Published - 31 Jul 2020 by Tractor Junction
इस बार कई देश के कई राज्यों में पानी की कमी के कारण किसानों का रूझान अन्य फसलों की तरफ हुआ है। इसमें गुजरात में किसानों ने कपास की खेती में दिलचस्पी कम दिखाकर अन्य फसलों की ओर अपना रूझान किया। इसका परिणाम यह हुआ कि कपास का रकबा पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत तक घट गया।
वहीं अन्य फसलों जैसे मूंगफली, सोयाबीन, तिल व मूंग, ग्वार का रकबा में बढ़ोतरी हुई है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार गुजरात में मूंगफली का रकबा सामान्य से 132.31 प्रतिशत ज्यादा हो गया है। सोयाबीन की बुआई सामान्य के मुकाबले 120.65 प्रतिशत और तिल की खेती सामान्य के मुकाबले 116.65 प्रतिशत पहुंच गई है।
कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 20,37,748 हेक्टेयर में मूंगफली की खेती हुई है जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 47 प्रतिशत ज्यादा है, जबकि सोयाबीन की खेती पिछले साल से 58 प्रतिशत फीसदी बढक़र 1,47,177 हेक्टेयर है तथा तिल की खेती करीब तीन गुना बढक़र 1,19,124 हेक्टेयर में पहुंच गई है। वहीं दलहन फसलों में मूंग की खेती पिछले साल के मुकाबला दोगुना से ज्यादा हो गई है।
राज्य में 27 जुलाई तक 71,597 हेक्टेयर में मूंग की खेती हुई है, जबकि पिछले साल इस अवधि में यहां 29,538 हेक्टेयर में मूंग की खेती हुई थी। वहीं इस दौरान उड़द का रकबा पिछले साल से करीब 26 प्रतिश बढक़र 71,597 हेक्टेयर तक पहुंच गया है। गुजरात में कुल खरीफ दलहन की बुआई पिछले साल से करीब 25 प्रतिशत आगे चल रही है। अबतक यहां 3,55,830 हेक्टेयर में दलहन की बुआई हो चुकी है।
बारिश की कमी के कारण इस साल गुजरात में कपास की खेती का रकबा 7 प्रतिशत घट गया है। कृषि विभाग के अनुसार राज्य में 27 जुलाई माह तक 22,16,411 हेक्टेयर में कपास की खेती हुई है जो पिछले साल के मुकाबले कम है। पिछले साल इसी अवधि में कपास का रकबा 23,76,074 हेक्टेयर था। राज्य में औसतन 26,73,892 हेक्टेयर में कपास की खेती होती है। लेकिन, इस बार 27 जुलाई तक इसके मुकाबले करीब 82.89 प्रतिशत ही बुआई हो पाई है।
इस साल यदि मौसमी परिस्थितियां अनुकूल रही और उत्पादन आशानुकूल हुआ तो किसानों को मूंगफली व सोयाबीन की खेती से अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद है। वहीं मूंगफली व सोयाबीन की फसल अच्छी होने से बाजार में व्यापारियों को भी फायदा होगा। बता दें कि इन दिनों बाजार में मांग अधिक होने से सभी खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी बनी हुई है। यदि यह तेजी बरकार रहती है तो किसानों को तिलहन फसलों के बेचान से अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद की जा सकती है। अभी बाजार में व्यापारियों के पास पुराना स्टाक है जिस पर व्यापारियों द्वारा अनुबंध सौदे किए जा रहे हैं। यदि समय पर फसल आ जाती है तो किसानों और व्यापारियों दोनों को फायदा होगा।
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