Published - 24 Sep 2020 by Tractor Junction
आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 15 सितंबर को लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में भी मंजूरी दे दी गई। इस विधेयक के तहत अनाज, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज एवं आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर कर दिया गया है। यह विधेयक कानून बनने के बाद इससे संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा। इस विधेयक के अनुसार अब इन आवश्यक वस्तुओं का स्टॉक की लिमिट खत्म कर दी गई है। इससे अब कितनी ही मात्रा में इसका स्टाक किया जा सकता है।
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विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए उपभोक्ता मामलों तथा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे ने मीडिया को बताया कि कानून के जरिये स्टॉक की सीमा थोपने से कृषि क्षेत्र में निवेश में अड़चनें आ रही थीं। उन्होंने कहा कि साढ़े छह दशक पुराने इस कानून में स्टॉक रखने की सीमा राष्ट्रीय आपदा तथा सूखे की स्थिति में मूल्यों में भारी वृद्धि जैसे आपात हालात उत्पन्न होने पर ही लागू की जाएगी। विधेयक में प्रसंस्करणकर्ताओं और मूल्य वर्द्धन करने वाले पक्षों को स्टॉक सीमा से छूट दी गयी है। दानवे ने कहा कि इस कदम से कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा तथा अधिक भंडारण क्षमता सृजित होने से फसलों की कटाई पश्चात होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि यह संशोधन किसानों एवं उपभोक्ताओं दोनों के पक्ष में है।
एक प्रमुख अर्थशास्त्री ने मीडिया से हुई बातचीत में कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम ( ईसीए ) सही दिशा में उठाया गया कदम है क्योंकि इससे किसानों की आय बढ़ेगी। लेकिन, इससे ग्रामीण गरीबी भी बढ़ सकती है और जन वितरण प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि विधेयक में उठाए गए कदम का मकसद निजी निवेशकों के बीच उनके कारोबार में अत्यधिक नियामकीय हस्तक्षेप की आशंकाओं को दूर करना है। अर्थशास्त्री ने कहा, ईसीए से किसानों की आय बढ़ेगी क्योंकि वे अपनी उपज कहीं भी बेचने को स्वतंत्र होंगे। उन्हें अपनी उपज स्थानीय मंडी में बेचने की अनिवार्यता नहीं होगी। अब बड़ी कंपनियां गांवों में सीधे किसानों से उपज खरीदने के लिए जाएंगी। यह किसानों के लिए लाभदायक होगा।
अर्थशास्त्री ने अपना नाम देने से मना किया है। उन्होंने कहा कि लेकिन अगर बड़े पैमाने पर थोक खरीद या जमाखोरी के कारण जरूरी जिंसों के दाम बढ़ते हैं, तो इसका दो प्रतिकूल प्रभाव भी हो सकता है। अर्थशास्त्री ने कहा कि पहला ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर बढ़ेगी। परिणामस्वरूप गरीबी बढ़ेगी। दूसरा, सरकार के लिए राशन की दुकानों के लिए खरीद की लागत बढ़ेगी।
इस संबध में हुगली जिले के एक किसान ने कहा कि वह कृषि विधेयकों के बारे में नहीं जानता, लेकिन उसकी उपज को बड़ी कंपनियों को बेचने की अनुमति मिलेगी तो उसे अच्छा मूल्य मिल सकता है। हालांकि, व्यापारियों के एक संगठन फोरम ऑफ ट्रेडर्स ऑर्गनाइजेशन ने कहा कि आवश्यक वस्तु कानून में संशोधन से बड़े कारोबारी अनाज, दाल, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसे जरूरी जिंसो की जमाखोरी कर सकते हैं जिससे कीमतें बढ़ेंगी। फोरम के सचिव रबींद्रनाथ कोले ने दावा किया, इस विधेयक के पारित होने के एक दिन के भीतर ही प्याज के दाम 10 रुपये किलो बढ़ गए। राज्य में आलू के दाम भी बढ़े है क्योंकि जून में ही मुक्त व्यापार की अनुमति दे दी गई। उत्पाद दूसरे राज्यों में भेजे जा रहे हैं और राज्य सरकार का इस पर नियंत्रण नहीं है।
इस विधेयक के कुछ प्रतिकूल प्रभाव सामने आने की संभावना कई लोगों और अर्थशास्त्र के जानकारों द्वारा जताई जा रही है इनमें से प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं-
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