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कृषि यंत्रों पर सब्सिडी : अब इन नए कृषि यंत्रों पर मिलेगी सब्सिडी

Published - 31 Dec 2020

नई कृषि मशीनें केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा विकसित, सरकार ने दिए अनुदान सूची में जोडऩे के निर्देश

कृषि के काम को आसान बनने के लिए अनेक प्रकार के कृषि यंत्र उपलब्ध है। वहीं नए-नए कृषि यंत्र तैयार किए जा रहे हैं। इन आधुनिक व नए विकसित किए जा रहे कृषि यंत्रों की सहायता से कम समय व श्रम में अधिक कार्य करना संभव हो जाता है। कृषि विश्वविद्यालय में कृषि कार्यों में काम आने वाले नए तरीके के कृषि यंत्र विकसित गए जो खेती के काम को आसान बनाने में मददगार साबित हो रहे हैं। इसी कड़ी ऐसी ही कुछ नई कृषि मशीनें केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा विकसित की गई हैं। इन नए कृषि यंत्रों को किसानों को अनुदान पर उपलब्ध करवाने के लिए मध्यप्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री भरत सिंह कुशवाह अनुदान पर दिए जाने वाले कृषि यंत्रों की सूची में जोड़ने के निर्देश दिए हैं।

 

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लहसुन, प्याज, भिंडी आदि उद्यानिकी फसलों की बुवाई व प्लांटेशन में उपयोगी है ये मशीनें

केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा विकसित की गई मशीनें लहसुन, प्याज, भिंडी आदि उद्यानिकी फसलों की बुवाई में उपयोगी हैं। इसे देखते हुए मध्यप्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री  भरत सिंह कुशवाह ने केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान नबीबाग का दौरा किया। उन्होंने यहां विज्ञानिकों के द्वारा विकसित नए कृषि यंत्रों का अवलोकन किया एवं उनके कार्यों को समझा। उन्होंने कहा कि लहसुन, प्याज, भिंडी आदि उद्यानिकी फसलों की बुवाई, प्लांटेशन की केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी द्वारा निर्मित नई मशीनें किसानों को उपलब्ध करवाने में सरकार अनुदान देगी।

 


नई मशीनें खरीदने पर दिया जाएगा अनुदान

राज्य मंत्री श्री कुशवाह ने प्याज भंडारण के लिए बहुत ही कम कीमत में नई तकनीक से विकसित तकनीक को भी समझा और इसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि उद्यानिकी फसलों की खेती करने वाले किसानों के लिए बुवाई, पौध रोपाई, निराई गुडाई आदि के लिए हाल ही में विकसित मशीनें और तकनीक किसानों के जीवन में चमत्कारिक बदलाव ला सकती है। जरूरत है किसानों को इन मशीन और तकनीकों को अपनाने में मदद देने की। अधिकारियों को परंपरागत मशीनों के स्थान पर उन्नत नई मशीनों को अनुदान सूची में शामिल करने के निर्देश दिए। राज्य मंत्री श्री कुशवाह ने कहा कि किसानों को सब्जी और फलों की खेती के लिए विकसित नई मशीनों को खरीदने पर अनुदान दिया जाएगा।

 

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सब्जी, मसाले और फलों का प्रसंस्करण खुद करेंगे किसान, दिया जाएगा प्रशिक्षण

राज्य मंत्री श्री कुशवाह ने कृषि अभियांत्रिकी संस्थान के भ्रमण के बाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित फल अनुसंधान केन्द्र ईंटखेड़ी का अवलोकन किया। राज्य मंत्री श्री कुशवाह ने केन्द्र में मसाले और फलों की प्रसंस्करण इकाई को देखा। उन्होंने कहा कि प्रसंस्करण की यह छोटी-छोटी इकाइयों का लाभ किसानों को भी मिलेगा। इन इकाइयों को किसान खुद संचालित कर सकता है। उन्होंने कहा कि अब उद्यानिकी कृषक केवल सब्जी, फलों की फसले उत्पादित ही नहीं करेगा बल्कि इनका प्रसंस्करण भी करेगा। किसान उद्यानिकी फसल को कच्चे उत्पाद को व्यापारियों को कम कीमत पर नहीं बल्कि प्रसंस्करण कर धनिया, हल्दी, मिर्ची, मसाले, टमाटर, आलू आदि का प्रसंस्करण कर तैयार सामग्री सीधे उपभोक्ताओं तक देगा। इसके लिए किसानों को छोटी फुड प्रोसेसिंग इकाई लगाने में और फुड प्रोसेसिंग का प्रशिक्षण देने में उद्यानिकी विभाग द्वारा योजना बना ली गई है।

 

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50 नई सिंचाई योजनाओं का वर्जुअल लोकार्पण, 30 हजार करोड़ रुपए होंगे खर्च

मध्यप्रदेश में 50 नई सिंचाई योजनाओं का वर्जुअल लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर मिंटो हॉल में सिंचाई योजनाओं के वर्चुअल लोकार्पण और भूमिपूजन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहा कि सिंचाई रकबा 65 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाया जाएगा। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में निर्मित सिंचाई क्षमता का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। इस वर्ष गेहूं उत्पादन उपार्जन में मध्यप्रदेश ने पंजाब को पीछे छोड़ दिया। कोरोना काल में कम से कम अन्न का कोई संकट नहीं रहा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में सिंचाई रकबा सिर्फ सात-आठ लाख हेक्टेयर हुआ करता था जिसे बढ़ाकर हम चालीस लाख हेक्टेयर के आगे ले गए। अब 65 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य है। एक-एक इंच कृषि भूमि सिंचित होगी। 

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आने वाले एक वर्ष में 30 हजार करोड़ रुपए की योजनाएं मंजूर की जाएंगी। नर्मदा जल का पूरा उपयोग किया जाएगा। तीन वर्ष में नर्मदा योजनाओं के क्रियान्वयन को भी पूर्ण किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर किसान रेल चल रही है। किसानों को उत्पादन का सही मूल्य मिले इसके लिए निरंतर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। प्रदेश में 27 वृहद, 47 मध्यम और 287 लघु सिंचाई परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। इनकी लागत 60 हजार 737 करोड़ है। इन सभी की सिंचाई क्षमता 24 लाख हेक्टेयर होगी। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभ से प्रदेश के किसान पुन: लाभान्वित हो रहे हैं। अब योजना पुन: गति में आएगी, इसके तहत किसान को मिलने वाली 6 हजार रूपए की राशि में 4 हजार का योगदान राज्य सरकार दे रही है।

 

 

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