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पपीते की खेती पर मिलेगी 50 प्रतिशत सब्सिडी, होगी लाखों की कमाई

Published - 07 Dec 2021

पपीते की खेती : जानें, कहां करना है आवेदन और क्या देने होंगे दस्तावेज

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से बागवानी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए बागवानी फसलों पर केंद्र सरकार की ओर से किसानों के लिए राष्ट्रीय बागवानी विकास मिशन योजना संचालित की गई है। इसके तहत किसानों को विभिन्न बागवानी फसलों की खेती के लिए अनुदान (सब्सिडी) का लाभ प्र्रदान किया जाता है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ राज्य में उद्यानिकी विभाग की ओर से केंद्र पोषित राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसके तहत राज्य के किसानों को पपीता क्षेत्र विस्तार के तहत पपीते की खेती के लिए सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जा रहा है। इसके लिए राज्य के किसानों से आवेदन मांगे गए हैं। इच्छुक किसान इस योजना में आवेदन कर पपीते की खेती पर 50 प्रतिशत अनुदान (सब्सिडी) का लाभ ले सकते हैं। 

पपीते की खेती पर कितनी मिलेगी सब्सिडी

राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत पपीते की खेती पर प्रति हेक्टेयर करीब 60 हजार रुपए की लागत आती है, जिस पर 50 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान है। यानि पपीते की खेती के लिए आपको लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इस हिसाब से आपको पपीते की खेती के लिए 30 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाएगा। 

किसानों को किस तरह किया जाएगा सब्सिडी की राशि का भुगतान

राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी का भुगतान दो भागों में किया जाएगा। इसमें पहले साल कुल अनुदान राशि का 75 प्रतिशत अनुदान राशि दी जाएगी। दूसरे साल बाकी शेष रही 25 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जाएगा, जब खेत में 90 प्रतिशत पौधे जीवित हो। इसमें पहली किस्त के रूप में 22 हजार 500 रुपए (अनुदान की 75 प्रतिशत राशि) व दूसरी किस्त 7 हजार 500 रुपए की राशि किसानों को दी जाएगी। ये अनुदान 4 हेक्टेयर क्षेत्र तक के लिए दिया जाएगा। 

ड्रिप सिंचाई सिस्टम साथ लगवाने पर कितनी मिलेगी सब्सिडी

ड्रिप सिंचाई सिस्टम साथ लगवाने पर पपीते के बाग+ड्रिप सिस्टम पर 40 प्रतिशत या अधिकतम 8 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अनुदान (सब्सिडी) प्रदान किया जाएगा। इसमें भी सब्सिडी की 75 प्रतिशत राशि पहले साल और बाकी शेष राशि 25 प्रतिशत दूसरे साल 90 प्रतिशत पौधे जीवित रहने पर दी जाती है। इसमें पहली किस्त 6 हजार रुपए (अनुदान की 75 प्रतिशत राशि) और दूसरी किस्त 2 हजार रुपए की राशि किसानों के खातों में ट्रांसफर की जाएगी।

पपीते की खेती पर अनुदान (सब्सिडी) की प्रक्रिया (Papaya Farming)

पपीते की खेती पर अनुदान यानि सब्सिडी प्रदान करने की प्रक्रिया जो विभाग की ओर निर्धारित की गई है, वे इस प्रकार से हैं- 

  • किसान को नए बगीचे स्थापना / क्षेत्र विस्तार पर अनुदान दिया जाएगा।
  • एक कृषक/लाभार्थी को न्यूनतम 0.4 हेक्टेयर एवं अधिकतम 4.0 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए अनुदान देय होगा। वहीं अनुसूचित जाति/जनजाति के किसानों व जनजातिय क्षेत्रों के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल सीमा 0.2 हेक्टेयर रहेगी।
  • नए फल बगीचों की स्थापना में ड्रिप संयंत्र लगाना अनिवार्य रहेगा। ड्रिप संयंत्र की स्थापना के बाद ही किसानों को फलदार पौधे उपलब्ध कराएं जाएंगे। जनजाति क्षेत्र के छोटी जोत के किसानों को 0.4 क्षेत्र से कम क्षेत्र में बगीचे की स्थापना पर बूंद-बूंद सिंचाई संयंत्र की अनिवार्यता में छूट रहेगी। 
  • नए फल बगीचा स्थापना आवेदन-पत्र के साथ ड्रिप संयंत्र स्थापना हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत करना होगा।
  • ड्रिप संयंत्र की स्थापना के बिना फल बगीचे लगाने पर अनुदान नहीं दिया जाएगा। 

राज्य में 500 हेक्टेयर में पपीते की खेती का है लक्ष्य

छत्तीसगढ़ राज्य में पपीते की खेती के लिए वर्ष 2021-22 में पपीता क्षेत्र विस्तार अंतर्गत 500 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। बता दें कि राज्य में वर्ष 2019-20 में करीब 606 किसानों द्वारा 846 हेक्टेयर क्षेत्र में पपीता पौध का रोपण करवाकर सब्सिडी का लाभ प्राप्त किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2020-21 में भी पपीता क्षेत्र विस्तार हेतु 433 हेक्टेयर में 323 किसानों को लाभान्वित किया गया है।

इन जिलों के किसान कर सकते हैं आवेदन

छत्तीसगढ़ राज्य के उद्यानिकी विभाग की ओर से राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना का का संचालन किया जा रहा है। राज्य के 20 जिले बालोद, बलौदाबाजार, बलरामपुर, बेमेतरा, बिलासपुर, दुर्ग, गरियाबंद, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, जगदलपुर, जशपुर, कबीरधाम, कोंडागांव, कोरबा, कोरिया, मुंगेली, रायगढ़, रायपुर, राजनांदगांव, सूरजपुर एवं सरगुजा के किसान पपीते की खेती पर 50 प्रतिशत सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।  

पपीते की खेती पर सब्सिडी के लिए कहां करें आवेदन (Papaya Cultivation)

उद्यानिकी विभाग द्वारा राज्य में पपीते की खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2021-22 में पपीता क्षेत्र विस्तार अंतर्गत 500 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। इच्छुक किसान जो योजना के तहत पपीते की खेती करना चाहते हैं वह अपने निकटतम उप/सहायक संचालक उद्यान कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

पपीते की बागवानी पर सब्सिडी के लिए आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज

फलों की बागवानी पर सब्सिडी के लिए आवेदन हेतु किसानों को कुछ जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। जो इस प्रकार से हैं- 
•    किसान का भू स्वामित्व प्रमाण पत्र
•    स्थाई निवासी प्रमाण-पत्र
•    लाभार्थी के पास सिंचाई के साधन के दस्तावेज
•    आधार कार्ड एवं आधार लिंक मोबाइल नंबर
•    बैंक पास बुक की कॉपी
•    आवेदक की पासपोर्ट साइज फोटो
•    लघु, सीमांत, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र, यदि लागू होता है।  

क्या रहेगी किसानों के चयन की प्रक्रिया

पपीते पर सब्सिडी के लिए किसानों का चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा। फल बगीचों की स्थापना के लिए किसानों का चयन यथा संभव समूह में किया जाए। चयनित किसान के पास सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। किसान आधुनिक फसल उत्पादन तकनीक व बूंद-बंूद सिंचाई अपनाने पर सहमत होना चाहिए।

पपीते की खेती से कर सकते है लाखों की कमाई

राज्य के किसान योजना के तहत प्रति हेक्टेयर 2,777 पपीता के पौधे को रोपित कर प्रति पेड़ 40-50 फल तक उत्पादन ले रहे है। एक फल भार लगभग 0.5 किग्रा. से 3.0 किग्रा. तक होता है। पपीते के एक अच्छे बाग से औसतन 300-350 क्विंटल फल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष प्राप्त किया जा सकता है। इस तरह किसान प्रति हेक्टेयर पपीते की खेती पर लगभग राशि 60 से 65 हजार रुपए राशि व्यय कर 5 से 6 लाख  रुपए तक लाभ कमा सकते हैं।  

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