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नवीन मछली पालन नीति : अब मछुआरों को भी मिलेगा उत्पादकता बोनस

Published - 21 Jun 2021

पट्टे पर दिए जाने वाले जलाशायों से हुई आय का 40 प्रतिशत होगा बोनस

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की ओर से नवीन मछली पालन नीति तैयार की जा रही है। इसके लिए पिछले दिनों प्रस्ताव तैयार करने के लिए गठित की गई समिति की बैठक हुई। इसमें इस मछुआरों को उत्पादकता बोनस दिए जाने की अनुशंसा की गई है। इससे मछुआरों को लाभ होगा। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य की नवीन मछली पालन नीति का प्रस्ताव तैयार करने के लिए गठित समिति की बैठक में नवीन मछली पालन नीति में राज्य के मछुआरों को उत्पादकता बोनस दिए जाने की अनुशंसा की गई है। उत्पादकता बोनस राज्य के जलाशयों को पट्टे पर दिए जाने से होने वाली आय का 40 प्रतिशत होगा, जो मत्स्याखेट करने वाले मछुआरों को दिया जाएगा। बैठक कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में हुई। बैठक के दौरान श्री चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में मछुआरों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के उद्देश्य से नवीन मछली पालन नीति तैयार की जा रही है। इस नीति का फायदा मछुआ जाति के लोगों और मछुआ सहकारी समिति को भी मिले इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखा जा रहा है।  

 

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20 हेक्टेयर तक के जलक्षेत्र दिए जाएंगे निशुल्क

नवीन मछलीपालन नीति के तहत राज्य के ऐसे एनीकट, जिनका जलक्षेत्र 20 हेक्टेयर तक है, उन्हें मत्स्य पालन के लिए पट्टे पर नहीं दिए जाने का प्रस्ताव समिति ने किया है। ऐसे एनीकट स्थानीय मछुआरों के मत्स्याखेट के लिए नि:शुल्क उपलब्ध होंगे। मछुआ जाति के लोगों की सहकारी समिति को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर जलाशयों को मत्स्य पालन के लिए पट्टे पर दिया जाएगा। आदिमजाति मछुआ सहकारी समिति, मछली पालन एवं मत्स्य विपणन के कार्य को कुशलतापूर्वक कर सकें, इसको ध्यान में रखते हुए आदिम जाति मछुआ सहकारी समिति में 30 प्रतिशत सदस्य मछुआ जाति के होंगे। समिति के उपाध्यक्ष का पद भी मछुआ जाति के लिए आरक्षित रहेगा।


अब 6 माह की जगह 3 माह में होगा तालाब और जलाशयों का आवंटन

नवीन मछली पालन नीति में समिति ने ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत द्वारा अपने क्षेत्राधिकार के तालाबों/जलाशयों को अब 6 माह के बजाय 3 माह के भीतर आबंटन की कार्रवाई किए जाने का प्रस्ताव किया है। राज्य में उपलब्ध 50 हेक्टेयर से अधिक जलक्षेत्र के जलाशय जिन्हें दीर्घावधि के लिए पट्टे पर दिया गया है, उन जलाशयों में केज कल्चर के माध्यम से मछली उत्पादन के लिए केज स्थापित करने हेतु अधिकतम 2 हेक्टेयर जलक्षेत्र पट्टे पर दिया जाना प्रस्तावित है।


प्रदेश के मछुआरों को मिल रहा है आवास योजना का लाभ

इस योजना के प्रथम चरण में प्रदेश के पांच जलाशयों पर मछली पकडऩे वाले और मछलीपान करने वाले मछुआरों को आवास, पेयजल आदि आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए मछुआरा आवास योजना संचालित की जा रही है योजना के समीप मछुआरों के लिए मकान का निर्माण किया जा रहा है। इसका लाभ प्रदेश के मछुआरों को मिल रहा है। बता दें कि इस योजना के तहत जलाशयों पर मत्स्याखेट करने वाले सक्रिय मछुआरों को मूलभूत सुविधाए यथा आवास, पेयजल, सामुदायिक भवन (चौपाल) आदि उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जलाशय के समीप ही आवास बनाकर मछुआरों को बसाया जाता है। योजनान्तर्गत मछुआ आवास पर 75000 रुपए प्रति आवास एवं 10 से 100 मछुआ आवास पर 5 ट्यूबवेल खनन पर 30000 रुपए (प्रति ट्यूबवेल) तथा 75 से अधिक आवास पर 1.75 लाख रुपए सामुदायिक भवन निर्माण हेतु व्यय का प्रावधान है। योजनान्तर्गत केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा 50-50 प्रतिशत के अनुपात में व्यय भार वहन किया जाता है।


मछली पालक भी ले सकते हैं क्रेडिट कार्ड से लोन

कोरोना संकट के दौरान केंद्र सरकार की ओर से 2020 में किसान के्रडिट का का दायरा बढ़ाया गया। इसमें मछली पालकों को भी इससे जोड़ा गया ताकि उनको भी केसीसी का लाभ मिल सके। इस योजना के तहत मछली पालक बैंक जाकर अपना के्रडिट कार्ड बनवा कर कम ब्याज दर पर लोन की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। केसीसी से किसानों को 4 फीसदी ब्याज दर पर लोन मिलता है। वैसे तो खेती के लिए लोन करीब 9 फीसदी ब्याज दर के हिसाब से मिलता है। लेकिन किसानों को सरकार दो फीसदी की सब्सिडी देती है। और समय पर लोन चुकाने देने पर 3 फीसदी की अतिरिक्त छूट मिलती है। जिससे किसानों को 4 फीसदी की दर से ही ब्याज चुकाना पड़ता है। किसान जमीन को बिना गिरवी रखे 1.60 लाख रुपए का क्र्रेडिट कार्ड पर लोन ले सकता है। केसीसी पांच साल तक के लिए वैध होता है। किसान केसीसी को किसी भी को-ऑपरेटिव बैंक से बनवा सकता है। 


अब तक कितने मछुआरों को मिले क्रेडिट कार्ड

सरकार ने देशभर में अब तक सिर्फ 8,400 मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) दिए हैं और वह इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है। देशभर में करीब दो करोड़ मछुआरे हैं, इसकी तुलना में यह संख्या कम है। बता दें कि सरकार ने 2018-19 के बजट में किसान क्रेडिट कार्ड का दायरा बढ़ाते हुए इसमें पशुपालकों और मछुआरों को भी शामिल करने की घोषणा की थी ताकि उनकी कार्यशील पूंजी जरूरतों को पूरा किया जा सके।

 

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