औषधीय खेती : औषधीय पौधों से बढ़ेगी किसानों की आमदनी

Share Product Published - 08 Sep 2021 by Tractor Junction

औषधीय खेती : औषधीय पौधों से बढ़ेगी किसानों की आमदनी

औषधीय खेती को लेकर सरकार का प्लान और इससे किसानों को लाभ

देश आत्मनिर्भर बनाने और किसान की आय दुगुनी करने के उद्देश्य से सरकार देश में औषधीय पौधों की खेती पर जोर दे रही है। इसके लिए कई अभियान की शुरुआत की गई है। इसके तहत आमजन एवं किसानों को औषधीय पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस कड़ी में बीते दिनों आयुष मंत्रालय ने देशभर में 45 से अधिक स्थानों पर आयुष आपके द्वार अभियान शुरू किया गया। आयुष राज्यमंत्री डॉ. मुंजापारा महेंद्र भाई ने आयुष भवन में कर्मचारियों को औषधीय पौधे वितरित कर इस अभियान की शुरुआत की गई। इस अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए डॉ. मुंजापारा ने लोगों से औषधीय पौधों को अपनाने और अपने परिवार के एक अंग के रूप में उनकी देखभाल करने की अपील की। बता दें कि पिछले डेढ़ वर्षों में न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में औषधीय पौधों की मांग में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी देखने में आई है। यही कारण है कि अमेरिका में अश्वगंधा तीसरा सबसे ज्यादा बिकने वाला उत्पाद बन गया है।

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अभियान के तहत ये औषधीय पौधे किए जाएंगे वितरित

इस अभियान की शुरूआत से जुड़ी गतिविधियों में 21 राज्य भाग ले रहे हैं और इस दौरान दो लाख से अधिक पौधे वितरित किए जाएंगे। इस अभियान का उद्देश्य एक वर्ष में देशभर के 75 लाख घरों में औषधीय पौधे वितरित करना है। इन औषधीय पौधों में तेजपत्ता, स्टीविया, अशोक, जटामांसी, गिलोय/गुडुची, अश्वगंधा, कुमारी, शतावरी, लेमनग्रास, गुग्गुलु, तुलसी, सर्पगंधा, कालमेघ, ब्राह्मी और आंवला शामिल हैं। 


75 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में होगी औषधीय पौधों की खेती

आयुष मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (नेशनल मेडीसिनल प्लांट्स बोर्ड-एनएमपीबी) ने देशभर में जड़ी-बूटियों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान की शुरूआत की है। अभियान के तहत, देशभर में अगले एक वर्ष में 75 हजार हेक्टेयर रकबे में जड़ी-बूटियों की खेती की जाएगी। कार्यक्रम की शुरूआत उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और महाराष्ट्र के पुणे से की गई है।


अमृत महोत्सव के तहत किसानों को बांटे गए औषधीय पौधे

आजादी का अमृत महोत्सव के मौके पर पुणे में औषधीय पौधे किसानों को बांटे गए। जो लोग पहले से जड़ी-बूटियों की खेती कर रहे हैं, उन्हें सम्मानित किया गया। केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरयूएम) के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सांवल ने कहा कि इस प्रयास से देश में औषधीय पौधों की आपूर्ति में और तेजी आएगी। इस अवसर पर 75 किसानों को कुल मिलाकर 7500 औषधीय पौधे वितरित किए गए। इसके अलावा 75 हजार पौधे वितरित करने का लक्ष्य भी तय किया गया है। 


औषधीय खेती ( Medicinal Farming ) से होने वाले लाभ

  • औषधीय खेती में लागत अन्य फसलों की तुलना में कम आती है। 
  • औषधीय खेती में प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान का खतरा कम होता है।
  • नीलगाय इन फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाती है।
  • जड़ी-बूटियों की खेती किसानों की आय का बड़ा स्रोत बन सकती है।
  • औषधीय खेती को प्रोत्साहित करने से दवाओं की उपलब्धता के मामले में देश भी आत्मनिर्भर होगा। 


कोरोना संक्रमण के दौर में औषधीय खेती से हुआ किसानों को लाभ

कोरोना महामारी के दौर में लोगों ने अपनी इम्यूनिटी स्ट्रांग करने को आयुर्वेदिक दवाइयों का उपयोग बड़े पैमाने पर किया गया। इसके चलते बाजार में मांग बढऩे से औषधीय फसलें कर रहे किसानों के मुनाफे में इजाफ हुआ। यूपी के सहारनपुर में करीब 95 हेक्टेयर क्षेत्रफल में औषधीय फसलों तुलसी, सतावर, घृत कुमारी (एलोविरा), रूसा (कारडस मेरिनक मिल्क थिसिल), राखी बेल (पेसी फ्लोरा), अल्फा-अल्फा (लुरसन) आदि की खेती की जा रही है। कोरोना काल में औषधीय खेती करने वाले किसानों ने अच्छा खासा मुनाफा कमाया है। यही नहीं सहारनपुर में शिवालिक पर्वत श्रंखला की तलहटी में जड़ी बूटियों की भरमार है। यहां पर बड़े पैमाने पर जड़ी-बूटियों की खेती भी की जाती है इसलिए सहारनपुर औषधि खेती का केंद्र बनता जा रहा है। 


औषधीय खेती करने पर सरकार से मिलने वाला अनुदान / औषधीय खेती पर अनुदान

उत्तरप्रदेश में औषधीय फसल योजना के तहत किसानों को अनुदान प्रदान किया जाता है। यह योजना राज्य के 52 जिलों के लिए यह योजना लागू की गई है। सभी जिलों के लिए अलग-अलग फसल का चुनाव किया गया है। इसके योजना के तहत अश्वगंधा, कालमेघ, शतावरी, तुलसी तथा एलोवेरा औषधी की खेती पर अनुदान दिया जाता है।  योजना के तहत कृषि अभिसरण, भंडारण, मूल्यवर्द्धन और विपणन के माध्यम से किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है। ताकि उनकी आमदनी में वृद्धि हो सके। योजनान्तर्गत फसल प्रबंधन के अंतर्गत ड्राईगशेड स्थापना हेतु कृषकों / उद्यमियों को कई लागत धनराशि 10 लाख प्रति इकाई के सापेक्ष 50 प्रतिशत देय अनुदान अधिकतम धनराशि 5 लाख रुपए एवं औषधीय फसल उत्पाद को भंडारित करने हेतु स्टोरेज गोडाउन की स्थापना हेतु कृषकों को इकाई लागत धनराशि 10 लाख रुपए प्रति इकाई के सापेक्ष 50 प्रतिशत देय अनुदान, अधिकतम धनराशि 5 लाख रुपए का भुगतान किए जाने का प्रावधान किया गया है।


यूपी में किस औषधीय फसल पर कितनी सब्सिडी

  • अश्वगंधा की खेती हेतु अनुदान लागत इकाई 36602.50 रुपया प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30 प्रतिशत देय अनुदान अधिकतम धनराशि 10980.75 रुपए दिया जाएगा।
  • कालमेघ की खेती हेतु अनुदान  लागत इकाई 36602.50 रुपया प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30 प्रतिशत देय अनुदान अधिकतम धनराशि 10980.75 रुपए दिया जाएगा।
  • शतावरी की खेती हेतु अनुदान लागत इकाई 91506.25 रुपया प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30 प्रतिशत देय अनुदान अधिकतम धनराशि 27451.80 रुपए दिया जाएगा।
  • तुलसी की खेती हेतु अनुदान लागत इकाई 43923 रुपया प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30 प्रतिशत देय अनुदान अधिकतम धनराशि 13176.90 रुपए दिया जाएगा।
  • एलोवेरा की खेती हेतु अनुदान लागत इकाई 62224.25 रुपया प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30 प्रतिशत देय अनुदान अधिकतम धनराशि 18672.20 रुपए दिया जाएगा।


औषधीय खेती करने वाले किसानों के सामने क्या है समस्या

यूपी में औषधीय खेती करने वाले किसानों का कहना है कि अभी तक इसमें बहुत सुधार की जरूरत है। औषधीय खेती करने के लिए सबसे जरूरी है, पहले इसको बेचने का सौदा तय कर दिया जाए। इसीलिए औषधि खेती करने वाले अधिकांश किसानों ने फसलों को बेचने के लिए कंपनियों से अनुबंध कर रखा है। शेष फसल को थोक व्यापारियों को बेचा जाता हैं। इसके अलावा इसके विक्रय मूल्य को लेकर भी कई किसानों को शिकायत  है कि औषधीय फसल को कंपनी की ओर से कम कीमत पर खरीदा जा रहा है। इससे उनको इतना फायदा नहीं हो पा रहा जितना होना चाहिए।

 

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