Published - 09 Oct 2021
खेतीबाड़ी और बागवानी करने वाले किसानों की तरह ही मछली पालकों के लिए भी सरकार की ओर से कई योजनाएं संचालित की जा रही है। इसके तहत किसानों को अनुदान दिया जाता है। इन योजनाओं के चलाने का सरकार का मुख्य उद्देश्य देश में मछलीपालन को बढ़ावा देना है। मछलीपालन को प्रोत्साहित करने को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें प्रयास कर रही है। सरकार का मनना है कि मछलीपालन को प्रोत्साहित करके किसानों की आय में बढ़ोतरी की जा सकती है। इधर छत्तीसगढ़ में तो मछलीपालन को खेती का दर्जा दिया जा चुका है जिससे किसान मछलीपालन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वहीं मछली की बाजार में मांग बढऩे से इसकी खेती के रकबे में भी बढ़ोतरी हो रही है। मछलीपालन का व्यापार अब तेजी से बढ़ रहा है। कई किसान मछलीपालन करके अपनी कमाई में इजाफा कर रहे हैं। अगर आप भी मछलीपालन के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और आगे अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो यह खबर आपके बहुत काम की है।
दरअसल सरकार मछली पालन करने वाले किसानों को नीली क्रांति योजना के तहत फिश सीड फैक्ट्री लगाने के लिए 25 लाख रुपए तक का अनुदान प्रदान कर रही है। इससे पशुपालकों को काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त हो सकता है। बता दें कि हर राज्य में मछली पालन का रकबा लगातार बढ़ रहा है। इस कारण फिश सीड फैक्ट्री की मांग भी बढऩे लगी है। इस मांग को लेकर सरकार निजी क्षेत्र में फिश सीड फैक्ट्री लगाने को लेकर प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए 25 लाख रुपए तक का अनुदान देने का फैसला किया है।
मछलीपालन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से अनुदान दिया जा रहा है। ये अनुदान फिश सीड फैक्ट्री यानि हैचरी की कुल लागत पर दिया जाएगा। जो इस प्रकार से हैं-
यदि आप मछली पालन फिश सीड फैक्ट्री का निर्माण करना चाहते हैं तो इसमें कम से कम कैपिटल यूनिट की लागत 7 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर आएगी। इसके साथ ही इनपुट यूनिट की लागत डेढ़ लाख रुपए प्रति हेक्टयेर के हिसाब से आएगी। मोटे तौर देखा जाए तो फिश सीड फैक्ट्री यानि हैचरी लगाने में अनुमानित खर्च लगभग 25 लाख रुपए का आता है।
मछली के मांस और तेल की बढ़ती मांग के कारण आज मछलीपालन एक अच्छा कमाई का जरिया बनाता जा रहा है। ऐसे में बेरोजगार युवकों के लिए भी ये कमाई का साधन बन सकता है। आज के समय में मछली बीज उत्पादन यानि हैचरी एक बहुत ही अच्छा व्यापार बनता जा रहा है ऐसे में मछलीपालक सहित युवक भी हैचरी खोलकर अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। क्योंकि अधिकतर मछलीपालकों किसानों को अच्छी प्रजाति की मछलियों की आवश्कता होती है। कई मछलीपालकों को अच्छा बीज नहीं मिल पाता है तो उन्हें बाहर से मछली बीज मंगवाना पड़ता है।
यूनिट लगाने से पहले मत्स्य विभाग की ओर से हितग्राही को पांच दिन की प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि मछली पालन के इच्छुक लोग खुद अपना कारोबार शुरू करने के साथ ही दूसरों को भी रोजगार दे सकें। प्रशिक्षण में हितग्राही को बीज उत्पादन की तकनीक, प्रबंधन और विपणन आदि की जानकारी दी जाती है।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए मछली किसानों को मत्स्य कृषक जिला अधिकारी या क्षेत्रीय अधिकारी के समक्ष आवेदन करना होगा। इसमें फिश बीज फैक्ट्री यानि हैचरी निर्माण में आने वाली लागत का प्रोजेक्ट बनाकर देना होगा। इसी के साथ आवश्यक दस्तावेज लगाने होंगे। इसके बाद मत्स्य विभाग ये सत्यापित करेगा कि आप अनुदान के पात्र है या नहीं। इसके बाद आपको अनुदान का लाभ विभाग की ओर से दिया जाएगा।
नीली क्रांति मिशन के तहत तालाबों निर्माण के लिए पर सरकार अनुदान देती है। एक हेक्टेयर तालाब बनाने के लिए उसकी यूनिट कास्ट करीब पांच लाख रुपए आती है, जिसके 50 फीसदी केंद्र सरकार 25 फीसदी राज्य सरकार अनुदान देती है बाकी का 25 फीसदी मछली पालक को देना होता है। अगर तालाब पहले से बना है और उसका सुधार कराना है तो भी केंद्र और राज्य सरकार अनुदान देती है। उसमें 25 फीसदी मछली पालक को देना होता है। इसकी कास्ट नौ लाख रुपए की आती है।
भारत में अधिकतर जिन प्रजातियों की मछलियों का पालन किया जाता है। उनमें से भारतीय मेजर कार्प में रोहू, कतला, मृगल (नैन) और विदेशी मेजर कार्प में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प तथा कामन कार्प मुख्य है।
अब बात करें मछली की बीज की कीमत तो कोलकत्ता में मछली का बीज 80 पैसे से लेकर एक रुपए प्रति बीज मिल जाता है। जबकि निजी विक्रेता 4 से 5 हजार रुपए में एक लाख बीज उपलब्ध कराते हैं।
भारत दुनिया के सबसे बड़े मछली उत्पादक देशों में से एक है और वैश्विक उत्पादन में 7.58 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है। भारत के सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 1.24 प्रतिशत और कृषि जीवीए में 7.28 प्रतिशत (2018-19) का योगदान, मत्स्य पालन और जलीय कृषि लाखों लोगों के लिए भोजन, पोषण, आय और आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है। भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र ने वर्ष 2014-15 से 2018-19 के दौरान 10.88 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर के साथ प्रभावशाली वृद्धि दिखाई है। भारत में मछली उत्पादन ने 2014-15 से 2018-19 तक 7.53 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर्ज की है और 2018-19 (अनंतिम) के दौरान 137.58 लाख मीट्रिक टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहा है। समुद्री उत्पादों का निर्यात 13.93 लाख मीट्रिक टन था और इसका मूल्य 46,589 करोड़ रुपये (6 अमरीकी डालर) था।
अधिक जानकारी के लिए कहां करें संपर्क
मत्स्य विभाग की नीली क्रांति योजना के बारे में अधिक जानकारी के लिए राष्ट्रीय मत्स्यिकी विकास बोर्ड/राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड की वेबसाइट https://nfdb.gov.in/about-indian-fisheries पर जाकर ले सकते हैं।
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