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टॉप 4 कृषि मशीनरी सब्सिडी योजनाएं : सभी पात्र किसानों को मिलेंगे कृषि उपकरण

Published - 01 Sep 2021

जानें, क्या है ये कृषि मशीनरी सब्सिडी योजनाएं और इससे कैसे मिलेगा लाभ

कृषि के क्षेत्र में मशीनों का प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है। कृषि मशीनों के उपयोग से खेती का का आसान हुआ है। पहले परंपरागत तरीके से खेतीबाड़ी का काम किया जाता था। इसमें अधिक श्रम और लागत लगती थी। जैसे-जैसे खेती में मशीनों का उपयोग होने लगा वैसे-वैसे खेतीबाड़ी में श्रम और लागत कम हुई है। इससे किसानों की आय बढ़ी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र एवं मशीनें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कई योजनाएं चला रखी हैं जिनका देश के किसानों को फायदा हो रहा है। इन योजनाओं के तहत राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर अपने राज्य के नियमानुसार सब्सिडी का लाभ किसानों को प्रदान करती है।

कृषि यंत्रों व मशीनों पर सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी प्रदान करने के पीछे सरकार का उद्देश्य यह है कि किसानों को सस्ती कीमत पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराएं जा सके ताकि उनका खेतीबाड़ी का काम आसान हो और उनकी आमदनी बढ़े। आज भी देश में ऐसे किसान हैं जिन्होंने सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं है। इससे वे इन योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते। आज हम किसानों को देश की टॉप चार कृषि मशीनरी योजनाओं के बारे में बता रहे है ताकि किसान भाई इससे फायदा उठा कर उत्पादन लागत में कमी करने के साथ ही अपनी आय में भी बढ़ोतरी कर सकेंगे। आइए जानतें है कौनसी है वे टॉप 4 कृषि मशीनरी सब्सिडी योजनाएं और इसका आप कैसे लाभ उठा सकते हैं। 

 

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1 


1. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना

कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों में (11वीं पंचवर्षीय योजना में) 4 प्रतिषत वार्षिक वृद्धि दर अर्जित करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा एक विशेष अतिरिक्त केंद्रीय सहायता की नई योजना राष्ट्रीय कृषि विकास योजना वर्ष 2007-08 में लागू की गई थी। इस योजना में वर्ष 2007-08 से 2014-15 तक शत-प्रतिशत राशि केंद्रीय सहायता के रूप में भारत सरकार से प्राप्त हो रही थी। 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) में भी यह योजना भारत सरकार द्वारा जारी रखी गई, लेकिन वर्ष 2015-16 से केंद्रियांश एवं राज्यांश 60: 40 प्रतिशत के रूप में कर दिया गया। भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के नवीन ऑपरेशनल दिशा-निर्देश वर्ष 2017-18 से 2019-20 जारी किए गए। राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत कृषि, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य पालन, सहकारिता, डेयरी, वन विभाग, कृषि विपणन बोर्ड, कृषि विश्वविद्यालयों, पशु विज्ञान व पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय आदि को परियोजना आधारित सहायता प्रदान की जाती है। बता दें कि केंद्र की इस योजना के आधार पर जिला एवं राज्यों के लिए कृषि योजनाएं बनाई जाती है। कृषि मशीनरी की बात करें, तो इसके तहत फार्म मशीनीकरण, उन्नत व महिला अनुकूल उपकरणों,  औजारों के लिए सहायता प्रदान की जाती है। लेकिन सहायता केवल आरकेवीवाई (अवसंरचना तथा संपति) स्ट्रीम के तहत कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना के लिए सीमित होनी चाहिए।


2. कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने छोटे और सीमांत किसानों और कम कृषि शक्ति की उपलब्धता वाले क्षेत्रों तथा दुर्गम क्षेत्रों तक कृषि मशीनीकरण की पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से 2014-15 में कृषि मशीनीकरण पर एक उप-मिशन (एसएमएएम) की शुरुआत की। कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए उन्नत कृषि उपकरण और मशीनरी आधारित आधुनिक कृषि के लिए आवश्यक जानकारी है जो मानव परिश्रम और खेती की लागत को कम करने के अलावा फसलों की उत्पादकता को बढ़ाते हैं। मशीनीकरण से किसानों की आय और कृषि अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने के लिए कृषि क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक माने जाने वाले अन्य इनपुट की उपयोग दक्षता में सुधार करने में भी मदद मिलती है। देश में कृषि मशीनीकरण को मजबूत करने तथा और अधिक समग्रता लाने के उद्देश्य से कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) शुरू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि छोटे और खंडित जोत और व्यक्तिगत स्वामित्व की उच्च लागत के कारण बड़े आकार की प्रतिकूल अर्थव्यवस्थाओं को संतुलित करने के लिए कस्टम हायरिंग केंद्रों और उच्च मूल्य की मशीनों के उच्च-तकनीक हब को बढ़ावा दिया जाए, प्रदर्शन और क्षमता निर्माण गतिविधियों के माध्यम से हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा हो और देश भर में बने निर्दिष्ट परीक्षण केंद्रों पर कृषि मशीनों के प्रदर्शन, परीक्षण और प्रमाणन को सुनिश्चित किया जा सके।   


कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन की प्रमुख गतिविधियां

  • इस योजना को छोटे और सीमांत किसानों की मदद के लिए शुरू किया गया है. इसके माध्यम से किसानों को सशक्त बनाया जाता है।
  • इसके लिए भारत सरकार की तरफ से कृषि मशीनीकरण की विभिन्न गतिविधियों. जैसे कस्टम हायरिंग सेंटर, कृषि मशीनरी बैंक, हाई-टेक हब की स्थापना और वितरण के लिए धनराशि जारी की जाती है।


3. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन

इस योजना के तहत कृषि उत्पादकता में सुधार लाया जाता है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि नए कृषि यंत्र खरीदने की बजाय पुरानी मशीनरी को बेहतर बनाया जाए. इस पर ध्यान केंद्रित किया जाए, क्योंकि कृषि मशीनरी का निरंतर उपयोग करने से कुछ खामियां तो जरूर आ जाती हैं। ऐसे में आप राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत कृषि मशीनरी से जुड़ा लाभ उठा सकते हैं।


राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन की कृषि क्षेत्र में गतिविधियां

  • इस योजना के तहत किसानों, स्व सहायता समूह, फार्मर प्रोडूसर आर्गेनाईजेशन आदि को फसलों के उत्पादों की मार्केटिंग के लिए दाल मिल की स्थापना, ग्रेडिंग के लिए उपकरण, दालों व मिलेट्स की मार्केटिंग आदि के लिए अनुदान स्माल फार्मर एग्रीकल्चर कंसोर्टियम के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। 
  • राष्ट्रय खाद्य सुरक्षा अभियान (एनएफएसएम) वर्ष 2007-08 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य, खेती के रकबे का विस्तार और उत्पादकता बढ़ाने के माध्यम से चावल, गेहूं और दालों के उत्पादन को बढ़ाना, मिट्टी की उर्वरता और उत्पादकता में सुधार करना, रोजगार के अवसर पैदा करना और कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना है। 
  • इसी योजना के तहत किसान के खेत में मशीनीकरण को मजबूत करने के लिए वर्ष 2014-15 से 2019-2020 तक एनएफएसएम के तहत लगभग 15 लाख उन्नत कृषि उपकरण वितरित किए गए। 
  • वहीं हर खेत को पानी और प्रति बूंद अधिक फसल के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, वर्ष 2014-15 से 2019-2020 तक के एनएफएसएम के तहत किसानों के बीच 2,74,600 पंप सेट और 1,26,967 पानी का छिडक़ाव करने वाले यंत्र तथा पानी ले जाने वाले लगभग 764 लाख मीटर पाइप वितरित किए गए। 


4. नाबार्ड ऋण

नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) भारत में एक विकास वित्तीय संस्था है जो कृषि और ग्रामीण संबंधित उपक्रमों के लोन प्रोजेक्ट, नीति और संचालन के लिए लोन प्रदान करता है। नाबार्ड कृषि संबंधी गतिविधियों और ग्रामीण विकास के लिए लोन प्रदान करता है। संस्था का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों का विकास है। जानकारी के लिए बता दें कि नाबार्ड योजना के तहत ट्रैक्टर की खरीद पर 30 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसके अलावा अन्य कृषि मशीनरी के लिए 100 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। इस तरह किसानों को खेती करने के लिए बहुत आसानी से कृषि मशीनरी उपलब्ध हो जाते हैं और कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ाने का एक अवसर प्राप्त होता है।


नाबार्ड द्वारा कृषि व ग्रामीण क्षेत्र विकास में गतिविधियां

  • यह ग्रामीण भारत के सुधार और विकास के लिए वित्तीय सेवाएं प्रदान करता है।
  • कृषि और खेती की गतिविधियों के लिए फंड प्रोग्राम का आयोजन और मैनेजमेंट करता है।
  • ग्रामीण वित्तीय संस्थानों के लिए पॉलिसी बनाता है।
  • नाबार्ड नामित फूड पार्क में फूड और खाद्य प्रोसेसिंग यूनिट के विकास के लिए वित्तीय सेवाएं प्रदान करता है।
  • नाबार्ड गोदाम और कोल्ड चेन और कोल्ड स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर को लोन सेवाएं प्रदान करता है।
  • यह अपने ग्राहकों को शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म फाइनेंस सेवाएं प्रदान करता है और सहकारी बैंकों को डारेक्ट रि-फाइनेंस सेवाएं भी प्रदान करता है।
  • यह मार्केटिंग फेडरेशन को लोन सुविधाएं प्रदान करता है।
  • दीर्घकालिक सिंचाई और रुरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड की विशेष रुप से मदद करता है।


कृषि मशीनरी पर सब्सिडी मिलने का तरीका

कृषि मशीनरी पर सब्सिडी सब्सिडी का लाभ दो तरीके से दिया जाता है। पहला प्रत्यक्ष नकद सब्सिडी और दूसरा अप्रत्यक्ष सब्सिडी। प्रत्यक्ष एक नकद के रूप में है, जो कि किसानों के लिए काफी सहायक है, तो वहीं अप्रत्यक्ष सब्सिडी कृषि आय को कर-मुक्त आय बनाकर है।


कृषि मशीनरी पर सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज

कृषि मशीनरी पर सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के लिए किसान भाइयों को कुछ आवश्यक दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। किसानों को सरकारी योजना में आवेदन करते समय इन दस्तावेजों को अपने पास रखना चाहिए ताकि आवेदन भरते समय कोई परेशानी नहीं हो। यह दस्तावेज इस प्रकार से हैं-

  • आवेदन करने वाले किसान का आधार कार्ड
  • किसान का वोटर आईडी, वोटर कार्ड, 
  • बैंक खाता संख्या या बैंक से कॉपी (स्टेटमेंट), खाता विवरण
  • आवेदन का पैन कार्ड
  • आवेदक का मोबाइल नंबर
  • इसके अलावा अन्य जानकारियां जैसे-नाम और जन्म तिथि, आवेदन पत्र और भुगतान रसीद आदि शामिल हैं।

 

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