Published - 30 Dec 2020
कोरोना संकट को देखते हुए यूनियन ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है जिससे लाखों मोटर वाहन चालकों को राहत मिलेगी। जानकारी केे अनुसार यूनियन ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने मोटर वाहन सम्बंधित दस्तावेजों की वैधता की तारीख को आगामी 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया है। यह फैसला देश-दुनिया में कोरोना संक्रमण से उभरे संकट को देखते हुए किया गया है। मीडिया में प्रकाशित जानकारी के अनुसार सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेजों की वैधता 31 मार्च तक बढ़ा दिया है। सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इस एडवाइजरी में कहा है कि, प्रवर्तन अधिकारियों को सलाह दी जाती है कि वे ऐसे दस्तावेजों को 31 मार्च, 2021 तक वैध माना जाए। इससे नागरिकों को सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए परिवहन संबंधी सेवाओं का लाभ उठाने में मदद मिलेगी। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस पत्र में दी गई एडवाइजरी को लागू करने का अनुरोध किया गया है।
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हाल ही में जारी की गई एडवाजरी से पहले भी सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 30 मार्च 2020, 9 जून 2020 और 24 अगस्त 2020 को एक एडवाइजरी जारी कर मोटर व्हीकल एक्ट 1988 और सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स 1989 के अन्तर्गत वाहनों के डॉक्यूमेंट्स की वैधता को बढ़ाया था। मंत्रालय ने आज राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस संबंध में एक निर्देशिका जारी की है। अब तक केंद्र सरकार के आदेशानुसार मोटर वाहन से सम्बंधित सभी तरह के दस्तावेज 31 दिसंबर 2020 तक वैध थे। नई एडवाइजरी में कहा गया है कि, मौजूदा कोरोना वायरस के संक्रमण के रोकथाम को ध्यान में रखते हुए मोटर वाहन सम्बंधी दस्तावेजों को आगामी 31 मार्च तक वैध करार दिया जाता है। इस आदेश में वो सभी दस्तावेज शामिल होंगे जिनकी वैधता 1 फरवरी 2020 या फिर 31 मार्च 2021 को समाप्त हो रही होगी।
वाहनों पर जातिसूचक स्टीकर लगाना आजकल फैशन बनता जा रहा है। खासकर, उत्तर प्रदेश में यह चलन तेजी से बढ़ रहा है। सडक़ पर चलते हुए आपकी नजरें ऐसी वाहनों से जरूर टकरा जाएंगी जिन पर जातिगत स्टीकर जैसे, क्षत्रीय, ब्राम्हण, यादव या जाट इत्यादि के स्टीकर लगे होंगे। लेकिन वाहनों पर अब ऐसे स्टीकरों का प्रयोग वाहन मालिकों की मुश्किलें बढ़ा सकता है। उत्तर प्रदेश ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ऐसे वाहनों को सीज करने का नया नियम लेकर आया है। उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देशों के बाद इस अभियान की शुरूआत की है, जिसके तहत ऐसे वाहनों को तत्काल प्रभाव से सीज कर दिया जाएगा जिन पर जातिसूचत स्टीकरों का इस्तेमाल किया गया होगा। दरअसल, ऐसे वाहन मालिक जातिगत स्टीकरों के माध्यम से समाज में अपनी जाति के राजनीतिक या सामाजिक स्थिति के प्रभूत्व का दावा करने की कोशिश करते हैं।
अखबार हिंदुस्तान के अनुसार, एक शिक्षक से मिले पत्र के बाद पीएमओ ने इस मामले को संज्ञान लिया है। दरअसल, महाराष्ट्र के हर्षल प्रभु ने समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली पर पत्र लिखा था। प्रभू का कहना था कि, इस तरह के जातिसूचक स्टीकर का प्रदर्शन करना सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरा है। जिसके बाद पीएमओ ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए अभियान को शुरू करने का निर्देश दिया। इधर इस मामले में डीके त्रिपाठी, (डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, कानपुर) ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा कि, ऐसे स्टिकरो को वाहन पर नहीं लगाना चाहिएं, जो लोग भी ऐसा करते हुए पाए जाएंगे उन पर कार्यवाई होगी और उनके वाहन को तत्काल सीज कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी प्रवर्तन टीमों के अनुसार, प्रत्येक 20वें वाहन पर इस तरह के स्टीकर देखे जाते हैं। हमारे मुख्यालय ने हमें ऐसे वाहन मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है।
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