Published - 10 Jun 2021
कोविड-19 की दूसरी लहर ने देश की तमाम इंडस्ट्री को प्रभावित किया है। इस बार कोविड-19 का प्रभाव ग्रामीण इलाकों में अधिक व्यापक रूप से दिखाई दिया। जिसका असर अब ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी विभिन्न इंडस्ट्री पर दिखाई देने लगा है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण उपलब्ध कराने वाले ऋणदाताओं के लिए ऋण वसूली एक चुनौती बनकर सामने आ रही है, क्योंकि नकदी की तरलता में खिंचाव आ गया है। लोगों के पास रुपए की आमद-रफत कम हुई है। ऋणदाताओं को ऋण वसूली में ज्यादा समस्याएं आ रही है। इकोनॉमिक टाइम्स ने इंडिया रेटिंग्स और रिसर्च का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2021 माह की ऋण वसूली में गिरावट देखी गई है, जिसका भुगतान मई में होने वाला था। परिसंपति वर्गों में रेटेड प्रतिभूतिकरण लेनदेन की दर 73 प्रतिशत रही। जबकि मार्च में यह 84 प्रतिशत थी।
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इंडिया रेटिंग्स और रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 का असर देखते हुए गैर बैंकों ने डिजिटल बुनियादी ढांचे में वृद्धि की है। मई 2021 में संग्रह महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित हुआ है क्योंकि एजेंटों, कर्मचारियों और उधारकर्ताओं के बीमार पडऩे के बाद डोर-टू-डोर संग्रह की कार्रवाई नहीं हो पाई। रिपोर्ट के अनुसार ऋण बिक्री लेन-देन में अब ज्यादा चुनौती देखने को मिलेगी। ग्रामीण इलाकों में ज्यादा अपराध देखने को मिल सकते हैं। ऐसी स्थिति में कर्मचारियों की सुरक्षा सर्वोपरि है। ऋणदाता अपने कर्मचारियों के संग्रह और अनुवर्ती कार्रवाई के लिए बाहर निकलने के बारे में सतर्क है। फिच गु्रप की कंपनी को उम्मीद है कि वर्तमान में देखे गए अपराधों से ऊपर सिक्योरिटाइजेशन पूल में अपराध पहले से ज्यादा होगा।
कोविड-19 की पहली लहर के दौरान कमजोर उधारकर्ता (व्यक्ति और व्यवसाय दोनों) वित्त वर्ष 2021 में ऋण चुकाने में असफल रहे हैं। रिपोर्ट में गैर शहरी क्षेत्रों और नाजुक वित्तीय स्थिति वाले उधारकर्ताओं से वित्त वर्ष 2022 में ज्यादा उम्मीद नहीं की गई है। यहां भी ऋण वसूली एक बड़ी चुनौती बन सकती है। आमने-सामने के संग्रह में व्यवधान के कारण माइक्रोफाइनेंस ऋण प्रदर्शन को भी प्रभावित किया है। कई माइक्रोफाइनेंस उधारकर्ता जनवरी से मार्च तक केवल एक महीने का भुगतान करने में सफल रहे। वे दूसरी लहर से काफी प्रभावित हुए हैं, जिससे उस सेगमेंट में बहुत कम संग्रह हुआ है। हालांकि, रेटिंग एजेंसी का मानना है कि कोविड-19 की दूसरी लहर पहली की तुलना में ज्यादा छोटी हो सकती है। आर्थिक एजेंट "एक महामारी के भीतर काम करना" जानते हैं।
इंडिया रेटिंग्स और रिसर्च का मानना है कि हालांकि कोविड-19 की दूसरी लहर का प्रभाव पहली लहर से अलग है। पूंजीगत अप्रचलन का प्रभाव वित्त वर्ष 2021 में खपत पैटर्न और निवेश प्राथमिकताओं में संरचनात्मक परिवर्तनों के कारण शुरू हुआ, जो वित्त वर्ष 2022 में जारी रहेगा। एजेंसी का कहना है कि जबकि अधिकांश व्यवसाय ठीक हो गए, व्यवसाय की प्रकृति की विशेषता के अनुसार प्रत्येक परिसंपत्ति वर्ग में तनाव के हालात हैं। देश की बड़ी आबादी के टीकाकरण के बाद हालात तेजी से सुधरने की उम्मीद है।
व्यापक स्वास्थ्य संकट के कारण उपभोक्ता मांग में कमी देखी गई है। कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण छोटे शहरों और गांवों में संक्रमण और घातक घटनाओं में तेज वृद्धि देखी गई है। इससे शहरी मांग में कमी के अलावा ग्रामीण गैर-कृषि मांग भावना और रोजगार के स्तर को प्रभावित करने की संभावना है।
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