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मिर्च की उन्नत किस्में : मिर्च की ये टॉप 5 किस्में देंगी अधिक उत्पादन

Published - 21 Oct 2021

मिर्च की खेती (Chilli Farming) : जानें, मिर्च की इन किस्मों की विशेषताएं और लाभ

मसाला फसलों में मिर्च का अपना एक अलग महत्वपूर्ण स्थान है। ये किसानों के लिए नकदी फसल मानी जाती है। इसकी बाजार मांग को देखते हुए मिर्च की खेती (Chilli Agriculture) किसी भी तरह घटे का सौदा नहीं है। मिर्च की मांग पूरे बारह माह बाजार में बनी रहती है। 

भारत में हरी मिर्च की खेती / Mirch ki kheti in India / Chilli Varieties in India

भारत में हरी और लाल दोनों तरह की मिर्च का उपयोग किया है। मसाले के काम में आने वाली मिर्च में तीखापन होना जरूरी है। मिर्च की खेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए जरूरी है कि अधिक मिर्च उत्पादन देने वाली किस्मों का चयन किया जाए। 

मिर्च की किस्म / Chili Varieties

इसके लिए किसान क्षेत्र की जलवायु एवं भूमि के अनुसार संकर एवं मुक्त परागित किस्मों का चयन कर अच्छा लाभ  प्राप्त कर सकते हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको मिर्च की उन किस्मों / मिर्च की उन्नत किस्में (Best Chilli Variety) की जानकारी दे रहे हैं जो अधिक उत्पादन देने के साथ ही रोग-प्रतिरोधी किस्में के रूप में जानी जाती हैं। 

1. अर्का मेघना

यह आईएचआर 3905 (सीजीएमएस) और आईएचआर 3310 के संकरण का एफ1 संकर है। अगेती किस्म फल गहरे हरे और परिपक्वता होने पर गहरे लाल होते हैं। विषाणुओं और चूषक कीटों के प्रति प्रक्षेत्र सहनशील है। इसे अ.भा.स.अनु.प. (सब्जी फसल) की 23वीं बैठक के दौरान 2005 में राष्ट्रीय स्तर पर विमोचित करने हेतु अनुशंसित और 2006 में अधिसूचित किया गया था।

अर्का मेघना की विशेषताएं और लाभ

  • अर्का मेघना किस्म/प्रजाति की मिर्च के पौधे लंबे, ओजस्वी एवं गहरे रंग के होते हैं। इसके फल की लम्बाई 10 से.मी. एवं रंग गहरा हरा होता है। इसकी परिपक्वता अवधि 150 से 160 दिनों की होती है। यह हरे एवं लाल दोनों तरह के फलों के लिए उपयुक्त किस्म है। यह प्रजाति चूर्णिल आसिता व वायरस के प्रति सहनशील होती है। 
  • अर्का मेघना उच्च उपजवाला संकर बीज है जिसकी उपज क्षमता काफी अच्छी है। इस किस्म से 30-35 टन हरी मिर्च व 5-6 टन सूखी लाल मिर्च प्रति हैक्टेयर का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। 

2. अर्का श्वेता

यह आईएचआर 3903 (सीजीएमएस वंश) और आईएचआर 3315 के संकरण का एफ1 संकर है। फल चिकने, हल्के हरे और परिपक्व होने पर लाल होते हैं। विषाणुओं के प्रति प्रक्षेत्र सहनशील। अ.भा.स.अनु.प. (सब्जी फसल) की 23वीं बैठक के दौरान 2005 में राष्ट्रीय स्तर पर विमोचित करने हेतु अनुशंसित। पूरे देश में विमोचन हेतु अर्का श्वेता की अनुशंसा सीएसएन एवं बागवानी फसल की आरवी पर सीएससी की 14वीं बैठक के दौरान 2007 में की गई।

अर्का श्वेता की विशेषताएं और लाभ

  • अर्का श्वेता उच्च उपजवाली संकर प्रजाति/किस्म है। मिर्च की इस किस्म की लंबाई लगभग 13 से.मी. एवं मोटाई 1.2 से 1.5 से.मी तक होती है। 
  • यह किस्म विषाणु रोग के प्रति सहनशील होती है।
  • इस किस्म से 28-30 हरी मिर्च एवं 4-5 टन लाल मिर्च प्रति हैक्टेयर के अनुसार पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

3. काशी सुर्ख

काशी सुर्ख सेमी लाइन (सीसीए 4261) और पूसा ज्वाला से प्राप्त इनब्रेड के बीच एक क्रॉस का एफ1 हाइब्रिड है। पौधे अर्ध-निर्धारित (1-1.2 मीटर), तने पर खड़े और नोडल रंजकता वाले होते हैं। फल हल्के हरे, सीधे, लंबाई 11-12 सेमी, हरे और लाल फलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त होते हैं। 

काशी सुर्ख मिर्च विशेषताएं और लाभ

  • इस किस्म/प्रजाति के पौधे लगभग 70 से 100 से.मी. मोटे ऊंचे एवं सीधे होते हैं। फल 10 से 12 से.मी. लंबे, हल्के हरे, सीधे तथा 1.5 से 1.8 से.मी. मोटे होते हैं। प्रथम तुड़ाई पौध रोपण के 50 से 55 दिनों बाद मिल जाती है। यह फल सूखे एवं लाल दोनों प्रकार के लिए उत्तम किस्म है। 
  • काशी सुर्ख संकर प्रजाति है। इस किस्म से हरी मिर्च का उत्पादन 20 से 25 टन एवं सूखी लाल मिर्च 3 से 4 टन प्रति हैक्टेयर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता हैं।

4. काशी अर्ली

इस एफ1 हाइब्रिड को IIVR वाराणसी में PBC-473 x KA-w को पार करके विकसित किया गया है। इस किस्म में सुस्त हरे तनों पर नोडल रंजकता के बिना लंबे (100-110 सेमी ऊंचाई) के पौधे और लटकते फल लगते हैं। फल लंबे (8-9 x 1.0-1.2 सेमी), आकर्षक, गहरे हरे और शारीरिक परिपक्वता पर चमकीले लाल हो जाते हैं, चिकनी सतह के साथ तीखे होते हैं। 

काशी अर्ली की विशेषताएं और लाभ

  • इस प्रजाति की मिर्च के पौधे 60 से 75 से.मी. लंबे तथा छोटी गांठों वाले होते हैं। 
  • फल 7 से 8 से.मी. लंबे, सीधे 1 से.मी. मोटे तथा गहरे होते हैं। 
  • पौध रोपण के मात्र 45 दिनों में प्रथम तुड़ाई प्राप्त हो जाती है, जो सामान्य संकर किस्मों से लगभग 10 दिनों पहले होती है। 
  • इस प्रजाति/किस्म से जल्दी तैयार हो जाती है। इससे हरी मिर्च का उत्पादन 300 से 350 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक किया जा सकता है।

5. पूसा सदाबहार किस्म

यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई है। इस पूसा सदाबहार किस्म के तैयार होने में मात्र 60 से 70 दिनों का समय लगता है। मिर्च की यह किस्म एक हेक्टेयर में 40 कुंतल की पैदावार देती है, जो मिर्च की किसी भी किस्म से कहीं अधिक है। पूसा से विकसित की गई मिर्च की पूसा सदाबहार किस्म देश के किसी भी हिस्से में उगाई जा सकती है।

पूसा सदाबहार विशेषताएं और लाभ

  • पूसा सदाबहार किस्म की मिर्च छह से आठ सेमी. लंबी होती है और इस किस्म से करीब एक गुच्छे में 12 से 14 मिर्च पैदा होती हैं। 
  • मिर्च कि यह किस्म पत्ती मोडक़, विषाणु, फल-सडऩ, थ्रिप्स एवं माइटस अवरोधी हैं।
  • इसके पौधे लंबे व फल गुच्छों में लगते हैं।
  • यह किस्म रोपाई के 60 दिन बाद तैयार हो जाती है। 
  • पूसा सदाबहार किस्म से हरी मिर्च का उत्पादन 8 से 10 टन प्रति हैक्टेयर मिल जाता है।

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