भारत में ड्रोन के उपयोग और संचालन को विनियमित करने के लिए 25 अगस्त, 2021 को जीएसआर संख्या 589 (ई) के माध्यम से ‘ड्रोन नियम 2021’ प्रकाशित किए थे। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग कृषि, वन, गैर फसल क्षेत्रों आदि में फसल संरक्षण के लिए उर्वरकों के साथ ड्रोन के उपयोग और मिट्टी तथा फसलों पर पोषक तत्वों के छिडक़ाव के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) भी लाई गई हैं। प्रदर्शन करने वाले संस्थानों और ड्रोन के उपयोग के माध्यम से कृषि सेवाओं के प्रदाताओं को इन नियमों/ विनियमों और एसओपी का पालन करना होगा।
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