Published - 16 Oct 2020 by Tractor Junction
इन दिनों मौसम में हो रहे बदलाव को लेकर मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग के अनुसार इस साल पिछले साल की अपेक्षा अधिक सर्दी पडऩे का अनुमान है। मौसम विभाग की जारी चेतावनी के अनुसार इस साल सर्दी की शुरुआत भले ही देरी से हो रही हो लेकिन इस साल सर्दी कड़ाके की पडऩे वाली है। ऐसा इसलिए बताया जा रहा है कि इस समय आसमान से बादल गायब हो चुके हैं और चटक धूप पड़ रही है पर उमस कम हो गई हैं। हालांकि रात के तापमान में गिरावट का रूख देखा जा रहा है। सर्दी के मौसम के इस शुरुआती संकेतों से यह कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में सर्दी अपना असर दिखाना शुरू कर देगी। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अक्टूबर माह से ही दिन के तापमान में भी कमी आने लगेगी, इसके बाद जाड़े की प्रारंभिक शुरुआत हो जाएगी। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार हवाओं का रुख बदलने लगा है। निम्न दवाब वाले उत्तरी क्षेत्रों में अब उच्च दबाव की वजह से हवाओं की रफ्तार बढ़ी है।
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भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के अनुसार इस वर्ष ला नीना की स्थिति के कारण कड़ाके की ठंड पड़ सकती। मीडिया को दी जानकारी में उन्होंने बताया कि यह नहीं समझना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन से तापमान में बढ़ोतरी होती है, बल्कि इसके विपरीत इसके कारण मौसम अनियमित हो जाता है। महापात्र ने कहा, ‘चूंकि ला नीना की स्थिति कमजोर है, इसलिए हम इस वर्ष ज्यादा ठंड की उम्मीद कर सकते हैं। अगर शीत लहर की स्थिति के लिए बड़े कारक पर विचार करें तो अल नीनो और ला नीना बड़ी भूमिका निभाते हैं।’
निजी मौसम ऐजेंसी स्काईमेट वेदर सर्विस से जुड़े वैज्ञानिक शर्मा द्वारा मीडिया को दी गई जानकारी के अनुसार इस समय ला नीना की स्थिति बन रही है। इसके चलते जहां सर्दी का मौसम लंबा हो सकता है। वहीं ठंड भी कड़ाके की पड़ सकती है। इसी वजह से मानसून की बारिश भी पूरे देश में सामान्य से ज्यादा हुई है। जबकि अल नीना की स्थिति में इसका उल्टा होता है।
भारत में मौसम के रुख को तय करने में ला नीना और अल नीनो प्रभाव का काफी अहम रोल है। ला नीना एक प्रक्रिया है, जिसके तहत समुद्र में पानी ठंडा होना शुरू हो जाता है। समुद्री पानी पहले से ही ठंडा होता है, लेकिन इसके कारण उसमें ठंडक बढ़ती है जिसका असर हवाओं पर पड़ता है। एल निनो में इसके विपरीत होता है, दोनों ही क्रियाओं का असर सीधे तौर पर भारत के मॉनसून और सर्दी के मौसम पर पड़ता है।
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