Published - 07 Oct 2020 by Tractor Junction
कोरोना संक्रमण काल में जहां आम आदमी की आमदनी कम हुई है वहीं खाने-पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं। सब्जियों के भावों में तेजी के बाद अब दालों के भावों ने भी तेजी की रफ्तार पकड़ ली है। साबुत दालों की कीमतों में आई तेजी का असर अरहर, उड़द आर चना दाल की कीमतों पर देखा जा रहा है। थोक में लेमन अरहर दाल की कीमतों में 500 रुपए की तेजी देखी गई है। दिल्ली के नया बाजार में लेमन अरहर दाल के भाव 10 हजार 400 से 10 हजार 800 रुपए प्रति क्विंटल बोले गए हैं। वहीं दिल्ली में उड़द धोया की कीमतों में 300 रुपए की तेजी आई है, भाव 9600 से 9800 रुपए प्रति क्विंटल बोले गए हैं। चना दाल के भाव भी तेजी के बाद 6300 से 6600 रुपए प्रति क्विंटल हो गए हैं। मूंग धोया के भाव 8500 से 8800 रुपए और मसूर मल्का कोरी के भाव 6500 रुपए प्रति क्विंटल पर स्थिर बने हुए हैं।
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बाजार विशेषज्ञों के अनुसार भारी बारिश से देश के कई हिस्सों में फसल खराब हुई है। उड़द और मूंग की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। कुछ हिस्सों में तुअर की फसल भी बर्बाद हुई। बारिश के कारण फसल को नुकसान और मांग में सुधार के कारण दालों की कीमतों में लगातार बढ़त देखने को मिल रही है। सरकार द्वारा आयात लाइसेंस जारी नहीं करने के कारण भी घरेलू बाजार में तुअर की सप्लाई कम हुई है जिससे कीमतों को और सपोर्ट मिला है। नैफेड के तुअर ना बेचने से भी कीमतों में तेजी आई है।
चने की दाल में भी लगातार तेजी बनी हुई है और भविष्य में त्योहारी डिमांड के चलते तेजी की संभावना है। पिछले एक महीने के दौरान चने की कीमतों में 40 फीसदी का उछाल आया है। एनसीडीईएक्स पर चना 5600 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बिक रहा है। खरीफ दलहन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढऩे से इसको सहारा मिल रहा है। नैफेड के पास चना का काफी स्टॉक है। सरकार 13.77 लाख टन दलहन और तिलहन खरीदेगी। व्यापारियों के अनुसार चार महीने बाद जब नई फसल आएगी तब ही कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी। इसके साथ ही अगर मटर की दाल के इंपोर्ट पर लगा बैन हट जाता है तो चने की कीमतें नीचे आ जाएंगी। इसके अलावा मूंग और उड़द दाल भी 10 फीसदी तक महंगी हो चुकी है।
चना दाल की कीमतें पिछले साल इस अवधि में 70-80 रुपये प्रति किलो थी लेकिन इस बार यह 100 रुपये के पार पहुंच चुकी है। अरहर दाल 115 रुपये प्रति किलो बिक रही है। कारोबारियों की मांग है कि सरकारी एजेंसी नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (नेफेड) को सप्लाई बढ़ाने के लिए अपना स्टॉक रिलीज करना चाहिए। देश के अंदर सप्लाई में गिरावट आई है। जबकि, डिमांड लगातार बढ़ रही है। इसलिए कारोबारियों ने 2020-21 के लिए आयात कोटा जारी करने की मांग की है।
सरकार का मानना है कि आपूर्ति की स्थिति ठीकठाक है और अगले तीन महीने में खरीफ सीजन की फसल बाजार में आनी शुरू हो जाएगी। इस साल बंपर पैदावार का अनुमान है। जानकारी के मुताबिक भारत को उम्मीद है कि खरीफ सीजन में दालों का कुल उत्पादन 93 लाख टन होगा। अरहर का उत्पादन पिछले साल के 38.3 लाख टन के मुकाबले इस साल बढक़र 40 लाख टन होने की उम्मीद है।
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