गन्ने की फसल से अधिक मुनाफा कमाने के लिए करें ये उपाय

Share Product Published - 19 Jan 2021 by Tractor Junction

गन्ने की फसल से अधिक मुनाफा कमाने के लिए करें ये उपाय

जानें, गन्ने की फसल उत्पादन काल में बरती जाने वाली सावधानियां व उपाय?

गन्ना भारत वर्ष में उगाई जाने वाली एक प्रमुख नकदी / व्यावसायिक फसल है, जो कि भारतीय शक्कर उद्योग का आधार है किंतु इसके बाद भी किसान इस फसल से उचित लाभ प्राप्त करने में असमर्थ हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि चीनी मिलों की मांग के अनुरूप गन्ने का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। इधर किसान की गन्ना उत्पादन में आने वाली लागत बढ़ रही है। इससे किसानों के लिए गन्ने का उत्पादन करना महंगा सौदा साबित होता जा रहा है। यदि किसान गन्ने की फसल के उत्पादन काल में कुछ महत्वपूर्ण उपायों को अपनाने तो अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसके लिए किसान को आधुनिक तरीके अपनाने होंगे जिससे उत्पादन लागत को कम किया जा सके ताकि किसानों को इस फसल का पूरा लाभ मिल सके। आज आवश्यकता इस बात की है कि खेती को बाजार आधारित बनाया जाए। इसके लिए किसान को चाहिए कि वे आधुनिक तकनीक के साथ ही बाजार के रूख को पहचाने और उसी अनुरूप खेती करें। इसके लिए जरूरी है कि उसे सही उत्पादन तकनीक का पता हो। आज इसी विषय लेकर हम आए है कि किसान भाई गन्ना उत्पादन में क्या-क्या सावधानियां और उपाय करें ताकि अच्छा मुनाफा मिल सके। आज हम आपको उन उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों को बताएंगे जो आपकी आय में वृद्धि करने में सहायक हो सकते हैं।

 

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खेत की तैयारी, ऐसे करें जुताई

एक बार लगाने के बाद गन्ना खेत में 3-4 साल तक लगा रहता है। इस कारण खेती की खड़ी, आड़ी एवं गहरी जुताई करें। अंतिम जुताई के बाद पाटा चलकर खेत को समतल करें। रिज फरो की सहायता से गहरी नालियां बनायें क्योंकि जितनी गहरी नालियां बनेगी उतनी ही मिट्टी चढ़ाने हेतु मिलेगी जिससे गन्ने में अच्छी बढ़वार प्राप्त होगी और गिरने की समस्या भी कम होगी।

 


पौध ज्यामितीय का रखें ध्यान

  • किसी भी फसल के उन्नत एवं अधिक उत्पादन लेने के लिए उसका पौध विन्यास एक महत्वपूर्ण कारक है। अत: गन्ना लगाते समय भी पौध ज्यामितीय का ध्यान रखना आवश्यक है।
  • गन्ना मुख्यत: तीन प्रकार से लगाया जाता है-
  • 3-4 आंख के टुकड़े नालियों के बीच 3 फुट दूरी पर टुकड़े सिरे-से-सिरा मिलाकर लगायें। इस विधि में बीज की मात्रा 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक लगती है।
  • 2 आंख के टुकड़े नालियों के बीच 3 फुट दूरी एवं दो टुकड़ों के बीच 9 इंच दूरीकर लगाएं। इस विधि से 55-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा लगती है।
  • एक आंख का टुकड़ा नालियों के बीच 3 फुट दूरी दो टुकड़ों के बीच 1 फुट की दूरी रखकर लगाएं इसमें बीज मात्रा 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर लगती है।


बीज का चुनाव करने में ये बरते सावधानियां

  • उन्नत जाति के बीज का चयन करें।
  • बीज की उम्र 8-9 माह हो तो सर्वोत्तम है।
  • बीज रोग एवं कीट ग्रस्त नहीं हो।
  • ताजा बीज ही उपयोग करें। बीज काटन एवं लगाने में कम से कम अंतर हो।
  • बीज उपचारित करें अथवा टिश्यू कल्चर से उत्पादित बीज का ही चयन करें।

 

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बीज बोने का सर्वोत्तम समय

गन्ना बोने का सर्वोत्तम समय शरद कालीन गन्ने के लिए अक्टूबर-नबंवर एवं बसंत कालीन गन्ने की फसल के लिए फरवरी-मार्च तक है। इस समय साधारणत: दिन गर्म एवं रातें ठंडी होती हैं। अर्थात् दिन व रात के औसत तापमान में 5-10 डिग्री सेल्सियस तक का अंतर होता है एवं तापमान का यह अंतर गन्ने के अंकुरण के समय अनुकूल होता है।


इस तरह करें बीजोपचार

  • नम गर्म हवा संयंत्र द्वारा उपचार करावें।
  • 1250 ग्राम कार्बेन्डाजिम, 1250 मिली मैंकोजेब 250 लीटर पानी में घोलकर तैयार टुकड़ों को 30 मिनिट डुबायें। अथवा 23 किलो चूने को 100 लीटर पानी में बुझा लेने के बाद, तैयार टुकड़ों को 30 मिनिट तक उपचारित करें।


इस तरीके से करें बुवाई

  • सिंचाई के साथ-साथ मेड़ों के ऊपर पहले से बिछाये गये टुकड़ों को गीली मिट्टी में पैर से या हाथ से दबाएं।
  • सूखी बोनी- नालियों में गन्ने के टुकड़े बिछाकर फिर हर एक मेढ़ छोडक़र दूसरी को उल्टे बखर से समतल करें। यह मिट्टी बिछाये गन्ने को दबा देगी तथा सिंचाई में सुविधा होगी।


खरपतवार नियंत्रण के लिए अपनाएं उपाय

  • गन्ना बोने के 15-20 दिन बाद एक गुड़ाई चाहिए। जिससे अंकुरण अच्छा होता है। इसके बाद फसल को आवश्यकतानुसार निंदाई-गुड़ाई कर एवं खरपवतार नाशियों का प्रयोग कर 90 दिन तक नींदा रहित रखें। अर्थात् बुवाई से 90 दिन तक गन्ना के खरपतवार हेतु क्रोनिक अवस्था है। अत: इस समय में खरपतवार की रोकथाम न करने से सर्वाधिक हानि होती है।
  • खरपतवार की रोकथाम के लिए कीटनाशकों का छिडक़ाव किया जा सकता है। इसके लिए एट्रॉजीन 2 कि.ग्रा. अथवा ऑक्सीफ्लोरकेन 0.75 कि.ग्रा./हेक्टेयर का छिडक़ाव बुवाई की तीसरे दिन तक 600 लीटर पानी के घोल बनाकर फ्लैट फेन नोजल का प्रयोग करते हुए छिडक़ाव करें।
  • अधिकतम गन्ना उपज के लिए एट्रॉजीन 1.0 कि.ग्रा./हे. बुवाई के तीसरे दिन के साथ 45 दिन बाद ग्लायफोसेट 1.0 ली./ हे. हुड स्प्रेयर के साथ नियंत्रित छिडक़ाव तथा 90 दिन की फसल अवस्था पर निदाईं करवायें।
  • यदि अंकुरण पूर्व छिडक़ाव नहीं कर पाते हैं तब ग्रेमेक्जोन 1.0 ली. 2,4-डी सोडियम साल्ट 2.5 कि.ग्रा./हे. को 600 ली. पानी में घोलकर बुवाई के 21 दिन की अवस्था में छिडक़ाव करें।
  • यदि परजीवी खरपतवार स्ट्राइगा की समस्या है तब 2,4 डी सोडियम सॉल्ट 1.0 कि.ग्रा./हे. 500 ली. पानी में घोलकर छिडक़ाव करें अथवा 20 प्रतिशत यूरिया का नियंत्रित छिडक़ाव कर भी स्ट्राइगा को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • मौथा आदि के लिए ग्लायफोसेट 2.0 कि.ग्रा./हे. के साथ 2 : अमोनियम सल्फेट का छिडक़ाव बुुवाई के 21 दिन पूर्व करें तथा बुवाई के 30 दिन बाद पुन: स्पेशल हुड से 2.0 कि.ग्रा./हेक्टेयर एवं 2 प्रतिशत अमोनियम सल्फेट का घोल का नियंत्रित छिडक़ाव करने से मौथा पर अच्छा नियंत्रण प्राप्त होता है।
  • अंतरवर्तीय फसल विशेषकर सोयाबीन, उड़द अथवा मूंगफली के साथ गन्ना फसल होने पर थायबेनकार्ब 1.25 कि.ग्रा./हेक्टेयर की दर में अंकुरण पूर्व उपयोग करना लाभदायक होता है।


मिट्टी चढ़ाना एवं संघाई क्रिया

गन्ना फसल के लिए मिट्टी चढ़ाना एक महत्वपूर्ण सस्य वैज्ञानिक क्रिया है। क्योंकि गन्ना की ऊंचाई बढऩे पर गन्ना गिरना एक प्रमुख समस्या बन जाती है। जिससे उत्पादन में बहुत हानि होती है। अत: वर्षा पूर्व गन्ना फसल में मिट्टी चढ़ाने का कार्य किया जाना आवश्यक है। इस प्रकार मिट्टी चढ़ाने में गन्ना फसल की जड़ों में मजबूत पकड़ प्राप्त होती है। कल्लों के निकलने पर भी रोक लगती है। गन्ना तेज हवाओं से न गिरे इसके लिए कतारों के गन्ने की झुंडी को गन्ने की सूखी पत्तियों से बांधना चाहिए। यह कार्य अगस्त अंत में या सितम्बर माह में करें। बंधाई का कार्य इस प्रकार करें कि हरी पत्तियों का समूह एक जगह एकत्र न हो अन्यथा प्रकाश संलेषण क्रिया प्रभावित होगी।

 

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कब और किन अवस्थाओं में करें सिंचाई

गन्ना फसल के सफल उत्पादन हेतु लगभग 220-250 से.मी. सिंचाई की आवश्यकता होती है। गन्ना फसल से अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने हेतु मौसम के अनुसार सर्दी के मौसम में 15-20 दिन के बाद तथा गर्मी के मौसम में 10-12 दिन के बाद पर सिंचाई करनी चाहिए। इस प्रकार संपूर्ण फसल काल में लगभग 10-12 दिन सिंचाई की आवश्यकता होती है।


कम पानी में अधिक उत्पादन कैसे लें?

  • गन्ने की कतारों में सूखी पत्तियों की पलवार बिछाएं।
  • जब खेत में पानी की कमी संभावित हो 2.5 प्रतिशत एमओपी का घोल 2 प्रतिशत यूरिया मिलाकर 15-20 दिन के अंतर से छिडक़ाव करें।
  • जिप्सम एवं गोबर की खाद का प्रयोग अवश्य करें।
  • उन्नत सिंचाई तकनीकें जैसे टपक सिंचाई विधि एवं अधो सतही सिंचन का प्रयोग कर पानी बचाएं।
  • कतार छोड़ सिंचाई पद्धति अपनाएं।

 

 

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