किसान मई के महीने में नहीं करें ग्वार की बुवाई, हो सकता है नुकसान

Share Product प्रकाशित - 12 May 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

किसान मई के महीने में नहीं करें ग्वार की बुवाई, हो सकता है नुकसान

जानें, ग्वार की बुवाई का सही समय और इसके लाभ

ग्वार की खेती (Cultivation of guar) करने वाले किसानों के लिए कृषि विशेषज्ञों ने मई माह में ग्वार की बुवाई नहीं करने की सलाह दी है। इस संबंध में कृषि विभाग सिरसा के खंड नाथूसरी चौपटा के अधिकारी व ग्वार विशेषज्ञ की संयुक्त टीम किसानों को जागरूक करने में लगी है। 

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इस कड़ी में नाथूसरी चौपटा के एटीएम डॉ. मदन सिंह की देखरेख में ग्वार विशेषज्ञ के सहयोग से खंड नाथूसरी चौपटा के गांव खेड़ी में ग्वार की समय से पहले बिजाई नहीं  करने और जड़गलन रोग की रोकथाम के बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के दौरान हुई गोष्ठी में ग्वार विशेषज्ञ ने ग्वार की उन्नत किस्मों, समय पर बिजाई, बीज उपचार व संतुलित खाद के प्रयोग के बारे में बताया।

किसान मई माह में क्यों नहीं करें ग्वार की बुवाई (Why farmers should not sow guar in the month of May)

ग्वार विशेषज्ञ डॉ. यादव ने किसानों को मई माह में ग्वार की बिजाई नहीं करने की सलाह दी है। इसके पीछे कारण यह बताया गया कि यदि किसान मई माह में ग्वार की बुवाई करते हैं तो फसल की बढ़वार अधिक हो जाएगी जिससे फसल गिरने की आशंका अधिक रहेगी। इतना ही नहीं फल भी कम आएगा और नीचे की फलियां जो बनेंगी, वे सुकड़ कर सूख जाएंगी। इससे ग्वार की पैदावार पर विपरित असर पड़ेगा। बता दें कि सिरसा जिले के नहरी क्षेत्र में नरमा की बिजाई करने के बाद किसानों की आम धारणा रहती है कि नहर का पानी उपलब्ध होने पर वे अपने खेत में पानी लगाकर मई महीने में ही ग्वार की बिजाई करने लग जाते हैं।

तो कब करें किसान ग्वार की बुवाई (So when should farmers sow guar)

ग्वार की बुवाई का उचित समय जून का दूसरा पखवाड़ा माना जाता है। ऐसे में सिंचित क्षेत्रों में जब भी नहर का फालतू पानी उपलब्ध हो तो किसान ग्वार की बुवाई शुरू कर सकते हैं। बुवाई से पहले बीजों को उपचारित करके और इसके बाद ही बीजों की बुवाई करें। ग्वार की फसल को जड़ गलन जिसे उखेड़ा रोग भी कहते हैं इसकी रोकथाम के लिए 3 ग्राम कार्बन्डाजिम 50 प्रतिशत (बेविस्टीन) प्रतिकिलो बीज की दर से 15 से 20 मिनट सूखा उपचारित करने के बाद ही बीजों की बुवाई करनी चाहिए।  

ग्वार की बेहतर पैदावार के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties of guar for better yield)

उन्होंने किसानों को ग्वार के उन्नत किस्मों की जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि ग्वार की बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए ग्वार की एचजी 365, एचजी 563 व एचजी 2-20 किस्म की बिजाई उचित समय पर करें। खंड नाथूसरी चौपटा के एटीएम डॉ. मदन सिंह ने शिविर में संबोधित करते हुए बिजाई से पहले अपने खेत की मिट्‌टी व पानी की जांच कराने की बात कही। इसी के साथ ही उन्होंने खेती की पुरानी पद्धति छोड़कर नई तकनीक अपनाकर खेती करने पर जोर दिया।  

कैसे करें ग्वार की खेती (How to cultivate guar)

ग्वार की खेती (Cultivation of guar) ग्रीष्म और वर्षा दोनों ऋतुओं में की जा सकती है। इसे काली मिट्‌टी को छोड़कर सभी प्रकार की मिट्‌टी में उगाया जा सकता है। ग्वार की बेहतर पैदावार के प्राप्त करने के लिए इसे बलुई दोमट मिट्‌टी में उगाना ज्यादा अच्छा रहता है। ग्वार की बुवाई के लिए खेत तैयार करते समय खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल जिसे हैरो करते हैं से करनी चाहिए। इसके बाद कल्टीवेटर से दो जुताई करनी चाहिए और पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए। ग्वार की बुवाई किसान दो समय पर कर सकते हैं। यदि सब्जी के लिए ग्वार की खेती कर रहे हैं तो इसे फरवरी-मार्च में सरसों, गन्ना, आलू के खाली पड़े खेतों में बोया जा सकता है। वहीं यदि चारे व दाने के लिए इसकी खेती करना चाहते हैं तो इसे जून-जुलाई माह में बोना चाहिए। ग्वार की बुवाई प्रथम मानसून के बाद जून या जुलाई में की जा सकती है। कुछ क्षेत्रों में इसकी बुवाई सितंबर से अक्टूबर माह में भी की जाती है। ग्वार की बुवाई के लिए 5 से 8 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर की जरूरत होती है। बुवाई से पहले ग्वार के बीजों को राईजोबियम व फॉस्फोरस सोलूबलाइजिंग बैक्टीरिया (पी.एस.बी.) कल्चर से उपचारित करके बोना चाहिए।   

ग्वार का क्या है उपयोग (What is the use of guar)

ग्वार की खेती (Cultivation of guar) से प्राप्त होने वाली फलियों को सब्जी बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। वहीं इसके दानों का पशु आहार एवं गोंद बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे जो चारा प्राप्त होता है उस शुष्क चारे को पशुओं को खिलाया जाता है। इससे गोंद निकालने के बाद कई तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं। इसमें ग्वार आटा, ग्वार खली, ग्वार चूरी और ग्वार कोरमा जो अधिक प्रोटीन से युक्त होता है, इसे पशुओं को खिलाया जाता है। इससे प्राप्त ग्वार गम का उपयोग पेपर उद्योग, कपड़ा उद्योग और इमारती लकड़ी फिनीशिंग के रूप में किया जाता है। ग्वार के बीजों का उपयोग गोंद उद्योग के साथ ही पेट्रोलियम उद्योग में भी किया जा रहा है।

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