user profile

New User

Connect with Tractor Junction

किसान आंदोलन : रिलायंस के बाद अडानी ने दिया स्पष्टीकरण

Published - 09 Jan 2021

अडानी एग्री ने कहा-कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का कोई इरादा नहीं, किसानों से अनाज नहीं खरीदती कंपनी

नए कृषि कानूनों को लेकर जारी विरोध के बीच रिलायंस के बाद अडानी समूह की कंपनी अडानी एग्री लाजिस्टिक्स ने भी स्पष्टीकरण जारी किया है। इसमें कहा गया है कि कंपनी न तो किसानों से सीधे अनाज खरीदती है, न ही कंपनी ठेका (कांट्रेक्ट) खेती का काम करती है और न ही भविष्य में कंपनी का ऐसा करने का इरादा है। मीडिया में प्रकाशित समाचार व खबरों के आधार पर कंपनी ने एक बयान में विभिन्न मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वह किसानों से कोई अनाज नहीं खरीदती बल्कि वह अनाज के भंडारण की सेवाएं देती है। उसने अनाज भंडारण के लिए जो गोदाम (साइलो) बनाए हैं, वह परियोजना उसने 2005 में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की निविदा के तहत प्रतिस्पर्धी बोली लगाकर हासिल की थी। वर्ष 2005 में केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार सत्ता में थी।

 

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1


आरोप पर दी सफाई कहा- कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का इरादा नहीं

कृषि कानूनों के विरोध के बीच इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं कि नये कृषि कानून उद्योगपतियों के फायदे के लिये लाये गए हैं। कहा जा रहा है कि इन उद्योगपतियों को पहले से ही जानकारी थी कि सरकार कृषि कानून लाने वाली है इसलिये उन्होंने कृषि क्षेत्र में कारोबार शुरू कर दिया। इस संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब में अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स के उपाध्यक्ष पुनीत मेंहदीरत्ता ने कहा कि कंपनी कोई ठेका खेती का काम नहीं करती है और न ही भविष्य में कंपनी का ऐसा कोई इरादा है। यह भी गलत आरोप लगाया जा रहा है कि कंपनी ठेका खेती के लिए पंजाब और हरियाणा में जमीन का अधिग्रहण कर रही है। कंपनी के पंजाब के मोगा में स्थित कृषि गोदाम के बाहर हाल में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया है।

 


अनाज भंडारण की सुविधाएं बढ़ाने के लिए कंपनी कर रही है पिछले 15 साल से काम

गोदामों और अन्य ढांचागत सुविधा के बारे में मेंहदीरत्ता ने कहा कि कंपनी कृषि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में पिछले कई साल से काम कर रही है। अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स देश की पहली एकीकृत भंडारण और परिवहन परियोजना है। इसके लिए निविदा की प्रक्रिया सरकार ने 2005 में पूरी की थी। इसके तहत कंपनी ने विभिन्न राज्यों में सात जगहों पर अनाज भंडारण के लिये गोदाम और रेलवे तक अनाज पहुंचाने के लिए जरूरी ढांचागत सुविधा (रेलवे साइडिंग्स) तैयार की है। उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिये अच्छी बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है और अडानी एग्री लाजिस्टिक्स खाद्यान्न भंडारण सुविधाओं का निर्माण पिछले 15 साल से कर रही है और आगे भी करती रहेगी।

 

यह भी पढ़ें : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : ओलावृष्टि से फसल नुकसान का होगा सर्वे


क्या है ठेका खेती या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग?

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत किसान अपनी जमीन पर खेती तो करता है, लेकिन अपने लिए नहीं बल्कि किसी और के लिए। इसमें किसान को पैसा नहीं खर्च करना पड़ता और कोई कंपनी या फिर कोई आदमी किसान के साथ अनुबंध करता है कि किसान द्वारा उगाई गई फसल विशेष को कॉन्ट्रैक्टर एक तय दाम में खरीदेगा। इसमें खाद और बीज से लेकर सिंचाई और मजदूरी सब खर्च कॉन्ट्रैक्टर के ही होते हैं।


किसानों द्वारा ठेका खेती के विरोध का क्या है कारण?

देश में हाल में लाए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध जारी है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पंजाब के किसानों की आशंका है कि इन कानूनों की वजह से उनकी खेती पर कॉर्पोरेट कंपनियों का कब्जा हो जाएगा। किसानों का यह भी कहना रहा है कि कंपनी के साथ किसी विवाद की हालत में अदालत का दरवाजा खटखटाने का विकल्प बंद कर दिया गया है, स्थानीय प्रशासन अगर कंपनियों का साथ दें तो किसान कहां जाएगा। किसानों को लगता है कि छोटे जोतदार उनके गुलाम हो जाएंगे। इन तीन कानूनों में एक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की इजाज़त देता है। इसको लेकर किसान चिंतित हैं। इसके उलट सरकार को लगता है कि यह किसानों को उनकी फसलों की कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाएगी। साथ ही, उन्हें खेती के नए तरीकों और टेक्नोलॉजी से रूबरू कराएगी।

 

यह भी पढ़ें : किसान कल्याण मिशन : किसानों के लिए 100 कृषि कल्याण केंद्र होंगे स्थापित


किसानों की शंकाएं जिनको लेकर किया जा रहा है विरोध

  • किसानों का मानना है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से उनका पक्ष कमज़ोर होगा और वे उपज की कीमतें निर्धारित नहीं कर पाएंगे।
  • छोटे किसानों को डर है कि वो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग नहीं कर पाएंगे क्योंकि प्रायोजकों की पूर्ण रुप से परहेज करने की संभावना है।
  • किसानों का मानना है कि नए कानून के तहत उन्हें अधिक परेशानी होगी।
  • किसानों को लगता है कि यदि कोई भी विवाद उत्पन्न होता है तो इसके निपटारे में बड़ी कंपनियों को लाभ मिलेगा।

 

 

अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।

Certified Used Tractors

Powertrac 434 प्लस
₹ 1.10 Lakh Total Savings

Powertrac 434 प्लस

37 HP | 2023 Model | Chittaurgarh, Rajasthan

₹ 4,30,000
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Massey Ferguson 1035 डीआई
₹ 1.28 Lakh Total Savings

Massey Ferguson 1035 डीआई

36 HP | 2020 Model | Tonk, Rajasthan

₹ 5,00,000
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Massey Ferguson 5118
₹ 2.46 Lakh Total Savings

Massey Ferguson 5118

20 HP | 2022 Model | Satara, Maharashtra

₹ 1,28,800
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Farmtrac 45 पॉवरमैक्स
₹ 0.49 Lakh Total Savings

Farmtrac 45 पॉवरमैक्स

50 HP | 2023 Model | Dewas, Madhya Pradesh

₹ 7,41,285
Certified
icon icon-phone-callContact Seller

View All