पशुओं को लू से बचाने के उपाय : जानें, आवास, आहार और उपचार की जानकारी

Share Product Published - 20 May 2022 by Tractor Junction

पशुओं को लू से बचाने के उपाय : जानें, आवास, आहार और उपचार की जानकारी

भीषण गर्मी से पशु भी परेशान, ऐसे करें उपचार

गर्मियों का मौसम चल रहा है। इन दिनों पूरे देश में लू का प्रकोप बना हुआ है। भीषण गर्मी से मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी सहित सभी जीव जंतु बेहाल हैं। इससे दूधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता, भोजन की मात्रा और व्यवहार में भी बदलाव हुआ है। ऐसे में हमें विशेषकर दूधारू पशुओं के संबंध में इस मौसम में उनका विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है जिससे दूध उत्पादन में कमी नहीं आ पाए। हालांकि सर्दियों की अपेक्षा गर्मियों में दूध का उत्पादन कम हो जाता है, गाय, भैंस कम दूध देना शुरू कर देते हैं। लेकिंन यदि इनका सही तरीके से आवास, आहार और उपचार की व्यवस्था की जाए तो दूध उत्पादन में बहुत अधिक गिरावट नहीं आती है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको गर्मियों में पशुओं के आवास, आहार और उपचार से संबंधित जानकारी दे रहे हैं। 

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कैसे पता करें कि पशु को लू लग गई है/लू लगने के लक्षण

पशु को लू लग जाने पर उसके शरीर और व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिलता है। कई बार लू लगने से पशु की मौत तक हो जाती है। पशु में लू लगने पर जो लक्षण दिखाई देते हैं, वे इस प्रकार से हैं-

  • पशुु को लू लगने पर 106 से 108 डिग्री फेरनहाइट तेज बुुखार होता है। इसके कारण पशु सुस्त होकर खाना-पीना छोड़ देता है।
  • लू लगने पर पशु की मुंह से जीभ बाहर निकल जाती है और उसे सही तरह से सांस लेने में कठिनाई होती है। वहीं पशु के मुंह के आसपास झाग आ जाते है।
  • लू लगने पर पशु की आंख व नाक लाल हो जाती है। ऐसे में अक्सर पशु की नाक से खून आना शुरू हो जाता है।
  • नक्सीर आने पर पशु के हृदय की धडक़न तेज हो जाती है और उसे सांस लेने में कठिनाई का अनुभव होती है। जिससे पशु चक्कर खाकर गिर जाता है तथा बेहोशी की हालत में ही मर जाता है।

पशु को लू और गर्मी से बचाने के लिए क्या करें उपाय

पशु के लू लगने पर उसे बचाने के लिए हमें कुछ सावधानियां रखनी चाहिए जो इस प्रकार से हैं-

  • पशु आवास में स्वच्छ वायु जाने एवं दूषित वायु बाहर निकलने के लिये रोशनदान होना चाहिए।
  • गर्म दिनों में पशु को दिन में नहलाना चाहिए विशेषकर भैंसों को ठंडे पानी से नहलाना चाहिए। 
  • गर्मियों के दिनों में पशु को ठंडा पानी पर्याप्त पिलाना चाहिए। 
  • संकर नस्ल के पशु जिनको अधिक गर्मी सहन नहीं होती है उनके आवास में पंखे या कूलर लगाना चाहिए।
  • पशुओं का चराई के लिए सुबह जल्दी और शाम को देर से भेजना चाहिए। 

गर्मियों में पशुओं के आहार में करें बदलाव

गर्मियों के मौसम में पशु के आहार में परिवर्तन करना भी जरूरी है, क्योंकि इन दिनों पशुओं को कम आहार और अधिक पानी की आवश्यकता होती है। गर्मी के मौसम में पशुओं को सूखे चारे की जगह हरे चारे की अधिक मात्रा अधिक देनी चाहिए। हरे चारे के दो लाभ हैं, एक पशु अधिक चाव से स्वादिष्ट एवं पौष्टिक चारा खाता है। दूसरा हरे चारे में 70-90 प्रतिशत तक पानी की मात्रा होती है, जो समय-समय पर पशु के शरीर में जल की पूर्ति करता है। देखा गया है कि प्राय: गर्मी में मौसम में हरे चारे का अभाव रहता है। इसलिए पशुपालक को चाहिए कि गर्मी के मौसम में हरे चारे के लिए मार्च, अप्रैल माह में मूंग, मक्क, काऊपी, बरबटी आदि की बुवाई करें जिससे गर्मी के मौसम में पशुओं को हरा चारा उपलब्ध हो सके। ऐसे पशुपालन जिनके पास सिंचित भूमि नहीं है, उन्हें समय से पहले हरी घास काटकर एवं सुखाकर तैयार कर लेना चाहिए। यह घास प्रोटीन युक्त, हल्की व पौष्टिक होती है।

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गर्मियों में पशु के लिए पानी  की व्यवस्था

गर्मियों के मौसम में पशुओं को भूख कम और प्यास अधिक लगती है। इसलिए पशुपालकों को पशुओं को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं, पशु को दिन में कम से कम तीन बार पानी जरूर पिलाना चाहिए। इससे पशु को शरीर के तापक्रम को नियंत्रित करनेे में सहायता मिलती है। इसके अलावा पशु को पानी में थोड़ी मात्रा में नमक एवं आटा मिलाकर पानी पिलाना चाहिए।

पशुओं को लू लगने पर क्या करें उपचार

यदि पशु को लू लग गई है तो इसके लिए आप ये उपाय कर सकते हैं जिससे पशु को राहत मिलेगी। यह उपाय बिहार पशुपालन विभाग की ओर से साझा किये गए हैं 

  • पशु को लू लगने पर उसे पानी से भरे गड्ढे में रखकर, उस पर ठंडे पानी का छिडक़ाव करना चाहिए।
  • पशु के शरीर पर बर्फ या ऐल्कोहॉल को रगडऩा चाहिए। इससे पशु को राहत मिलेगी।
  • पशु को प्याज और पुदीने से बना अर्क पिलाना चाहिए।  
  • पशु को ठंडे पानी में चीनी, भुने हुए जौ और नमक का मिश्रण पिलाना चाहिए। इससे भी लू से बचाव होता है। 
  • यदि इन उपयों के बाद भी पशु को आराम नहीं मिलता है तो उसे नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करके उचित उपचार करना चाहिए।


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