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फसल अवशेष : किसानों से पराली खरीदेगी सरकार, रेट तय

Published - 25 Jan 2021

जानें, किस कीमत पर किसानों से खरीदी जाएगी पराली? यहां देखें रेट लिस्ट

फसल अवशेष यानि पराली जलाने की समस्या आज से ही नहीं काफी पहले से चली आ रही है। पराली जलाने से उठे धुएं को खतरनाक मानते हुए सरकार ने किसानों के पराली जलाने पर रोक लगाते हुए सजा व जुर्माने का भी प्रावधान किया था। हांलाकि अभी नए कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग के दौरान हुई बैठक में किसानों को पराली जलाने पर कार्रवाई नहीं करने की मांग को मान लिया गया है। इसी बीच पराली को लेकर यूपी सरकार ने पराली समस्या का एक बहुत ही शानदार समाधान ढूंढ निकाला है। अब यूपी सरकार किसानों से पराली की खरीद करेगी जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी की जा सके। इसके लिए सरकार ने विभिन्न फसल अवशेषों की खरीद के लिए कीमत भी तय कर दी है। 

 

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कृषि अवशेष से बायोकोल उत्पादन शीघ्र

मीडिया में प्रकाशित खबरों के हवाले से योगी सरकार की पहल पर उत्तरप्रदेश के बहराइच में प्रदेश का पहला कृषि अवशेष से बायोकोल उत्पादन के संयंत्र का ट्रायल पूरा हो गया है और जल्द ही इसकी शुरूआत होने वाली है। प्रदेश में बहराइच के रिसिया में कृषि अपशिष्टों से बायोकोल उत्पादन इकाई की स्थापना की जा चुकी है। इसके लिए क्षेत्र के हजारों किसानों से कृषि अपशिष्टों धान का पुआल, मक्के का डंठल, गन्ने की पत्ती आदि 1500 से लेकर 2000 तक प्रति टन भुगतान कर खरीदी जा रही है। एग्रो वेस्ट से निर्मित फ्यूल ब्रिकेट पैलट का संयत्र में ट्रायल पूरा हो चुका है। अब तक किसानों से उनका फसल अवशेष पराली, मक्के का डंठल, गन्ने की पत्ती आदि करीब 10 हजार कुंटल खरीदी भी जा चुकी गई है। सरकार का मानना है कि पराली खरीदने की शुरुआत करने से किसानों की आय में इजाफा होगा वहीं पराली जलाने की समस्या का समाधान हो सकेगा। इसके अलावा पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। 

 


क्या है पराली?

दरअसल पराली धान की फसल के कटने बाद बचा बाकी हिस्सा होता है जिसकी जड़ें धरती में होती हैं। किसान पकने के बाद फसल का ऊपरी हिस्सा काट लेते हैं क्योंकि वहीं काम का होता है बाकी अवशेष होते हैं जो किसान के लिए बेकार होते हैं, उन्हें अगली फसल बोने के लिए खेत खाली करने होते हैं तो सूखी पराली को आग लगा दी जाती है। पराली ज्यादा होने की वजह यह भी है कि किसान अपना समय बचाने के लिए आजकल मशीनों से धान की कटाई करवाते है। मशीनें धान का सिर्फ उपरी हिस्सा काटती हैं और और नीचे का हिस्सा भी पहले से ज्यादा बचता है। यही वह अवशेष है जिसे हरियाणा और पंजाब में पराली कहा जाता है।

 

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पराली जलाने से क्या होते हैं ये नुकसान?

पराली जलाने से मीथेन, कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन-डाइ-ऑक्साइड गैसों सहित पार्टिकुलेट मेटर (इससे वायुमंडल में कोहरा सा छा जाता है) का उत्र्सजन होता है। जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद खतरनाक है। इस बात का अंदाजा आप इस तरह से लगा सकते हैं कि एक टन पराली जलाने पर तीन किलो पार्टिकुलेटर, 60 किलो कार्बन मोनो ऑक्साइड, 1460 किलो कार्बन डाइ ऑक्साइड, दो किलो सल्फर डाइ ऑक्साइड, 199 किलो राख, उत्सर्जन होता है। इससे मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट होने लगते हैं। वहीं पराली जलाने से उठे धुएं से कई लोगों को फेफड़े की समस्या, सांस लेने में तकलीफ, कैंसर समेत अन्य रोग का शिकार होना पड़ता है। 


अब पराली से बनेंगे पैलेट्स, प्रदेश में लगेंगी ईकाइयां

यूपी में कृषि अवशेष से बायोकोल उत्पादन के संयंत्र के शुरू होने को लेकर एपीसी आलोक सिंहा ने बताया कि इस संयंत्र के शुरू करना, किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में यह छोटा सा प्रयास है, लेकिन इससे किसानों को पराली की समस्या से राहत मिलेगी और उसके बदले में रुपए भी मिलेंगे। प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा कृषि अवशेषों से पैलेट्स बनाने के लिए ईकाइयां लगाई जा सकें, इसके लिए अन्य लोगों को भी प्रेरित किया जा रहा है। बता दें कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने किसानों की आय में बढ़ोतरी और लागत में कमी लाने के निर्देश कृषि विभाग को दिए थे। उनकी ही पहल पर इस संयंत्र शुरू करने और किसानों से फसल अवशिष्ट खरीदने का काम किया जा रहा है।


प्रदेश के इन पांच अन्य जिलों में भी कृषि अवशेषों से बनेंगे पैलेट्स

बायोमास ब्रिकेट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राम रतन का कहना है कि प्रदेश में करीब 200 इकाइयां कार्यरत हैं। इसी तरह का संयत्र लगाने के लिए शाहजहांपुर से दो, पीलीभीत से एक, फैजाबाद से एक, बस्ती से एक और गोरखपुर से भी एक प्रस्ताव आए हैं, जिन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है।

 

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फसल अवशेष के लिए तय की गई दरें

  • गन्ने की पत्ती की बेल (गांठ) डेढ़ रुपए प्रति किलो
  • सरसों की डंठल (तूड़ी) दो रुपए प्रति किलो
  • मक्का डंठल डेढ़ रुपए प्रति किलो
  • पराली (धान पुआल) बेल डेढ़ रुपए प्रति किलो
  • गेहूं का निष्प्रयोज्य अवशेष डेढ़ रुपए किलो
  • अरहर स्टैक (झकरा) तीन रुपए प्रति किलो
  • मसूर भूसा दो रुपए प्रति किलो।

 

 

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