लहसुन की खेती कैसे करे : ये कृषि यंत्र अपनाएं और उत्पादन बढ़ाएं

Share Product Published - 15 Dec 2020 by Tractor Junction

लहसुन की खेती कैसे करे : ये कृषि यंत्र अपनाएं और उत्पादन बढ़ाएं

लहसुन की खेती कैसे करें, जानिएं लहसुन की उन्नत खेती में कृषि उपकरणों का योगदान

जानें, रेज्ड बेड मेकर, लहसुन सीड ड्रिल, रसायन छिडक़ाव यंत्र और लहसुन हार्वेस्टर के बारे में

औषधीय गुणों के कारण लहसुन का उपभोग भोजन में किया जाता है। लहसुन को प्राकृतिक एंटीबायोटिक भी कहा जाता है। प्राचीन भारत में लहसुन का उपयोग औषधीय और भूख बढ़ाने वाले फायदों के लिए किया जाता था। लहसुन मूल रूप से मध्य एशिया से है लेकिन इसका इतिहास काफी प्राचीन और विशाल है। संयुक्त राज्य कृषि विभाग के अनुसार खेती की जाने वाली सबसे पुरानी फसलों में लहसुन का नाम भी शामिल है। 

 

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भारत में लहसुन की खेती

लहसुन, भारत में उगाए जाने वाली एक महत्वपूर्ण कंदीय फसल है, जिसका रसोई तथा चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग होगा। भारत में 2.8 लाख हैक्टर क्षेत्रफल में लहसुन की खेती की जाती है। इससे 5.76 टन / हैक्टर की उत्पादकता के साथ कुल 16.17 लाख टन उत्पादन होता है। देश के कई हिस्सों में लहसुन की बुवाई नवंबर एवं दिसंबर माह में होती है तथा इसकी खुदाई अप्रैल - मई में की जाती है। लहसुन की खेती के लिए मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, असम, पंजाब, पश्चिम बंगाल और हरियाणा का मौसम बहुत ही उपयुक्त माना जाता है।

 


लहसुन की खेती में कृषि यंत्रों का योगदान

भारत में लहसुन की खेती मुख्यत : छोटे और सीमांत किसानों द्वारा की जाती है। संसाधनों के अभाव और श्रमिकों की कमी के कारण लहसुन की खेती बड़े स्तर पर नहीं की जाती है। हालांकि बड़े स्तर पर लहसुन की खेती करने के लिए कई प्रभावी तकनीकें उपलब्ध हैं, परंतु किसानों को उनकी जानकारी नहीं है। इस कारण लहसुन की खेती छोटे क्षेत्रफल में की जाती है। अगर किसान बड़े पैमाने पर लहसुन का उत्पादन करना चाहता है तो उसे कृषि यंत्रों की मदद लेनी चाहिए। कृषि यंत्रीकरण द्वारा कृषि के विभिन्न कार्यों को समय पर पूर्ण करके उत्पादन, उत्पादकता एवं लाभप्रदता बढ़ाने में मदद मिलती है। यंत्रों के उपयोग से समय की बचत के साथ ही कार्य कुशलता एवं दक्षता में भी वृद्धि होती है। इनके द्वारा कृषि में प्रयुक्त आदानों जैसे कि बीज, खाद, सिंचाई, जल एवं रसायनों का उचित समय पर प्रयोग किया जा सकता है। इस प्रकार उत्पादन की इकाई लागत को कम करके मुनाफे को बढ़ाया जा सकता है। लहसुन की खेती के लिए विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्र उपलब्ध हैं। आईए इन यंत्रों के बारे में जानते हैं।

 

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लहसुन की खेती में जुताई के लिए यंत्र

लहसुन के उत्पादन के लिए समतल तथा खरपतवार रहित भूमि होनी चाहिए। मोल्ड बोर्ड या डिस्क प्लाऊ की सहायता से 20-25 सेंटी मीटर गहरी जुताई की जाती है। इसके बाद कल्टीवेटर को 2-3 बार चलाकर मृदा को भुरभुरा किया जाता है। बुआई पूर्व भूमि को अच्छी तरह तैयार करने के लिए रोटावेटर का उपयोग काफी लाभकारी साबित होता है। यह यंत्र कम समय तथा कम लागत में मृदा को तैयार करने के लिए उपयुक्त है।


रेज्ड बेड मेकर / लहसुन बोने की मशीन ( Garlic Planter )

फसलों की बुवाई रेज्ड बेड तकनीक से करना अब किसानों के बीच लोकप्रिय होता जा रहा है। इस तकनीक से ऊंची उठी क्यारियों पर फसल की बुवाई की जाती है। रेज्ड बेड तकनीक द्वारा बोई हुई फसलें कम अथवा बहुत अधिक वर्षा होने पर भी बेहतर उत्पादन देती हैं। भूमि को तैयार करने के बाद रेज्ड बेड मेकर उपकरण द्वारा खेतों में क्यारियां बनायी जाती है। क्यारी की चौड़ाई तथा पंक्तियों के मध्य दूरी विभिन्न फसलों एवं मृदा के प्रकार पर निर्भर करती है। रेज्ड बेड मेकर उपकरण में बेड की चौड़ाई को बदलने का प्रावधान होता है।

 

लैंडफोर्स मल्टी क्रॉप राइज़ड बेड

लैंडफोर्स मल्टी क्रॉप राइज़ड बेड

 

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लहसुन सीड ड्रिल

खेत में लहसुन की मशीन से बुवाई करने के लिए लहसुन सीड ड्रिल मशीन का उपयोग होता है। किसान भाई प्राय: लहसुन की बुआई छोटे भूखंडों में 10-15 सें.मी. की दूरी पर कतारों में 3-5 सें.मी. गहराई में करते हैं। लहसुन सीड ड्रिल द्वारा एक साथ 17 कतारों में बुआई कर सकते हैं। बुआई की दर 5-7 क्विंटल/हैक्टेयर रखी जाती है। इसके माध्यम से बुआई के साथ-साथ गहराई में उर्वरक भी डाला जा सकता है। इस मशीन की कार्य क्षमता 0.50-0.65 हैक्टर/घंटा है। इस मशीन द्वारा पंक्तिबद्ध तरीके से बुआई करने से बीज दर में भी कमी आती है।

 

खेदूत सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल (मल्टी क्रॉप - रोटर बेस)

 

खेदूत सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल (मल्टी क्रॉप - रोटर बेस)


रसायन छिडक़ाव यंत्र ( नैपसैक / बूम टाइप स्प्रेयर )

फसल पर कीट और रोगों का प्रकोप होता रहता है। कभी-कभी इनके प्रकोप से पूरी फसल नष्ट भी हो जाती है। इसके अतिरिक्त पौधे की वृद्धि को खरपतवारों से भी नुकसान होता है। फसल को कीटों, रोगों और खरपतवारों से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के रसायनों का उपयोग किया जाता है। लहसुन में इन रसायनों का छिडक़ाव नैपसैक या बूम प्रकार के स्प्रेयर से करना उचित रहता है। नैपसैक स्प्रेयर को कंधों पर बेल्ट द्वारा लगाकर रखा जाता है। इसकी कार्यक्षमता 0.4 हैक्टर/दिन है। इसका वजन 7.5 किलोग्राम होता है। यह 10-18 लीटर की टंकी में उपलब्ध है। बूम स्प्रेयर ट्रैक्टरचालित होता है। इसमें रसायन का प्रवाह उच्च दाब पंप के माध्यम से टंकी से नोजल तक होता है। इसमें नोजल की संख्या 10 से 20 तक होती है। लहसुन की फसल में बूम स्प्रेयर के उपयोग के लिए ट्रैक्टर के पहियों के मध्य की चौड़ाई को ध्यान में रखकर फसल पंक्तियों में रोपित करना आवश्यक है।

 

शक्तिमान बूम स्प्रेयर

 

शक्तिमान बूम स्प्रेयर


लहसुन हार्वेस्टर : बचाएं श्रम लागत

खेत में लहसुन की फसल तैयार होने पर किसान भाई जमीन को खोदकर या इसके तने को हाथों से खींचकर जमीन में से लहसुन को निकालते हैं। इस कार्य में बहुत अधिक समय और श्रम लगता है। इसके लिए प्रति हेक्टेयर करीब 30-35 श्रमिकों की आवश्यकता होती है। कई जगह किसान कल्टीवेटर का उपयोग करके खेत को खोदकर लहसुन को निकालते हैं। इस प्रक्रिया में किसान को नुकसान अधिक होता है। साथ ही लहसुन को इकट्ठा करने में भी श्रमिक लागत ज्यादा आती है।

ट्रैक्टर चलित लहसुन खोदने वाले यंत्र (लहसुन हार्वेस्टर) से यह काम बहुत आसानी होता है। इस मशीन में एक डेढ़ मीटर चौड़ा ब्लेड लगा होता है। जिससे भूमि की खुदाई की जाती है। इसके बाद लहसुन को चेन टाइप की पृथक्करण जाली से गुजारा जाता है। पृथक्करण जाली में लोहे की छड़ें समान दूरी पर लगी होती हैं। मशीन के संचालन के दौरान पृथक्करण जाली से पौधों में लगी मिट्टी अलग हो जाती है। इस जाली के पिछले हिस्से से लहसुन गिरकर एक पंक्ति में जमा हो जाता है। इसके बाद लहसुन की गांठों को 3-4 दिनों तक खेत में ही सुखाया जाता है। इस मशीन को ट्रैक्टर के पीटीओ द्वारा संचालित किया जाता है। मशीन की कार्य क्षमता 0.25 से 0.30 हैक्टर/घंटा होती है। इसकी परिचालन लागत 3000-3500 रुपये/हैक्टर है। काली मृदा में इस मशीन को चलाने के लिए थोड़ी नमी का होना आवश्यक है। लाल मृदा में इसे बड़ी सुगमता से चलाया जा सकता है।


लहसुन गांठ तोडऩे वाला उपकरण

लहसुन की बुआई के लिए रोपण सामग्री इनकी कली (क्लोव) होती है। इन कलियों को हाथ या लकड़ी द्वारा गांठ से अलग करते हैं। इस पारंपरिक विधि में बहुत अधिक समय लगता है। साथ ही श्रम लागत भी अधिक लगती है। इस कार्य को बल्ब ब्रेकर मशीन द्वारा आसानी से कर सकते हैं। इस मशीन के संचालन के लिए सर्वप्रथम लहसुन को हॉपर में भरा जाता है। इसके बाद लहसुन की गांठ को दो घूमते हुए ड्रमों के मध्य से गुजारा जाता है, जिससेकलियां गांठ से पृथक हो जायें। एक ब्लोअर की सहायता से छिलकों को कलियों से अलग कर लिया जाता है। इस उपकरण द्वारा कलियों का उनके आकार के अनुसार पृथक्करण भी किया जाता है। यह उपकरण ट्रैक्टर अथवा विद्युत से चालित है। ट्रैक्टर तथा विद्युतचालित इस उपकरण की कार्य क्षमता क्रमश: 25-30 एवं 10-15 क्विंटल/घंटा होती है।

 

 

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