मृदा स्वास्थ्य कार्ड : स्वस्थ मृदा, खुशहाल किसान

Share Product Published - 13 Nov 2019 by Tractor Junction

मृदा स्वास्थ्य कार्ड : स्वस्थ मृदा, खुशहाल किसान

‘‘दूनिया के सात सुखों में से पहला सुख निरोगी काया है’’, एक परिवार में यदि माता निरोगी होती है तो वह पूरे परिवार का पालन-पोषण बहुत अच्छे तरीके से कर सकती है। उसी तरह मिट्टी जो सम्पूर्ण संसार भर के भरण पोषण करती है, वह निरोगी होगी तो उत्पादित खाद्यान्न स्वास्थ्यवर्धक होगा।

मनुष्य को बेहतर स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है उसी तरह फसलों को मिट्टी से संतुलित रूप में पोषक तत्वों आवश्यकता होती है। बंपर उत्पादन हेतु असंतुलित उर्वरकों तथा रसायनों के प्रयोग से मिट्टी की उत्पादन क्षमता में तथा संकर किस्मों के बीजों के उपयोग से मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी बहुत तेजी से हो रही है।

उर्वरको एवं रसायनों की पर्याप्त जानकारी के अभाव में किसान अक्सर नाइट्रोजन का अत्यधिक प्रयोग करते हैं जो न सिर्फ कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के लिए खतरनाक है बल्कि इससे भूमिगत जल में नाइट्रेड की मात्रा बढ़ने से कई तरह की पर्यावरणीय समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। मिट्टी परीक्षण मूल्यों के आधार पर पोषक तत्वों की उचित मात्रा का उपयोग हो इसलिए किसानों को मिट्टी के स्वास्थ्य की जानकारी होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मृदा के परिक्षण तथा उत्पादन बढ़ाने एवं लागत कम करने के लिए फरवरी, 2015 को राष्ट्रव्यापी मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (SHC) का शुभारम्भ राजस्थान के सूरतगढ़ में किया।

 

मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC)

1. उद्देश्यः-

मिट्टी में पोषक तत्वों की स्थिति और फसल उत्पादकता को प्रभावित करने वाले तत्वों की मृदा मापदंडों के अनुसार फसल उत्पादकता की क्षेत्र-विशिष्ट विस्तृत रिपोर्ट जारी करना एवं रिपोर्ट के अनुसार कृषि विशेषज्ञों द्वारा सुझाव व सलाह देना।

2. क्रियाविधियां

खेत से मिट्टी का नुमना लेनाः-

मिट्टी का नमूना ‘‘वी’’ आकार में (फसल की कटाई के बाद) 15 से 20 सेमी की गहराई से सरकार द्वारा मनोनीत एक प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा लिया जाता है। यह खेत के चारों कोनो व मध्य से लिया जाता है (छाया वाले भाग से नमूना एकत्रित नहीं किया जाता)। इन पांचो नमूनों को मिलाकर इसमें से एक भाग को प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए उपयोग में लिया जाता है ।

नमूने का मानकः-

मिट्टी का नमूना राजस्व मानचित्रों व जी.पी.एस. उपकरण की मदद से सिंचित क्षेत्रों में 2.5 हेक्टेयर और असिंचित क्षेत्रों में 10 हेक्टेयर के ग्रिड पर विभाजित कर नमूने एकत्रित किए जाते हैं।

नमूने लेने का उचित समयः-

मिट्टी के नमूने रबी और खरीफ की फसल की कटाई के बाद या जब खेत में कोई फसल नहीं होती है तब साल में दो बार एकत्र किए जाते हैं।

नमूने कौन लेगाः-

सरकार कृषि विभाग द्वारा भेजे गए प्रशिक्षित अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा नमूने एकत्र किये जाते हैं।

मृदा परिक्षण प्रयोगशालाः-

मिट्टी के नमूनों को मानक प्रक्रियाओं के माध्यम से संसाधित किया जाता है, जिसमें मिट्टी में 12 पोषक तत्वों (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सल्फर, जिंक, बोरॉन, आयरन, मैंगनीज, कॉपर, पीएच, इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी, ऑर्गेनिक कार्बन) की स्थिति की रिपोर्ट दी जाती है।

SHC का तीन वर्ष के अंतराल पर नवीनीकरण किए जाने का प्रावधान है।

3. लाभः-

  • मिट्टी की वर्तमान उर्वरता की जानकारी से मृदा की सेहत में सुधार और उत्पादकता में बढ़ोतरी हुई है।
  • किसानों ने नाईट्रोजन, फॉस्फोरस व पौटेशियम का उपयोग को कम कर दिया है।
  • विषेषज्ञों की सलाह से सूक्ष्म पोषक तत्वों के उपयोग में वृद्धि हुई है, जिससे मिट्टी की प्रजनन क्षमता बढ़ी है।

4. कमियाँ:-

  • प्रति इकाई क्षेत्र में मिट्टी के नमूनों की संख्या मिट्टी की परिवर्तनशीलता पर आधारित नहीं है।
  • कृषि अधिकारियों और किसानों के बीच समन्वय का अभाव है।
  • कुछ महत्वपूर्ण संकेतक जैसेः- फसल का इतिहास, मिट्टी की नमी, मिट्टी की ढलान, मिट्टी की गहराई, मिट्टी की बनावट एवं सूक्ष्म जैविक गतिविधियाँ आदि इस कार्ड के तहत किए जाने वाले प्रयोगशाला परीक्षण के मानकों में शामिल नहीं हैं।
     

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