Published - 25 Feb 2021
बिहार के तिमौथू के मदारीपुर के एक किसान प्रेम के जीवन पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय (सबौर) भागलपुर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रहा है। बता दें कि प्रेम एक प्रगतिशील किसान है और उन्होंने बहुत बड़े फार्म हाउस का डबलपमेंट कर उसमें अंडा लेयर फार्म, मछली पालन, बटेर पालन, कडक़नाथ मुर्गा पालन, डेयरी फार्म, चूजा उत्पादन आदि सभी प्रकार की सुविधाओं को विकसित किया है। किसान प्रेम पर बन रही फिल्म में यह बताया जाएगा कि किसान ने कैसे एक छोटे से तालाब से शुरुआत कर आज अपना इतना बड़ा फार्म हाउस विकसित किया। विश्वविद्यालय की ओर से इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म को बनाने के पीछे ये मकसद है कि किसान प्रेम से और किसान प्रेरणा लेकर अपनी आदमनी बढ़ा सके।
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मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार तिलौथू के मदारीपुर में किसान प्रेम के पास बिहार कृषि विश्वविद्यालय (सबौर) भागलपुर की मीडिया टीम उस पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने पहुंची। कृषि विश्वविद्यालय की टीम का नेतृत्व कर रहे कृषि विज्ञान केंद्र बिक्रमगंज के कृषि वैज्ञानिक आरके जलज ने बताया कि बिहार सरकार के आदेश पर ऐसे किसानों को राज्य ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर किसानों का आइकॉन बनाने के लिए उनकी पूरी जीवनी व कार्यप्रणाली पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई जा रही है। इसे कृषि विभाग पूरे देश में इंटीग्रेटेड फार्मिंग करने के लिए किसानों के बीच में प्रदर्शित करेगी। इसे बिहार कृषि विश्वविद्यालय के यूट्यूब साइट पर भी देखा जा सकेगा।
डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने के दौरान कृषि विश्वविद्यालय सबौर के मीडिया कर्मियों ने किसान प्रेम की जीवनी व इतने बड़े फर्म हाउस का डेवलपमेंट कैसे किया, किस तरह से यह कृषि की ओर प्रेरित हुए, इसे शूट किया। अंडा लेयर फार्म, मछली पालन, बटेर पालन, कडक़नाथ मुर्गा पालन, डेयरी फार्म, चूजा उत्पादन पर पूरी तरह से फोकस करके फिल्मांकन किया गया।
किसान प्रेम ने डॉक्यूमेंट्री के दौरान कैमरा के सामने बताया कि मैंने यह काम तालाब से शुरू किया था, जो मेरे पिताजी ने खुदवाई थी। मुझे विशेष प्रेरणा कृषि विज्ञान केंद्र में ट्रेनिंग लेने से मिली। अब मैं इतने बड़े फार्म हाउस का निर्माण कर लिया हूं। जहां अंडा लेयर फार्म, मछली फार्म, बटेर फार्म, केला उत्पादन, डेयरी फार्म, कडक़नाथ मुर्गा की जानकारी दी।
इधर इंदौर के धार जिले के गांव एहमद के 39 वर्षीय किसान राजेश शांतिलाल पाटीदार खेती में नई तकनीकों को अपनाकर इससे काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे है। उन्हें उद्यानिकी के तहत 15 बीघे की गेंदे की फसल से 11 लाख का शुद्ध मुनाफा हुआ है। जबकि इन्होंने 20 बीघा क्षेत्र में लगाए अमरुद के 8 हजार पौधों से भी लगाएं हैं। इससे भी अच्छा मुनाफा मिलेगा। मीडिया में प्रकाशित खबरों के हवाले से किसान राजेश ने बताया कि 20 बीघे में गेंदे की फसल लगाई है, जिसमें से 15 बीघे की फसल में साढ़े 15 लाख का उत्पादन हुआ, जिसमें 11 लाख का शुद्ध मुनाफा हुआ। जबकि 5 बीघे की फसल निकालना बाकी है। इसी तरह उद्यानिकी के तहत राजेश ने 20 बीघा में गत अप्रैल से जून के दौरान दो किश्तों में अमरुद के 8 हजार पौधे सघन बागवानी पद्धति से पास-पास लगाए हैं। इससे उत्पादन 3-4 गुना ज्यादा मिलता है। पौधों की किस्म थाईलैंड की है। जिसके पौधे हैदराबाद से बुलवाए थे। इन पौधों की कीमत प्रति पौधा 50 रुपए और कुछ पौधों की कीमत 100 प्रति पौधा है। सिंचाई के लिए फिलहाल एक ड्रिप लाइन लगाई है। पौधे बड़े होने पर दो ड्रिप लाइन और लगाएंगे। उत्तम प्रजाति के इस जामफल की फसल 18 माह में तैयार हो जाती है।
किसान राजेश पाटीदार ने महाराष्ट्र का भ्रमण कर वहां के किसानों द्वारा अपनाई जा रही नई तकनीकों का अवलोकन किया और अपने खेतों में अपनाया। महाराष्ट्र पैटर्न पर पाटीदार ने खेत में साढ़े तीन बीघा में 16 लाख की लागत से प्लास्टिक बिछाकर तालाब का निर्माण भी किया है जिसकी क्षमता 2 करोड़ 40 लाख लीटर है। तीन कुंए हुए एक नदी से पाइप लाइन डालकर इस तालाब को भरा गया है। जिसका उपयोग गर्मी में नदी और कुंओं के पानी के उपयोग के बाद किया जाएगा।
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