Published - 22 May 2021 by Tractor Junction
देश में कोरोना महामारी के बीच अब ब्लैक फंगस की दूसरी मुसीबत देश में आ चुकी है। महाराष्ट्र और गुजरात के बाद अब दिल्ली-एनसीआर सहित अन्य राज्यों में इसका खतरा दिन-प्रति दिन बढ़ रहा है। मेरठ में ये रोग तेजी से फैल रहा है। दिल्ली में ब्लैक फंगस यानि म्यूकोरमाइकोसिस के रोगियों की संख्या बढ़ रही है जिसे लेकर दिल्ली सरकार चिंतित है। दिल्ली एम्स में इस रोग से पीडि़त 80 से 100 मरीज भर्ती हैं। वहीं राजधानी के अन्य अस्पतालों में इसके मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। गंगाराम अस्पताल में 19 मई तक 60 मरीज इस रोग के आ चुके हैं। मैक्स के दिल्ली स्थित सभी सेंटरों में 25 मरीज अब तक भर्ती किए गए हैं। इसके अलावा लेडी हार्डिंग में 12, आरएमएल में 5, अपोलो में 10, आकाश हॉस्पिटल में लगभग 20 मरीजों का इलाज चल रहा है। इधर गुडग़ांव के निजी अस्पतालों में करीब 75 मरीजों का इलाज चल रहा है।
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मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के मेरठ में ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं। बीते चौबीस घंटे में यहां 5 और ब्लैक फंगस मामले सामने आए हैं। चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर अखिलेश मोहन ने बताया कि ब्लैक फंगस से मेरठ में अब तक 6 की मौत हो चुकी है जबकि अलग-अलग अस्पतालों में कुल 72 मरीज़ों का इलाज किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस के लिए मेडिकल कॉलेज में अलग वार्ड बना हुआ है। डॉक्टर अखिलेश मोहन ने कहा कि मेरठ में अलग-अलग जनपदों के भी मरीज़ भर्ती हैं। उनके मुताबिक आधे से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीज़ पड़ोसी जिलों के हैं।
हरियाणा में ब्लैक फंगस के 177 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। गुडग़ांव में ही पिछले दो दिन में ब्लैक फंगस के 25 मामले सामने आए हैं। सिरसा जिले में ब्लैक फंगस से पांच लोगों की मौत हो गई। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कोरोना संक्रमण के बीच सामने आए ब्लैक फंगस के इलाज के लिए व्यापक इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने इसके इलाज के लिए अस्पताल भी तय कर दिए हैं। सीएम ने पीजीआई रोहतक सहित राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को तुरंत इस बीमारी के इलाज के लिए अधिसूचित करने के निर्देश दिए हैं।
महाराष्ट्र में म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) से अब तक 90 लोगों की मौत हो चुकी है। प्रदेश के जन स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे बीते दिनों इसकी जानकारी दी। ब्लैक फंगस के नाम से कुख्यात म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के मामले पिछले साल कोरोना वायरस संक्रमण की शुरूआत के बाद से आने शुरू हुए हैं। मंत्री ने कहा कि कोविड-19 मरीज के इलाज में स्टेरॉयड के अंधाधुंध इस्तेमाल से बचना चाहिए। टोपे ने कहा कि गंभीर मधुमेह और प्रतिरक्षा प्रणाली के दमन जैसे कारकों से भी लोग इस संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं।
मध्यपप्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस के 300 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। प्रदेश में ब्लैक फंगस का इलाज भोपाल और इंदौर में चुनिंदा अस्पतालों में ही किया जा रहा है। वहीं, प्रदेश में ब्लैक फंगस से जुड़ी दवाएं और इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं।
राजस्थान में 1000 रोगियों का इलाज चल रहा है। रोजाना 50 से अधिक ब्लैक फंगस के मरीज सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री को लेटर लिख 50 हजार डोज की मांग की है।
राज्य | कुल मामले | अब तक मौतें |
महाराष्ट्र | 1,500 मामले | 90 लोगों की मौत |
गुजरात | 1,163 मामले | 61 लोगों की मौत |
मध्यप्रदेश | 575 मामले | 31 लोगों की मौत |
हरियाणा | 268 मामले | 8 लोगों की मौत |
दिल्ली | 203 मामले | एक व्यक्ति की मौत |
उत्तर प्रदेश | 169 मामले | 8 लोगों की मौत |
बिहार | 103 मामले | 2 लोगों की मौत |
छत्तीसगढ़ | 101 मामले | एक व्यक्ति की मौत |
राजस्थान | 100 मामले | 2 लोगों की मौत |
कर्नाटक | 97 मामले | एक भी मौत नहीं |
तेलंगाना | 90 मामले | 10 लोगों की मौत |
उत्तराखंड | 25 मामले | 2 लोगों की मौत |
इसके अलावा असम, ओडिशा और गोवा में इस बीमारी से पीडि़त एक-एक मरीज की मौत हो चुकी है।
केंद्र सरकार की ओर से ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने के राज्यों को दिए गए निर्देश के बाद राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना ने एपिडेमिक डिजीजेज ऐक्ट के तहत अधिसूचना योग्य बीमारी घोषित किया है। अब उन राज्यों में ब्लैक फंगस से जुड़े मामलों की जानकारी सरकारी स्तर पर जुटाई जाएगी, फिर उसका विश्लेषण कर नीतियां तय की जाएंगी ताकि समय रहते जरूरी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सके।
मीडिया से मिली जानकारी के आधार पर दिल्ली, तेलंगाना, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गोवा, गुजरात, कर्नाटक और केरल जैसे 10 राज्यों का कहना है कि किसी के पास ब्लैक फंगस की दवा का स्टॉक बहुत कम है या फिर है ही नहीं। इनमें से कुछ राज्यों की निजी दवा दुकानों में तो यह दवा नदारद ही है। इधर यूपी में रोज 10 से अधिक ब्लैक फंगस के केस मिल रहे हैं। राज्य में अब तक ब्लैक फंगस के 100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। प्रदेश में जनरल मेडिकल स्टोर पर बीमारी से जुड़ी दवाओं का स्टॉक नहीं है। कंपनियों से नया माल आने में अभी समय लग रहा है। आईएमए (इंडियन मेडिकल असोसिएशन, नोएडा) नोएडा की जनरल सेक्रेटरी डॉ. मोहिता शर्मा ने बताया कि आईएमए से जुड़े कई डॉक्टरों के पास ब्लैक के मरीज आ रहे हैं। मैं आई स्पेशलिस्ट हूं। मेरे पास इस समय 12 मरीज इलाज के लिए हैं। पिछले 5-6 दिन में ये मरीज मेरे पास आए हैं और मैं इनका इलाज शुरू नहीं कर पा रही हूं। दवा और इंजेक्शन बाजार में उपलब्ध नहीं है। ये केवल यूपी राज्य की स्थिति नहीं है कामोबेश सभी राज्यों में इसकी दवा और इंजेक्शनों का अभाव है। इसके चलते डाक्टरों को मरीजों का इलाज करने में काफी परेशानी आ रही है।
देश में ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमायकोसिस के मामले बढ़ते देख फार्मा कंपनियों ने इस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली ऐंटी फंगल दवा एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन का उत्पादन बढ़ा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दस लाख पर अभी इस बीमारी के मामले 140 ही हैं मगर इनसे मौत की दर 38 प्रतिशत है। फार्मा कंपनियों ने जो प्रॉडक्शन बढ़ाया है, वह बाजार तक आने में अभी 15 से 30 दिन का समय लगेगा, क्योंकि इस दवा को बनाने की प्रक्रिया जटिल है।
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