Published - 14 Jun 2021 by Tractor Junction
खेती के लिए ट्रैक्टर का महत्व किसान से ज्यादा कौन जानता होगा। लेकिन जिन किसानों के पास ट्रैक्टर नहीं वे किन परेशानियों में खेती करते होंगे, इसका सटीक जवाब वे ही किसान ही दे सकते हैं जिनके पास ट्रैक्टर नहीं हैं। किसानों के लिए ट्रैक्टर का महत्व समझते हुए एक ग्यारह साल के बेटे ने अपनी बचत के पैसों से पिता को ट्रैक्टर दिलाया है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लाक का यह बेटा इन दिनों देशभर की मीडिया की सुखियां बना हुआ है। पिता को ट्रैक्टर मालिक बनाने के लिए बेटे की इस पहल की सभी सराहना कर रहे हैं।
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मस्तूरी ब्लाक के ग्राम मनवा निवासी किसान रमेश पटेल घर की छोटी-सी परचून दुकान चलाने के अलावा खेती-बाड़ी भी करते हैं। बिना ट्रैक्टर के खेती करने में काफी श्रम और समय बर्बाद होता है, साथ ही मुनाफा भी कम होता है, लेकिन रमेश पटेल इन कठिन परिस्थितियों में अपने परिवार का भरष-पोषण कर रहे हैं। गांव में उनकी दुकान पर खरीददारी करने वाले अधिकांश ग्रामीण छोटे सिक्के ही देते हैं। रमेश अपने बेटे गगन को प्रतिदिन सिक्कों को संभालने के लिए दे देते थे। गगन इन सिक्कों को गिनकर थैली में बांधकर रख देते थे। पिता को जितने रुपयों की जरुरत होती वे ले जाते बाकि सिक्कों की वे बचत करते थे। वे पिछले चार वर्षों से सामान बिक्री के बाद मिले सिक्कों को बेटे को दे रहे थे और बेटा अपनी मां के सहयोग से जमा करते रहा। धीरे-धीरे दो लाख से ज्यादा रुपये जमा हो गए तो बेटे ने खेती के लिए ट्रैक्टर खरीदने का सुझाव दिया।
रमेश बताते हैं कि दिनभर की ग्राहकी के बाद गल्ले से नोट निकालकर गिन लेते थे और सिक्कों को बड़े बेटे गगन को सौंप देते थे। 11 साल के गगन में संग्रहण की प्रवृत्ति शुरू से ही है। यही कारण है कि वह सिक्कों को जमा करने लगा। पहले छोटी सी पेटी में सिक्के रखता था। जब वह भर जाती तो मां और बेटा सिक्के गिनते और पालिथिन में बांधकर खाद वाली बोरी में रख देते। एक दिन मां और बेटे ने परिवार के सभी सदस्यों के सामने खेती को और बेहतर बनाने के लिए ट्रैक्टर खरीदने का प्रस्ताव रखा। यह सुनकर रमेश ने सवाल उठाया कि ट्रैक्टर के लिए जरूरी राशि कहां से आएगी। तब गगन व उसकी मां ने बताया कि ट्रैक्टर लोन में लेने के लिए जो राशि जमा करनी है उसे सिक्का-सिक्का जोडक़र जमा कर लिया है। रमेश पटेल ने बताया कि उनके बेटे गगन ने चार साल के दौरान 16 बोरियों में सिक्के जमा कर लिए थे। रमेश 16 बोरियों में सिक्के किराए के वाहन में लेकर ट्रैक्टर एजेंसी पहुंचे। वहां संचालक ने गर्मजोशी से स्वागत करते हुए ट्रैक्टर की चाबी सौंप दी।
रमेश पटेल ने बताया कि घर में हुई बातचीत के दूसरे ही दिन वे बिलासपुर पहुंचे व ट्रैक्टर एजेंसी संचालक प्रमोद नायक से बात की। उन्होंने बताया कि उसके पास दो लाख रुपये से अधिक के सिक्के हैं। ट्रैक्टर के बदले में सिक्के देने का प्रस्ताव रखा। प्रमोद ने पूछा कि आखिर इतने सिक्के उनके पास आए कहां से। तब रमेश ने बेटे व पत्नी द्वारा सिक्का जमा करने की जानकारी दी। प्रमोद इससे प्रभावित हुए और लोन के जरिए ट्रैक्टर फाइनेंस करने हामी भर दी।
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