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आत्मनिर्भर भारत पैकेज : कृषि क्षेत्र और मंडियों के विकास के लिए खर्च होंगे 1 लाख करोड़ रुपए 

Published - 12 Jul 2021

जानें, केंद्र सरकार के किसानों के हित में लिए गए फैसले और इससे लाभ

केंद्र सरकार की ओर से कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कई अहम फैसले लिए गए हैंं। सरकार का जोर कृषि क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर है और इसके लिए सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत 1 लाख करोड़ रुपए कृषि क्षेत्र और मंडियों के विकास के लिए खर्च हेतु मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे न केवल मंडियों की हालत में सुधार होगा अपितु किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा। मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कृषि अवसंरचना क्षेत्र के लिए जारी 1 लाख करोड़ रुपए के फंड का उपयोग मंडियों के विकास में भी किया जा सकेगा। तोमर ने कहा कि मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार एपीएमसी भी अब इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का उपयोग कर सकेंगी। इसी के साथ राज्य सरकार के स्वयं सहायता समूह और कोऑपरेडिट भी इस फंड का इस्तेमाल कर सकेंगे। बता दें कि कृषि क्षेत्र में बीते दिनों हुए पहली बैठक के बाद संशोधित केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बड़े फैसलों की घोषणा की है। कैबिनेट ने एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्राक्चर फंड के तहत केंद्रीय क्षेत्र की वित्त पोषण सुविधा की योजना में कुछ बदलावों को मंजूरी दी गई है। योजना में संशोधन से निवेश पैदा करने में मदद मिलेगी और इसका लाभ छोटे और सीमांत किसानों मिल सकेगा।

 

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मंडियां भी कर सकेगी फंड का इस्तेमाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आत्मनिर्भर पैकेज के तहत कृषि अवंसरचना के लिए जारी किए गए 1 लाख करोड़ रुपए के फंड का इस्तेमाल अब मंडियां भी कर सकेंगी। उन्होंने कहा कि मंडियों समाप्त नहीं होंगी। हमारी सरकार उन्हें और मजबूती देने के लिए काम कर रही है।


अब 25 से अधिक योजनाओं के लिए ब्याज में छूट का प्रावधान

उन्होंने बताया कि अभी तक ऐसी व्यवस्था है कि कोई व्यक्ति, संस्था, सहकारी समिति, एफपीओ, एग्री स्टार्टअप, किसानों का समूह अगर एक संरचना बनाएंगे तो उसके लिए 2 करोड़ रुपए तक के लोन पर 3 प्रतिशत ब्याज की छूट होगी। पहले इसमें एक ही परियोजना मान्य थी। अब यदि व्यक्ति एक से अधिक या 25 तक परियोजना शुरू करता है तो उसे हर परियोजना के लिए ब्जाय में छूट देने का प्रावधान किया गया है। साथ ही सरकार की गारंटी की प्रापता रहेगी। राज्य सरकार के संस्थाओं पर 25 से अधिक परियोजनाओं पर छूट रहेगी।


एमएसपी पर खरीद रहेगी जारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने घोषणा की कि नए कृषि कानूनों में एपीएमसी द्वारा नियंत्रित बाजारों को समाप्त करने का कोई प्रावधान नहीं है। मंत्री ने कहा कि एपीएमसी को मजबूत किया जाएगा और उनके विकास के लिए केंद्र के बुनियादी ढांचा कोष द्वारा समर्थित किया जाएगा। तोमर ने कहा, एपीएमसी को खत्म नहीं किया जाएगा। कृषि कानूनों के लागू होने के बाद, एपीएमसी को केंद्र के बुनियादी ढांचे के कोष से करोड़ों रुपए प्राप्त होंगे, ताकि ये किसानों के लिए अधिक उपयोगी हो सकें। यह देखते हुए कि एपीएमसी को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा पहले इसकी घोषणा की गई थी, मंत्री ने कहा, एपीएमसी को और अधिक संसाधन प्रदान करने के प्रयास किए जाएंगे। 


नारियल बोर्ड अधिनियम में बदलाव को भी किया गया है शामिल

तोमर ने कहा कि कैबिनेट ने कृषि क्षेत्र से संबंधित कई फैसले लिए, जिनमें नारियल बोर्ड अधिनियम में बदलाव शामिल है। तोमर ने कहा कि नारियल एक्ट में संशोधन कर इसे अंतर्राष्ट्रीय बाजार मुहैया कराया जाएगा। नारियल बोर्ड में सीईओ की नियुक्ति होगी। एपीएमसी मंडियों को आर्थिक और अन्य दृष्टि से पहले की तुलना में और मजबूत किया जाएगा। बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि, सहकारिता तथा किसान कल्याण विभाग के नारियल विकास बोर्ड के अध्यक्ष पद को गैर-कार्यकारी बनाने के प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति दे दी है। इससे बड़े पैमाने पर नारियल उत्पादकों को लाभ होगा।


वित्त पोषण सुविधा योजना में किए गए हैं ये संशोधन

  • वित्त पोषण सुविधा में किए गए संशोधन के तहत पात्रता अब राज्य एजेंसियों / एपीएमसी, सहकारी समितियों के राष्ट्रीय और राज्य संघों, किसान उत्पादक संगठनों के संघों (एफपीओ) और स्वयं सहायता समूहों के संघों (एसएचजी) के लिए बढ़ा दी गई है।
  • वर्तमान में, एक ही स्थान पर 2 करोड़ रुपए तक के  ऋण के लिए ब्याज सबवेंशन  योजना के तहत पात्र है। यदि एक पात्र संस्था अलग-अलग स्थानों पर परियोजनाएं लगाती है तो ऐसी सभी परियोजनाएं अब  2 करोड़ रुपए तक के ऋण के लिए ब्याज सबवेंशन के लिए पात्र होंगी। हालांकि, निजी क्षेत्र की इकाई के लिए अधिकतम 25 परियोजनाओं की सीमा होगी। यह सीमा राज्य एजेंसियों, सहकारी समितियों के राष्ट्रीय और राज्य संघों, एफपीओ के संघों और स्वयं सहायता समूहों के संघों पर लागू नहीं होती है। 
  • 25 परियोजनाओं की यह सीमा राज्य एजेंसियों, सहकारी समितियों के राष्ट्रीय और राज्य संघों, एफपीओ के संघों और स्वयं सहायता समूहों के संघों पर लागू नहीं होगी। लोकेशन का मतलब एक अलग एलजीडी (स्थानीय सरकार निर्देशिका) कोड वाले गांव या कस्बे की भौतिक सीमा से होगा। ऐसी प्रत्येक परियोजना एक अलग एलजीडी कोड वाले स्थान पर होनी चाहिए।  
  • पीएमसीएस के लिए, एक ऋण के लिए ब्याज छूट तक करोड़ रुपए विभिन्न बुनियादी सुविधाओं के प्रकार के प्रत्येक परियोजना के लिए प्रदान किया जाएगा जैसे- जी  कोल्ड स्टोरेज, छंटाई ग्रेडिंग और इकाइयों, एक ही बाजार यार्ड के भीतर साइलो क्रिया आदि।


कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) क्या है?

कोरोना संकट से उभरने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड को पहली बार जुलाई 2020 में केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। इसके तहत सरकार ने 20 लाख करोड़ का विशेष राहत पैकेज घोषित किया था। कृषि अवसंरचना कोष भी उसी पैकेज का हिस्सा है। इस एक लाख करोड़ रुपए के एग्री इंफ्रा फंड का इस्तेमाल गांवों में कृषि क्षेत्र से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में किया जाना है। इस फंड से कोल्ड स्टोर, वेयरहाउस, साइलो, ग्रेडिंग और पैकेजिंग यूनिट्स लगाने के लिए लोन दिया जाएगा। इस स्कीम के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों की ओर से एक लाख करोड़ रुपए का लोन दिया जाएगा। यह लोन प्राइमरी एग्री क्रेडिट सोसायटी, किसानों के समूह, किसान उत्पाद संगठनों, एग्री एंटरप्रिन्योर, स्टार्टअप्स और एग्रीटेक प्लेयर्स को दिया जाएगा। वित्त पोषण योजना 2029 तक के लिए लागू की गई है। 

 

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