Published - 28 Jan 2021
सरकार ने नारियल किसानों को तोहफा दिया है। खुशी की खबर ये हैं कि केंद्र सरकार ने किसानों की 40 साल पुरानी मांग को मानते हुए नारियल के एमएसपी को बढ़ा दिया है। केंद्रीय कैबिनेट ने कोपरा की एमएसपी बढ़ाने केे प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई जिसमें केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी।
सरकार ने कोपरा उत्पादक किसानों के हित में यह फैसला लिया है। कोपरा की एमएसपी में 375 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। पहले एमएसपी 9960 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो अब 10335 रुपए कर दी गई है।
जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि स्वामीनाथन रिपोर्ट की सिफारिशों को ध्यान में रख यह फैसला लिया गया। उन्होंने कहा सरकार ने किसानों की 40 साल पुरानी मांग को पूरा किया है। केंद्रीय मंत्री ने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार ने लंबे वक्त तक स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू नहीं किया था। नरेंद्र मोदी की सरकार इसकी सिफारिशें लागू कर रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कोपरा की एमएसपी बढ़ाने का फैसला किया है।
नवीकरणीय मंत्रालय ने पीएम कुसुम योजना के बजट में 20-25 प्रतिशत तक वृद्धि किए जाने की सिफारिश है। सूत्रों के अनुसार आगामी बजट में पीएम कुसुम योजना का विस्तार किया जा सकता है। इसके अलावा किसानों को प्रोत्साहन की भी इस बजट में घोषणा किए जाने की उम्मीद है। बता दें कि पीएम कुसुम योजना के तहत, किसानों को सब्सिडी पर सौर पैनल प्रदान किए जाते हैं जिनसे वे बिजली बना सकते हैं। किसानों को यह सुविधा भी दी जाती है कि वे अपनी जरूरत की बिजली का उपयोग करके, शेष बिजली को बेचकर पैसा कमा सकते हैं।
एक फरवरी को आम बजट आना है। इसको लेकर कृषि जगत को काफी उम्मीदें हैं। मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2021-22 (बजट 2021) में किसानों के पक्ष में बड़ा फैसला ले सकती हैं। केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए कृषि कर्ज का लक्ष्य बढ़ाकर करीब 19 लाख करोड़ रुपए कर सकती है। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने एग्रीकल्चर लोन का लक्ष्य 15 लाख करोड़ रुपए रखा है। बता दें कि केंद्र सरकार हर साल कृषि क्षेत्र के लिए कर्ज का लक्ष्य बढ़ाती रही है। ऐसे में इस बार भी 2021-22 के लिए इस लक्ष्य को बढ़ाकर 19 लाख करोड़ रुपए किए जाने की काफी संभावना नजर आ रही है। वित्त मंत्री सीतारमण ने 2020-21 का बजट पेश करते हुए कहा था कि कृषि क्षेत्र को कर्ज देने के मामले में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां और सहकारी बैंक सक्रिय रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक पुनर्वित्त योजना का विस्तार किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि कृषि कर्ज प्रवाह में साल-दर-साल वृद्धि हुई है।
सरकार की ओर से कृषि कर्ज के लक्ष्य को बढ़ाने से और अधिक किसानों को इसका फायदा हो सकेगा। किसानों को सरकार से कम दर पर लोन मुहैया हो पाएगा जिससे किसानों को साहूकारों के द्वारा ली जाने वाली ऊंची ब्याज दर से मुक्ति मिलेगी और किसान अपने खेती के कार्य को अच्छी तरीके से कर पाएगा। यहां ये बताना जरूरी है कि केंद्र 2 फीसदी की ब्याज पर किसानों को कर्ज उपलब्ध कराता है।
बैंक सामान्य तौर पर कृषि कर्ज पर 9 फीसदी की दर से ब्याज वसूलते हैं, लेकिन सरकार ब्याज सहायता उपलब्ध कराती है ताकि अल्पकाल के लिए खेती की जरूरतें पूरी करने को लिए गए कर्ज सस्ती दरों पर किसानों को उपलब्ध हो सकें। इससे किसानों की आमदनी में भी इजाफा होता है। सरकार किसानों को महज 2 फीसदी ब्याज दर पर कर्ज सहायता उपलब्ध कराती है ताकि उन्हें छोटी अवधि के लिए 3 लाख रुपए तक का लोन प्रभावी रूप से 7 फीसदी ब्याज पर मिल सके। इसके अलावा 3 फीसदी की सहायता उन किसानों को दी जाती है, जो कर्ज का भुगतान समय पर करते हैं। इससे प्रभावी रूप से ब्याज 4 फीसदी बैठता है।
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