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मखाना उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार से मिलेगी 10 लाख रूपए तक सब्सिडी

Published - 07 Dec 2021

जानें, किन किसानों को होगा फायदा और कैसे मिलेगी सरकार से सहायता

छत्तीसगढ़ में किसानों की आय बढ़ाने के लिए मखाना की खेती को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके लिए राज्य में प्रथम मखाना प्रसंस्करण केंद्र का शुभारंभ किया गया है। राज्य सरकार का मानना है कि मखाने की खेती यहां के किसानों के लिए लाभ का सौंदा साबित होगी। मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार बीते दिनों छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के ग्राम लिंगाडीह में छत्तीसगढ़ के प्रथम मखाना प्रसंस्करण केंद्र ‘मखाना खेती, प्रसंस्करण एवं विपणन केंद्र‘ का वर्चुअल शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने लिंगाडीह के ओजस फार्म में मखाने की खेती प्रारंभ करने वाले स्वर्गीय श्री कृष्ण कुमार चंद्राकर दाऊ जी के नाम पर इस फार्म में उत्पादित मखाना की ‘दाऊजी‘ ब्रांड नाम से लांचिंग की। 

राज्य में मखाने की खेती को मिलेगा प्रोत्साहन

इस अवसर पर श्री बघेल ने कहा कि रबी सीजन में मखाने की खेती को प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया गया है। मखाने की बाजार में अच्छी मांग है और इसके भंडारण में भी समस्या नहीं है। किसानों को मखाने की खेती की जानकारी और प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही उन्हें मखाने के बीज की उपलब्धता से लेकर मखाने की बिक्री तक हर संभव प्रोत्साहन दिया जाएगा। 

किसानों को दिया जाता है नि:शुल्क प्रशिक्षण

इस अवसर पर ‘मखाना खेती, प्रसंस्करण एवं विपणन केंद्र‘ के गजेन्द्र चंद्राकर ने मखाने की खेती पर के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लिंगाडीह के ‘मखाना खेती, प्रसंस्करण एवं विपणन केंद्र‘ द्वारा किसानों को मखाना खेती के लिए नि:शुल्क तकनीकी जानकारी दी जाती है। साथ ही किसानों को मखाना प्रक्षेत्र का समय-समय पर भ्रमण भी कराया जाता है और खेती का प्रशिक्षण भी किसानों को दिया जाता है।

मखाने की खेती से होगी प्रति एकड़ 70 हजार रुपए की आय

मखाना खेती, प्रसंस्करण एवं विपणन केंद्र‘ के गजेन्द्र चंद्राकर ने बताया कि इस केंद्र द्वारा किसानों को मखाने की खेती के लिए बीज तो उपलब्ध कराये ही जाते हैं साथ ही किसानों द्वारा जो मखाना उत्पादन किया जाता है उसे खरीदा भी जाता है। उन्होंने बताया कि मखाने की खेती तालाब के साथ-साथ एक से डेढ़ फीट गहरे खेत में भी की जा सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि मखाने की खेती से प्रति एकड़ करीब 70 हजार रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया जा सकता है।

इधर बिहार में भी मखाने की खेती को दिया जा रहा है प्रोत्साहन

बिहार के सुपौल जिले को मखाना कारीडोर से जोड़ा गया, इसके बाद इसे मखाना जिला का दर्जा दिया गया है। इसके तहत किसानों को आर्थिक सहायता दी जाएगी। राज्य सरकार प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के तहत मखाना खेती से जुड़े किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। सरकार किसानों को दस लाख तक अनुदान देगी, जिससे किसान उत्पादित मखाना के प्रोसेसिंग से लेकर पैकेजिंग कर पाएंगे। 

मखाने से जुड़े किसानों को मिलेगा दस लाख रुपए का अनुदान

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के तहत फसलों के उत्पादन एवं प्रसंस्करण के साथ-साथ रोजगार सृजन की व्यवस्था की जाती है। इसके तहत एक जिला एक उत्पाद के तौर पर जिले को मखाना उद्योग के लिए चिह्नित किया गया है। अब मखाना से जुड़े किसानों को सरकार सूक्ष्म उद्योग लगाने को ले आर्थिक मदद करेगी। जिसके तहत किसानों को लागत का 35 फीसद या अधिकतम दस लाख तक का अनुदान राशि देगी। इसके लिए किसानों से आनलाइन आवेदन करना होगा।

169 किसानों का हुआ है लक्ष्य प्राप्त

जिला कृषि कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक जिले को इस योजना के तहत 169 किसानों को लाभ देने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। किसान मखाना से जुड़े उद्योग लगा सकते हैं इसके अलावा वैसे किसान जो पूर्व से ही मखाना से जुड़ा कोई उद्योग चला रहे हैं तो उन्हें भी इस योजना के तहत लाभ दिया जाएगा। इस योजना का लाभ किसान समूह में भी ले सकते हैं। 

भारत में कहां-कहां होती है मखाने की खेती (Makhana Farming)

भारतवर्ष में मखाना का प्रसार पश्चिम बंगाल, बिहार, मणिपुर, त्रिपुरा, आसाम, जम्मू एवं कश्मीर, पूर्वी ओडिशा, मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में हुआ है जबकि इसकी व्यवसायिक खेती उत्तरी बिहार, मणिपुर, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों एवं मध्यप्रदेश तक ही सीमित हैं। बिहार में दुनिया का 85 प्रतिशत मखाने का उत्पादन होता है। हर साल यहां 6000 टन मखाने का उत्पादन किया जाता हैं। बाकी का 15 प्रतिशत जापान, जर्मनी, कनाडा, बांग्लादेश और चीन में उगाया जाता है। 

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