कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने की तैयारियां शुरू

Share Product Published - 28 May 2021 by Tractor Junction

कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने की तैयारियां शुरू

जानें, तीसरी लहर से कितना खतरा और राज्यों द्वारा क्या किए जा रहे हैं इंतजाम

इस समय देश कोराना की दूसरी लहर से जुझ रहा है। हालांकि अब इसमें कुछ राहत नजर आ रही है। संक्रमित मरीजों का आंकड़ा भी कम हुआ है, लेकिन इसी बीच भारत में कोरोना की तीसरी लहर के आने की संभावना भी जताई जा रही है जो काफी खतरनाक हो सकती है। बता दें कि इस समय देश में कोरोना के अलावा ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस और यलो फंगस जैसी बीमारियां भी सामने आ रही है जिसने सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर का सामना करना कितना मुश्किल होगा ये कहा नहीं जा सकता है। इस तीसरी लहर से निपटने के लिए राज्य सरकारें पहले से तैयारियां कर रही है ताकि कोरोना की तीसरी लहर में लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े। वहीं केंद्र सरकार भी वैक्सीनाइजेशन पर जोर दे रही है। 

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कब तक आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर

मीडिया से मिली जानकारी के आधार पर नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज के पूर्व निदेशक रहे और मौजूदा केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. कृष्णास्वामी विजय राघवन ने 5 मई को आशंका जताई थी कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है और इसे टाला नहीं जा सकता है। इस लहर से बच्चे सर्वाधिक प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा- हालांकि अभी ये कहना मुश्किल है कि ये कब आएगी और कैसे प्रभावित करेगी, लेकिन इसके लिए हमें तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा था कि कोविड वैक्सीन मौजूदा वैरिएंट के खिलाफ कामयाब है। हालांकि भारत सहित दुनियाभर में इसके नए वैरिएंट सामने आएंगे। दुनियाभर के वैज्ञानिक इन अलग-अलग किस्म के वैरिएंट का मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं।


विशेषज्ञों का अनुमान- सिंतबर माह तक आ सकती है तीसरी लहर

कनाडा और यूरोपीय देशों में कोरोना के तीसरी लहर के प्रभाव को देखते हुए विशेषज्ञों ने अनुमान जताया है कि भारत में इसका प्रभाव सितंबर माह तक देखने को मिल सकता है। डबल म्यूटेंट वाले कोरोना वायरस के दूसरी लहर ने न केवल भारत अपितु पूरी दुनिया में खासी तबाही मचाई हुई है। ऐसे में तीसरी लहर की आहट ने पूरे विश्व के शीर्ष स्वास्थ्य संगठनों, सरकारों, प्रशासनिक अमले के साथ ही आम जनमानस को भी गंभीर चिंता में डाल दिया है। पहली लहर सर्वाधिक बुजुर्गों के लिए घातक रही, दूसरी लहर युवाओं के लिए और तीसरी लहर बच्चों के लिए सबसे अधिक घातक हो  सकती है। 


बच्चों पर कितना असर डाल सकती है ये तीसरी लहर?

मीडिया में प्रकाशित खबरों के हवाले से भारत में कोरोना की शुरुआती दोनों लहरों में गंभीर रूप से बीमार बच्चों को भी आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत बहुत ही कम पड़ी है। बच्चों के डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन  Indian Academy of Pediatrics  यानी आईएपी का कहना है कि फिर भी अनहोनी के तैयार रहना ही बुद्धिमानी है। इस बात से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि तीसरी लहर में संक्रमित होने वाले ज्यादातर बच्चों में कोरोना गंभीर रूप लेने वाला है। लैंसेट में पब्लिश हुई रिसर्च के मुताबिक कोरोना से बच्चों को बेहद कम खतरा है। अमेरिका, यूके, इटली, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया में सभी बीमारियों के मुकाबले सिर्फ 0.48 प्रतिशत बच्चों की कोरोना के चलते जान गई। 1 मार्च 2020 से 1 फरवरी 2021 के बीच इन सातों देशों में अलग-अलग बीमारियों से 19 साल से कम उम्र के कुल 48,326 बच्चों और टीनएजर्स की मौत हुई। इनमें कोरोना से मौत का आंकड़ा मात्र 231 था। 


कोरोना की तीसरी लहर को लेकर राज्यों की क्या हैं तैयारी

मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार देश में कोरोना की तीसरी लहर के आने की संभावना को देखते हुए सरकार ने 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए खास व्यवस्थाएं करना शुरू कर दिया है। इनमें बच्चों के लिए खास नियम, माता-पिता को टीकाकरण में प्राथमिकता देना शामिल है। इसके अलावा बिस्तरों और पर्याप्त ऑक्सीजन सप्लाई पर भी ध्यान दिया जा रहा है। 

  • महाराष्ट्र में बच्चों के लिए कोविड के बिस्तरों को 600 से बढ़ाकर 2300 करने पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिए जाने की तैयारी चल रही है। बच्चों के टास्क फोर्स बनाई गई है।
  • उत्तर प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों के पैरेंट्स को वैक्सीन मामले में प्राथमिकता दी जाएगी। 
  • दिल्ली सरकार एक विशेष टास्क फोर्स तैयार कर रही है, जिसमें बच्चों को डॉक्टर, एक्सपर्ट्स, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शामिल होंगे। 
  • उत्तराखंड में दो अस्पताल तैयार कर रही डीआरटीओ ने कोविड से प्रभावित बच्चों की मांओं को रहने की सुविधा तैयार करने पर विचार कर रही है। इसके अलावा बच्चों के लिए टास्क फोर्स बनाई गई है।
  • पंजाब में डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिए जाने की तैयारी चल रही है।
  • हिमाचल प्रदेश और गोवा ने बच्चों के लिए टास्क फोर्स बनाई है।
  • झारखंड सरकार ने हाल ही में दिल्ली और बेंगलुरु के एक्सपर्ट्स का रुख किया है। सरकार ने विशेष बच्चों की सुरक्षा के संबंध में सुझाव मांगे हैं। 
  • ओडिशा में भी सरकार ने बच्चे के साथ अस्पताल में एक पैरेंट को अनुमति देने का फैसला किया है। 
  • गोवा में 2 साल से कम उम्र के बच्चों को स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले टीका देने पर विचार कर रही है।


भारत में बच्चों की वैक्सीन को लेकर क्या स्थिति

अभी भारत में केवल दो वैक्सीन उपलब्ध हैं। भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड। इन दोनों में से किसी का भी बच्चों पर ट्रायल नहीं किया गया है। दोनों वैक्सीन 18 साल से ज्यादा उम्र वालों को ही लगाई जा रही है। भारत बायोटेक को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 12 मई को 2 से 18 साल के आयुवर्ग के लिए दूसरे-तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी मिल चुकी है। ट्रायल अगले दो सप्ताह के भीतर शुरू हो सकते हैं। वहीं एस्ट्राजेनेका यूके में 6-17 साल के आयुवर्ग में वैक्सीन का ट्रायल कर रही हैं, लेकिन अभी इसका कोई डेटा नहीं आया है। इस बीच कर्नाटक के बेलगावी में 20 बच्चों को तीसरे चरण के ट्रायल के लिए जाइडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन की पहली डोज दी गई। इनके अलावा जॉनसन एंड जॉनसन और रूसी स्पुतनिक वी वैक्सीन जल्द ही भारतीय बाजारों में उपलब्ध आ जाएंगी। मगर अभी यह स्पष्ट नहीं कि भारत में 18 साल से कम उम्र के बच्चों और किशोरों के लिए वैक्सीन कब उपलब्ध होगी।


जून में शुरू हो सकता है बच्चों के लिए वैक्सीन का परीक्षण

मीडिया में प्रकाशित खबरों के आधार पर भारत बायोटेक जून से बच्चों के लिए कोविड-19 वैक्सीन पर परीक्षण शुरू कर सकता है। पिछले दिनों कंपनी के बिजनेस डेवलपमेंट एंड इंटरनेशनल एडवोकेसी हेड डॉ राचेस एला ने इसकी जानकारी मीडिया को दी थी। फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन (एफएलओ) हैदराबाद के सदस्यों के साथ ऑल अबाउट वैक्सीन विषय पर आयोजित एक वर्चुएल मीटिंग के दौरान उन्होंने यह भी कहा था कि कंपनी को तीसरी या चौथी तिमाही के अंत तक कोवैक्सिन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मंजूरी मिलने की उम्मीद है। डॉ. एला ने विश्वास व्यक्त किया कि बच्चों के लिए टीकों को इस वर्ष की तीसरी तिमाही में लाइसेंस मिल सकता है। डॉ एला ने कहा कि हमने पिछले साल उत्पाद विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया था। अब हमारा ध्यान अपनी विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने पर है। भारत बायोटेक के बच्चों के टीके के परीक्षण को इस साल की तीसरी तिमाही में लाइसेंस मिल सकता है। एला ने यह भी कहा कि भारत बायोटेक इस साल के अंत तक कोवैक्सिन की उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 70 करोड़ खुराक कर देगा।  

 

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