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किसान आंदोलन : नए कृषि कानूनों पर मोदी को मिला अमेरिका का साथ

Published - 04 Feb 2021

भारत के नए कृषि कानून : जानें, क्या कहा अमेरिका ने और अब क्या चाहते हैं किसान नेता

देश में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को 70 दिन पूरे हो गए हैं। सडक़ से लेकर संसद तक नए कृषि कानूनों का विरोध जारी है। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की हलचल बढ़ी हुई है। वहीं नए कृषि कानूनों को अमेरिका का साथ मिला है। अमेरिका प्रशासन ने भारत के नए कृषि कानूनों पर बयान जारी किए हैं। अमेरिका ने नए कृषि कानूनों की तारीफ की है। भारत के नए कृषि कानूनों पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा है कि भारत सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में सुधार के कदमों का बाइडन सरकार पूरा समर्थन करती है। भारत सरकार का ये कदम किसानों के लिए प्राइवेट सेक्टर से निवेश और ज्यादा से ज्यादा बाजार आकर्षित होगा। विदेश मंत्रालय का कहना है कि अमेरिका आम तौर पर ऐसे कदमों का हमेशा स्वागत करता है। इससे भारतीय बाजारों के हालात काफी सुधरेंगे।

 

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अमेरिका के कई सांसदों का किसान आंदोलन को समर्थन

अमेरिका के कई सांसदों ने भारत में चल रहे किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। अमेरिकी सांसद हेली स्टीवेंस का कहना है कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के बीच पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर हो रही कार्रवाई से चिंतित हूं। अमेरिका के कई अन्य नेताओं ने किसानों का समर्थन किया है। भारत में चल रहे कृषि आंदोलन को लेकर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अभी खतरे में है। वहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कहना है कि किसी भी संपन्न लोकतंत्र की पहचान शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन है। भारत की सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा है। भारत सरकार को किसी भी मतभेद को बातचीत के माध्यम हल करें।

 


किसान आंदोलन : 26 नवंबर से किसानों का प्रदर्शन, सरकार से 11 दौर की वार्ता बेनतीजा

नए कृषि कानूनों के खिलाफ देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 26 नवंबर से किसानों का आंदोलन जारी है। वहीं, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हिंसा भी हुई थी, जिसके बाद कई जगहों पर इंटरनेट सेवा को बाधित किया गया था। कृषि कानून पर सहमति को लेकर किसानों और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, मगर सभी बेनतीजा रही है। 22 जनवरी को प्रदर्शनकारी किसानों के साथ 11वें दौर की वार्ता के दौरान सरकार ने नए कानूनों को डेढ़ साल के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव रखा और अधिनियमों पर चर्चा के लिए एक संयुक्त समिति गठित करने का भी प्रस्ताव रखा। मगर किसान तब भी 
नहीं माने।


बातचीत के लिए प्रधानमंत्री व गृहमंत्री आगे आएं : टिकैत

नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर हरियाणा के जींद जिले के कंडेला गांव में किसान महापंचायत के दौरान किसान नेता राकेश् टिकैत ने कहा कि अब कृषि मंत्री या फिर किसी और मंत्री से बातचीत नहीं करेंगे। अब प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को बातचीत के लिए आगे आना होगा। सरकार द्वारा बातचीत के लिए किसानों की कमेटी के सदस्यों की संख्या कम करने से भी टिकैत ने साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, कभी भी बीच लड़ाई में घोड़े नहीं बदले जाते। जो कमेटी के सदस्य हैं, वहीं रहेंगे। इस महापंचायत के दौरान 5 प्रस्ताव पास किए गए। इनमें तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने, एमएसपी पर कानून बनाने, स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने, पकड़े गए लोगों और जब्त किए गए ट्रैक्टर को छोडऩे और किसानों का कर्ज माफ करने के प्रस्ताव शामिल है। 

 

यह भी पढ़ें : केंद्रीय बजट 2021-22 में किसानों को क्या-क्या मिला?

 

किसानों पर सेलेब्रिटी आमने-सामने

नए कृषि कानूनों पर किसानों के समर्थन और विरोध में बवाल मचा हुआ है। किसान आंदोलन के समर्थन में पिछले 24 घंटे में कई विदेशी हस्तियां सामने आईं हैं। पॉप सिंगर रिहाना ने लिखा कि आखिर हम किसान आंदोलन के बारे में चर्चा क्यों नहीं कर रहे हैं। क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वे भारत में किसानों के आंदोलन के साथ हैं। वहीं पूर्व पोर्न स्टार मिया खलीफा ने भी लिखा, ‘ये किस तरह का ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन हो रहा है। नई दिल्ली के आसपास इंटरनेट ही बंद कर दिया गया है।’ इन पर भारतीय सेलेब्रिटीज ने पलटवार भी किया। रिहाना को जवाब देते हुए कंगना रनोट ने लिखा, 'बैठ जाओ मूर्ख। हम तुम लोगों की तरह अपना देश नहीं बेच रहे। कोई भी इस मुद्दे पर इसलिए बात नहीं कर रहा, क्योंकि हिंसा फैला रहे लोग किसान नहीं, आतंकी हैं।' सोशल मीडिया पर मामला बढऩे पर विदेश मंत्रालय को बयान जारी करना पड़ा। इसमें कहा गया, ‘हम गुजारिश करेंगे कि ऐसे मामलों पर टिप्पणी करने से पहले तथ्यों का पता लगाया जाए और मुद्दों को अच्छी तरह समझ लिया जाए।’

 

 

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