Published - 17 May 2021 by Tractor Junction
भारत सहित पूरा विश्व कोरोना संक्रमण से जुझ रहा है। इस बीच कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लगातार उपाय कर रहे सभी देशों के सामने एक और गंभीर बीमारी दस्तक दे रही है। इस बीमारी का नाम ब्लैक फंगस जिसे म्यूकरमाइकोसिस भी कहा जाता है। पिछले दिनों भारत में इसके मामले सामाने आए हैं जिसने डॉक्टरों की चिंता बढ़ा को बढ़ा दिया है। दरअसल ये बीमारी कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों मेें देखी जा रही है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के मुताबिक आने वाले दिनों में ब्लैक फंगस के केस देशभर में बढ़ सकते हैं। लिहाजा डॉक्टर गुलेरिया ने देश के डॉक्टरों को इस बीमारी से लडऩे के लिए तैयार रहने को कहा है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक डॉक्टर गुलेरिया ने एक कार्यक्रम में कहा कि कोरोना के ऐसे मरीजों पर ध्यान देने की जरूरत है जिन्हें शुगर है। उनके मुताबिक देश भर के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि ब्लैक फंगस कोरोना के ऐसे मरीजों को अपना शिकार बना रहा है, जिन्हें शुगर है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि कोरोना के मरीजों का शुगर लेवल लगातार चेक किया जाए। उन्होंने कहा कि गुजरात के सिर्फ सरकारी अस्पताल से ब्लैक फंगस के 500 से ज्यादा केस सामने आए हैं।
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डॉक्टर गुलेरिया ने मीडिया को बताया कि दिल्ली के एम्स में भी ब्लैक फंगस के 18-20 मरीजों का इलाज चल रहा है। उनके मुताबिक पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान इस तरह के केस नहीं दिखे थे। कई लोगों को कोरोना नेगेटिव होने के बाद भी ब्लैक फंगस बॉडी में बनी रहती है। उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा केस गुजरात से आ रहे हैं। ब्लैक फंगस वाले 5-10 फीसदी ऐसे मरीज भी हैं जिन्हें कोरोना के इलाज के दौरान हॉस्पिटल में भर्ती नहीं कराया गया था।
उत्तर प्रदेश के मथुरा में ब्लैक फंगस के 3 मामले सामने आए हैं। ये मामले मथुरा, वृंदावन और राया से हैं। उसके बाद स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन कोविड-मरीजों की डिस्चार्ज के बाद भी मोनिटरिंग करने की तैयारी में है। ब्लैक फंगस के मामलों में देखने को मिला है कि यह लोग कोविड-पॉजिटिव होने के बाद अपने घर चले गए जिसके बाद इन्हें इंफेक्शन ने घेर लिया। वृंदावन के बनखंडी क्षेत्र निवासी 70 वर्षीय मिथलेश देवी कोरोना की चपेट में आईं। जिसके बाद उन्हें ब्लैक फंगस इंफेक्शन ने भी घेर लिया। जिसके कारण उनकी आंखों की रोशनी चली गई। ऐसे ही राया क्षेत्र के रहने वाले एक युवक की ब्लैक फंगस इंफेक्शन के कारण जबड़े में परेशानी हो गई।
प्रदेश के कई जिलों में ब्लैक फंगस के मरीज मिलने बाद यूपी सरकार ने एडवाइजरी जारी कर दी है। इसमें कहा कहा गया है कि कोविड-19 संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस चेहरे नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देती है। इससे आंख सहित चेहरे का बड़ा भाग नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है। एडवाइजरी में बताया गया है कि किस तरह के लोगों को ज्यादा खतरा है, वहीं इसके लक्षण क्या हैं और क्या सावधानियां मरीज को बरतनी हैं।
राज्य | अब तक मामले |
गुजरात | 500 से ज्यादा मामले |
महाराष्ट्र | 270 मामले (लगभग) |
मध्यप्रदेश | 50 मामले |
बिहार | 30 मामले |
राजस्थान | 50 मामले |
उत्तरप्रदेश | 8 मामले |
हरियाणा | 7 मामले |
म्यूकोरमाइसिस फंगस (ब्लैक फंगस) इंफेक्शन से जुड़ी बीमारी है। यह बीमारी एक तरह के फंगस या फफूंद से फैलती है। इस फंगस के स्पोर्स या बीजाणु वातावरण में प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं। आमतौर पर इनसे कोई खतरा नहीं होता है लेकिन अगर शरीर का इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो, तो ये व्यक्ति को अपनी चपेट मेें ले लेता है। शुगर के मरीज इस बीमारी के ज्यादा शिकार हो रहे हैं। इस रोग में आंख की नसों के पास फंगस इंफेक्शन जमा हो जाता है, जो सेंट्रल रेटिनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद कर देता है। इसकी वजह से आंखों की रोशनी चली जाती है। कोरोना संक्रमित मरीज या कोरोना से स्वस्थ हुए कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन देखा गया है। यह इंफेक्शन आमतौर पर उन लोगों में देखा गया है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है।
ब्लैक फंगल बीमारी को बहुत गंभीर बताया जा रहा है। इसमें कई प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। अभी तक ब्लैक फंगल के सामने आए मामलों में जो लक्षण पाएं गए हैं वे इस प्रकार से हैं-
मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि म्यूकरमाइकोसिस चेहरे, संक्रमित नाक, आंख और दिमाग को प्रभावित कर सकती है और इसके चलते आंखों की रोशनी भी जा सकती है। इसके साथ ही यह संक्रमण फेफड़ों तक फैल सकता है। इस संक्रमण के पीछे स्टेरॉयड का दुरुपयोग एक प्रमुख कारण है। गुलेरिया ने कहा कि जैसे-जैसे कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं, यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हम अस्पतालों में संक्रमण पर काबू पाने के प्रोटोकॉल का पालन करें। यह देखा गया है कि जीवाणु (बैक्ट्रियल) और विषाणु (वायरस) वाले दोहरे संक्रमण के कारण मृत्यु दर अधिक है।
कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह इंफेक्शन नाक से शुरू होता है, जहां से यह ऊपरी जबड़े तक जाता है और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है। इससे मरीज की मौत हो जाती है। यदि इसका पता चलते ही इलाज हो जाए तो इस पर काबू पाया जा सकता है। इसलिए यदि आपको उपर बताएं गए लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ताकि प्रारंभिक अवस्था में ही इसको बढऩे से रोका जा सके। यदि ये इंफेक्शन दिमाग तक पहुंच जाता है तो वह मौत का कारण बन सकता है। इस दशा में इसका इलाज करना भी संभव नहीं है।
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