दुधारू पशुओं का दूध बढ़ाने के लिए इस तरह तैयार करें सस्ता हरा चारा

Share Product प्रकाशित - 28 Apr 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

दुधारू पशुओं का दूध बढ़ाने के लिए इस तरह तैयार करें सस्ता हरा चारा

जानें, पशुओं का हरा चारा बनाने का आसान तरीका

गर्मियों में दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा खिलाना बेहद जरूरी होता है। इससे पशु की दूध देने की क्षमता बनी रहती है। इस मौसम में हरा चारा पशुओं के लिए वरदान से कम नहीं है। हरे चारे के रूप में किसान लोबिया, मक्का, ज्वार आदि की फसल की खेती करके अपने पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था कर सकते हैं। खास बात यह है कि यह चारा पशुओं के लिए पोष्टिक तो होता है। साथ ही इससे पशु की दूध देने की क्षमता भी अच्छी रहती है। इसे पशु बहुत स्वाद से खाते हैं। यदि गर्मियों में पशुओं के आहार में हरे चारे की मात्रा ज्यादा और सूखे चारे की मात्रा कम रखी जाए तो इसके बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। यदि आप लोबिया, मक्का व ज्वार जैसी फसलों की खेती करें तो पूरे साल भर पशुओं को हरा चारा खिला सकते हैं।

Buy Used Tractor

लोबिया की चारा किस्में

लोबिया एक प्रोटीन युक्त पौष्टिक हरा चारा होता है। इसमें 17 से 48 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। ऐसे में यह पशुओं के लिए काफी फायदेमंद होता है और दूध की मात्रा बढ़ाने में सहायक है। इसकी खेती मार्च से अप्रैल महीने तक की जा सकती है। इसकी कई उन्नत किस्में हैं जिनमें रशियन जांइट, कोहिनूर, यू.पी.सी. 5286, इगफ्री 450, बुंदेललोबिया-1, बुंदेललोबिया-2, यू.पी.सी- 4200, ई.सी.-4216 आई.जी.एफ.आर.आई. -450 अच्छी मानी जाती है। लोबिया की इन किस्मों से प्रति हैक्टेयर 300-325 क्विंटल तक पैदावार मिलती है। लोबिया के पत्तियों को पशु बड़े चाव से खाते हैं।

मक्का की चारा किस्में

मक्का का चारा मुलायम और पशुओं के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इसे पशु बड़े स्वाद से खाते हैं। हरे चारे के लिए इसे 50 प्रतिशत जीरा की अवस्था पर काटना चाहिए। मक्का में चारे के साथ ही शिशु मक्का भी प्राप्त होती है। चारे के लिए मक्का की अफ्रीकन टाल, जे 1006 ओर प्रताप चारा-6 किस्में काफी अच्छी मानी जाती है। यदि इन किस्मों के बीज नहीं मिले तो किसान संकर, गंगा-11 या कम्पोजिट मक्का, किसान, विजय भी किस्म की बुवाई भी कर सकते हैं। संकर मक्का के द्वितीय पीढ़ी के बीज को भी चारे के रूप में बोया जा सकता है। हरे चारे के लिए उगाई गई फसल की कटाई 50 प्रतिशत वाली अवस्था आने से पहले करीब 50 से 55 दिन में की जाती है। अच्छे फसल प्रबंधन से मक्का की इन किस्मों से 400 से 450 क्विंटल तक हरा चारा प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त किया जा सकता है।

ज्वार की चारा किस्में

ज्वारा की बहु कटाई वाली किस्मों की बुवाई करके पशुओं के लिए सालभर तक के लिए चारे की व्यवस्था की जा सकती है। जायद में ज्वार की ऐसी किस्मों की खेती की जानी चाहिए जिसमें एन.सी.एन. (एक विष) की मात्रा बहुत कम हो और इनको चारे के लिए कई बार काटा जा सकता हो। ऐसी ज्वार की किस्मों में एस.एस.जी.-988-898, पी.सी. 23 और एम.पी. चरी, एस.एस.जी. 59-3ए, जे.सी. 69 शामिल है। ज्वार की हरे चारे के रूप में इसकी पहली कटाई बुवाई से 50 से 60 दिन बाद की जा सकती है। इसके बाद 25 से 30 दिन बाद इसकी कटाई की जा सकती है। हरे चारे के रूप में ज्वार की उपज प्रति कटाई 200 से 250 क्विंटल तक प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है।

कैसे तैयार करें पशु के लिए पोष्टिक चारा

पशुओं के लिए हरा चारा तैयार करने के लिए किसानों को ज्वार, मक्का, लोबिया के पतले तने को पकने से पहले ही काट लेना चाहिए। इसके बाद उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर लेना चाहिए। इसके बाद इन कटे हुए टुकड़ों को तब तक सुखाना चाहिए जब तक इसमें करीब 15 से 18 प्रतिशत नमी न रह जाए। सूखने के बाद जब तना टूटने लगे तो किसानों को इसे अच्छी तरह से पैक करके सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए। अब इस चारे को पशुओं को रोजाना खिलाया जा सकता है। 

एजोला भी होता है पशुओं के लिए पोष्टिक आहार  

एजोला एक फर्न होता है जिसका रंग गहरा लाल या कत्थाई होता है। यह अधिकांश रूप से धान के खेतों में दिखाई देता है। इसके अलावा छोटे-छोटे पोखर या तालाबों में जहां पानी एकत्रित होता है वहां पानी की सतह पर यह दिखाई देता है। भारत में अजोला की 7-8 किस्में पाई जाती है जिसमें junwer29 किस्म सबसे अच्छी मानी जाती है। अजोला में कार्बोहाइड्रेट और वसा की मात्रा बहुत कम होती है। यह पशु आहार के लिए बहुत अच्छा होता है। इसे पशु आसानी से पचा सकते हैं।

कैसे तैयार करें पशु आहार के लिए अजोला

यदि आप पशु के लिए अजोला तैयार करना चाहते हैं तो आपको किसी छायादार जगह पर 60X10X2 मीटर के आकार की क्यारी बना लेनी चाहिए। अब इस क्यारी में 120 गेज की सिलपुटिन शीट को बिछाकर इसके ऊपर के किनारों पर मिट्‌टी का लेप कर देना चाहिए। सिलपुटिन शीट को बिछाने की जगह पशुपालक पक्का निर्माण करके भी क्यारी तैयार कर सकते हैं। अब इसमें 80 से 100 किलोग्राम साफ उपजाऊ मिट्‌टी की परत को क्यारी में बिछा दें। अब इसमें 5 से 7 किलोग्राम गोबर की जो दो दिन पुराना हो उसे 10 से 15 लीटर पानी में घोल बनाकर मिट्‌टी में फैला देना चाहिए। अब क्यारी में 400 से 500 लीटर पानी भर दे जिससे क्यारी में पानी की गहराई करीब 10-15 सेमी तक हो जाए। अब उपजाऊ मिट्‌टी व गोबर की खाद को पानी में अच्छी तरह मिलाकर दें। इस मिश्रण पर दो किलोग्राम ताजा अजोला को फैला देना चाहिए। इसके बाद 10 लीटर पानी को अच्छी तरह अजोला पर छिड़काव करें ताकि अजोला अपनी सही स्थिति में आ जाए। अब क्यारी को 50 प्रतिशत नायलॉन जाली से ढ़ककर 15 से 20 दिन तक अजोला को बढ़ोतरी के लिए छोड़ दें। 21वें दिन से औसतन 15 से 20 किलोग्राम अजोला प्रतिदिन प्राप्त किया जा सकता है। प्रतिदिन नियमित अजोला की 15 से 20 किलोग्राम अजोला की उपज प्राप्त करने के लिए 20 ग्राम सुपरफॉस्फेट तथा 50 किलोग्राम गोबर का घोल बनाकर प्रति माह क्यारी में मिलाना चाहिए। 

अगर आप किफायती कीमत पर नया ट्रैक्टर खरीदना चाहते हैं तो महिंद्रा, स्वराज, टैफे, सोनालिका, जॉन डियर आदि कंपनियों में से उचित ट्रैक्टर का चयन कर सकते हैं। साथ ही हम आपको ट्रैक्टर लोन (Tractor Loan) की सुविधा भी प्रदान करते हैं।

अगर आप नए जैसे पुराने ट्रैक्टर व कृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपने ट्रैक्टर या कृषि उपकरण का अधिकतम मूल्य मिले तो अपने बिकाऊ ट्रैक्टर / कृषि उपकरण को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।

हमसे शीघ्र जुड़ें

Call Back Button
scroll to top
Close
Call Now Request Call Back