नए कृषि कानून का असर : किसान जीते, कंपनी हारी

Share Product Published - 14 Dec 2020 by Tractor Junction

नए कृषि कानून का असर : किसान जीते, कंपनी हारी

तीन हजार रुपए क्विंटल की दर से खरीदा धान

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का विरोध-प्रदर्शन दिल्ली की विभिन्न बॉर्डर पर लगातार जारी है। इस बीच नए कृषि कानून से किसानों के फायदे की खबर मध्यप्रदेश से आई है। यहां अनुबंध खेती (कांट्रैक्ट फार्मिंग) के तहत किसानों और कंपनी के बीच विवाद होने पर नए कृषि कानून का किसानों को फायदा मिला और किसानों की जीत हुई है। किसानों की शिकायत पर प्रशासन ने कंपनी पर कार्रवाई की और कंपनी को तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर पर किसानों से धान खरीदरना पड़ा। आईए जानते से पूरा प्रकरण क्या है।

 

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नए कृषि कानून से किसानो को कितना फायदा?

नए कृषि कानून के तहत अनुबंध खेती ( कांट्रैक्ट फार्मिंग ) का भी प्रावधान है जिसके अनुसार किसान अपनी उपज का किसी भी कंपनी से अनुबंध कर सकता है। बाद में उस उपज को संबंधित कंपनी द्वारा खरीद लिया जाता है। हालांकि अनुबंध खेती में किसानों से धोखाखड़ी की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के किसानों ने धान की उपज का अनुबंध फॉर्चन राइस लिमिटेड दिल्ली से किया था। जब किसानों ने उपज को बेचने के लिए कंपनी से संपर्क किया तो कंपनी द्वारा धान की खरीद नहीं की गई। किसानों ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की। जिला प्रशासन ने नए कृषि कानून ‘किसान ( सशक्तिकरण और संरक्षण ) अनुबंध मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 के प्रावधान अनुसार कंपनी पर कार्रवाई की और किसानों को चौबीस घंटेकी भीतर न्याय दिलाया। आखिर किसानों के आगे कंपनी को झुकना पड़ा और तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने को तैयार होना पड़ा।

 

 

मंडी के उच्चतम मूल्य पर खरीदना था धान, कंपनी ने मना किया

पिपरिया एसडीएम नितिन टाले ने मीडिया को बताया कि किसानों और फार्चून राइस लि. कंपनी के बीच मंडी के उच्चतम मूल्य पर धान खरीदने के लिए अनुबंध जून माह में हुआ था। इसके बाद कंपनी द्वारा 9 दिसंबर को मंडी में उच्च विक्रय मूल्य होने पर धान नहीं खरीदी गई। इस प्रकरण में 10 दिसंबर को ग्राम भौखेड़ी के किसान पुष्पराज और ब्रजेश ने एसडीएम नितिन टाले से शिकायत की। किसानों ने बताया कि फॉर्चून राइस लिमिटेड दिल्ली द्वारा 3 जून, 2020 को उच्चतम बाजार मूल्य पर धान खरीदी का अनुबंध किया था, किंतु 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल धान के भाव होने पर कंपनी के कर्मचारियो ने खरीदी बंद कर किसानों से संपर्क समाप्त कर दिया।

 

अब कंपनी 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदेगी धान

इस प्रकरण में किसानों की शिकायत के बाद जिला प्रशासन ने तत्परतापूर्वक कार्रवाई की। न्यायालय अनुविभागीय दंडाधिकारी पिपरिया ने फॉर्चून राइस लिमिटेड के अधिकृत प्रतिनिधि को समन जारी कर 24 घंटे में जबाव प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। एसडीएम कोर्ट द्वारा जारी समन पर फॉर्चून राइस लिमिटेड के डायरेक्टर अजय भलोटिया ने जबाव प्रस्तुत किया। इसके बाद कृषक ( सशक्तिकरण एवं संरक्षण ) अनुबंध मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम-2020 की धारा-14 (2) (a) के तहत कॉन्शुलेशन बोर्ड का गठन किया। कॉन्शुलेशन बोर्ड के समक्ष कंपनी ने 9 दिसंबर के उच्चतम दर पर धान क्रय करना स्वीकार किया। बोर्ड की अनुशंसा के आधार पर न्यायालय अनुविभागीय दंडाधिकारी पिपरिया ने अनुबंधित कृषको से 2950+50 बोनस कुल 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर धान खरीदने हेतु आदेशित किया।

 

नए कृषि कानूनों में सुधार की जरुरत

इस प्रकार नए कृषि कानून का प्रयोग करते हुए शिकायत प्राप्त होने के 24 घंटे के अंदर कृषकों को अनुबंध अनुसार उच्चतम बाजार मूल्य दिलाये जाने की कार्रवाई की गई। हालांकि इस अधिनियम के तहत लिए गए फैसले से किसानों में खुशी है। किसानों का कहना है कि कंपनी द्वारा कॉन्ट्रैक्ट के बावजूद धान खरीदे नहीं किए जाने से हमें बहुत अधिक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता। वहीं कृषि कानून के संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि नए कृषि कानून में अनुबंध खेती के तहत कंपनी अपनी मनमानी कर सकती है। यह हरबार संभव नहीं है कि प्रशासन इतनी तत्परता से कदम उठाए और किसानो को न्याय मिल सके। कई प्रशासन भी कंपनी के दबाव में आकर कार्रवाई करने में ढिलाई कर सकता है जिसका नुकसान किसानों को ही उठाना पड़ेगा। इसलिए कृषि कानूनों में सुधार की जरुरत है।

 

 

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