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एफपीओ स्कीम : छोटे और सीमांत किसानों को सरकार से मिलेगी 6865 करोड़ रुपए मदद

Published - 17 Mar 2022

जानें, एफपीओ स्कीम से कैसे छोटे और सीमांत किसान उठा सकते हैं लाभ

किसानों की आर्थिक दशा सुधारने और उनकी आय बढ़ाने की दिशा में सरकार का प्रयास जारी है। सरकार कई योजनाओं के माध्यम से किसानों को लाभ पहुंचा रही है। इसी क्रम में किसानों की फसल की सुरक्षा और उन्हें फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार एफपीओ यानि किसान उत्पादक संगठन खोले जा रहे हैं। सरकार चाहती है कि किसानों को उसकी उपज का बाजार में उचित मूल्य मिले ताकि फसल लागत निकलने के बाद भी किसानों को मुनाफा हो सके। इसी बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार की ओर से देश भर में 2024 तक 10 हजार एफपीओ खोलने की योजना है। इस स्कीम पर 6865 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। इस दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है। बता दें कि हमारे देश में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या सबसे अधिक है। इसे देखते हुए सरकार इन एफपीओ की स्थापना कर रही है ताकि छोटे और सीमांत किसानों को इसका लाभ मिल सकें। 

एफपीओ से जुड़े हुए हैं कई किसान, उठा रहे हैं लाभ

देश में कई राज्यों में एफपीओ खोले गए हैं जिनसे कई किसान जुड़े हुए हैं। एफपीओ से जुडऩे के बाद किसानों को कई प्रकार के लाभ मिल रहे हैं। उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए मोल-भाव करने का मौका मिल रहा है। जिससे वे उचित कीमत पर अपनी फसल बेचने मेें समर्थ हो रहे हैं। इतना ही नहीं इससे जुड़े किसान कृषि उपकरण, खाद और बीज जैसी जरूरी और अहम उत्पाद अच्छी गुणवत्ता और उचित मूल्य पर खरीद पा रहे हैं। एफपीओ ने छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों को एकत्रित कर उनकी आर्थिक शक्ति बढ़ाने और उनके लिए बाजार में अवसर  बढ़ाने में सहायता प्रदान की है। इसलिए एफपीओ को किसानों की आय में सुधार और बढ़ोतरी का एक जरिया माना जा रहा है। किसान FPO योजना से खासकर छोटे किसानों को काफी लाभ हो रहा है और उनकी आय में बढ़ोतरी हो रही है। 

FPO योजना देश के छोटे और सीमांत किसानों को होगा लाभ

जैसा कि लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी) और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड)देश में किसान उत्पादक संगठनों को बनाने और उनको बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने 2023-24 तक देश भर में 10 हजार किसान उत्पादन संगठन यानि एफपीओ की स्थापना का लक्ष्य रखा है। इससे विशेषकर देश के छोटे और सीमांत किसानों को लाभ होगा। 

क्या होता है एफपीओ

एफपीओ की का पूरा नाम फॉर्म फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन है। यह एक ऐसा संगठन होता है जिसके सदस्य किसान होते हैं। यह किसान संगठन कंपनी एक्ट के तहत पंजीकृत होता है। यह संगठन खेती-किसानी से जुड़े काम को आगे बढ़ाने में मदद करता है। इन्हें किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) कहा जाता है। एफपीओ के माध्यम से किसानों को तकनीकी, मार्केटिंग, ऋण, प्रोसेसिंग, सिंचाई आदि जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इस योजना के माध्यम से किसान समूह 15 लाख रुपए तक का ऋण भी ले सकते हैं। 

भारत में एफपीओ की क्यों हैं आवश्यकता

हमारे देश में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में एफपीओ के माध्यम से इन किसानों को फायदा हो सकता है। यदि किसान अकेले बाजार में अपनी उपज बेचने जाता है तो उसे उसका उचित दाम नहीं मिल पाता है। ऐसे में उसे औने-पौने दाम में अपनी फसल बेचने को मजबूर होना पड़ता है। लेकिन यदि वह किसान एफपीओ से जुड़ता है तो उसे इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। वे एफपीओ के माध्यम से बाजार में अपनी फसल का उचित मूल्य प्राप्त कर सकता है। इतना ही नहीं छोटे किसानों को अकेले कृषि यंत्र खरीदने में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यदि किसान एफपीओ से जुड़ जाता है तो उसे आसानी से कृषि यंत्र व उपकरण उपलब्ध हो जाते हैं। किसानों की इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकार किसान उत्पादक संगठन समूह बनाने पर जोर दे रही है। 

कैसे होता है एफपीओ का निर्माण

एफपीओ योजना के तहत यदि संगठन मैदानी क्षेत्र में काम करता है तो उसमें कम से कम 300 किसान जुड़े होने चाहिए। वहीं यह संगठन पहाड़ी क्षेत्र में काम करता है तो 100 किसानों को इससे जुड़े होने जरूरी है। तभी उन्हें सरकार से आर्थिक सहायता मिल सकेगी। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान समूह एफपीओ योजना के तहत आवेदन करना होता है उसके बाद सरकार की ओर से उन्हें मदद दी जाती है। 

एफपीओ योजना से किसानों को होने वाले लाभ (FPO Scheme)

एफपीओ योजना से किसानों को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार से हैं-
•    एफपीओ के माध्यम से किसानों को अपनी उपज के लिए बाजार मिलता है जिससे उन्हें उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त होता है।
•    एफपीओ के माध्यम से किसानों लिए खाद, बीज, दवाई और कृषि उपकरण जैसा जरूरी सामान खरीदना बेहद आसान होता है। 
•    एफपीओ से जुडऩे के बाद किसान बिचौलियों से मुक्ति हो पाएंगे। जिससे एफपीओ से जुड़े हर किसान को उसके उत्पाद का उचित दाम मिल सकेगा।
•    एफपीओ सिस्टम में किसानों को अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलता है।  
•    एसपीओ के माध्यम से किसानों को तकनीकी, मार्केटिंग, ऋण, प्रोसेसिंग, सिंचाई आदि जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती है।
•    इस योजना के माध्यम से किसान 15 लाख रुपए तक का ऋण ले सकते हैं।
•    एफपीओ से जुड़े हुए किसानों को बीज, खाद, मशीनरी, मार्केट लिंकेज, ट्रेनिंग, नेटवर्किंग, वित्तीय सहायता आदि जैसी सुविधाएं भी प्रदान की जाती है।
•    एफपीओ के माध्यम से पर्याप्त प्रशिक्षण और हैंड हैंडलिंग प्रदान की जाती है इसके अलावा सीबीओ के स्तर से प्राथमिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

अब तक देश में कितने एफपीओ की हुई स्थापना

केंद्र सरकार की ओर से 2023-24 तक देश भर में 10 हजार किसान उत्पादक संगठन यानि एफपीओ की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। इसमें केंद्र सरकार की ओर से हर जिले में एक एफपीओ खोला जाना है। अब तक देश के अलग-अलग राज्यों करीब 6419 एफपीओ खोलेे जा चुके हंै। इनमें कई एफपीओ काफी सफल भी रहे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि 2020 में 10,000 किसान उत्पादक संगठनों के गठन और संवर्धन के लिए केंद्रीय क्षेत्र स्कीम की शुरुआत की गई थी। इस स्कीम पर 6865 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं।

किस राज्य में कितने एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) 

केंद्र सरकार की ओर से देश के अलग-अलग राज्यों में किसान उत्पादक संगठन खोले जा रहे हैं। इस दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है। केंद्र सरकार के मुताबिक अब तक देश के विभिन्न राज्यों में खोले गए एफपीओ की राज्यवार संख्या इस प्रकार से हैं- 

क्र.सं      राज्य    एफपीओ की संख्या
1 कर्नाटक 551
2 मध्य प्रदेश 534
3 महाराष्ट्र 524
4 आंध्र प्रदेश 364
5 असम 148
6 बिहार 335
7 गुजरात 259
8 हरियाणा 175
9 हिमाचल प्रदेश 150
10 झारखंड 227
11 केरल 163
12 ओडिशा 394
13 . पंजाब 115
14 राजस्थान 323
15 तमिलनाडु 395
16 तेलंगाना 436
17 उत्तराखंड 142
18 उत्तर प्रदेश 416
19 पश्चित बंगाल 402


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