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पॉली हाउस व शेडनेट हाउस के लिए सरकार से मिलेगी 75 प्रतिशत सब्सिडी

Published - 28 May 2022

जानें, कहां करना है आवेदन और क्या देने होंगे दस्तावेज

राजस्थान में संरक्षित खेती मिशन के तहत किसानों को पॉली हाउस, शेड नेट हाउस और लो टनल तकनीक से खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके तहत किसानों को राज्य सरकार की ओर से 75 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने किसानों से आवेदन मांगे हैं। इच्छुक किसान योजना के तहत आवेदन करके सरकारी सब्सिडी का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। सरकार का मनना है कि इन नई तकनीकों के इस्तेमाल से किसानों के लिए बदलते मौसम में खेती करना आसान होगा। वहीं किसान प्राकृतिक आपदा और कीट रोगों के कारण होने वाले नुकसान से बच पाएंगे। 

योजना के लिए 158.96 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को मिली मंजूरी

केंद्र तथा राज्य सरकार संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का क्रियान्वयन कर रही है। इसी क्रम में राजस्थान की गहलोत सरकार ने राजस्थान में संरक्षित खेती मिशन के तहत किसानों को पॉली हाउस, लॉ-टनल और प्लास्टिक मल्चिंग के लिए 158.96 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसमें 147.15 करोड़ रुपए मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना के तहत वहन किए जाएंगे। साथ ही सरकार ने इन घटकों पर सब्सिडी बढ़ाने का भी निर्णय लिया है। 

प्लास्टिक मल्चिंग बढ़ाई सब्सिडी, अब 50 की जगह 75 प्रतिशत मिलेगा अनुदान

राज्य सरकार ने राजस्थान सरंक्षित मिशन योजना के तहत अलग-अलग वर्ग के किसानों को अलग-अलग सब्सिडी देने का फैसला लिया है ताकि किसानों को ज्यादा से ज्याद लाभ मिल सके। प्रस्ताव में शेडनेट व ग्रीनहाउस के लिए सब्सिडी में न्यूनतम 85 प्रतिशत व मल्चिंग और लॉ-टनल के लिए सब्सिडी में न्यूनतम 50 प्रतिशत, लघु और सीमांत किसानों को लाभान्वित करने का प्रावधान किया गया है। लघु और सीमांत किसानों के लिए प्लास्टिक मल्चिंग हेतु प्रति हैक्टेयर यूनिट लागत राशि पर अनुदान 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे प्रति हैक्टेयर यूनिट लागत राशि पर अब 16 हजार रुपए की जगह 24 हजार रुपए की सब्सिडी मिलेगी। अधिसूचित जनजाति क्षेत्र के जनजाति श्रेणी के किसानों को 25 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान देने के लिए 5 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया है। 

लो टनल पर कितना मिलेगा अनुदान

सरकार की ओर से प्रस्तावित योजना के तहत राज्य के किसानों को अब लो-टनल के लिए पहले लघु एवं सीमांत किसानों को अधिकतम एक हजार वर्गमीटर के लिए अनुदान मिलता था, अब इसे बढ़ाकर 4 हजार वर्गमीटर कर दिया गया है। लो-टनल पर प्रति वर्गमीटर लागत पर अनुदान सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का प्रावधान किया गया है। 

पॉली हाउस व शेड नेट पर सब्सिडी के लिए कहां करें आवेदन

पॉली हाउस व शेड नेट पर सब्सिडी पाने के लिए किसान अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। या फिर राजस्थान कृषि विभाग की वेबसाइट https://agriculture.rajasthan.gov.in/content/agriculture/hi.html# पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को अनुदान प्राप्त करने के लिए अपने क्षेत्र में स्थित ई-मित्र कियोस्क पर निर्धारित/लागू शुल्क, यदि कोई हो तो, जमा करवाकर समस्त आवश्यक दस्तावेजों की स्केंड कॉपी सहित ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसी भी जिले के कियोस्कों की सूची www.emitra.gov.in पर देखी जा सकती है। अनुदान हेतु पंजीकरण की पावती संबेधित कियोस्क द्वारा किसान को दी जाएगी। 

सब्सिडी के लिए आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज

पॉली हाउस व शेड नेट पर अनुदान के लिए आवेदन करने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, जो इस प्रकार से हैं-

  • आवेदन करने वाले किसान का जनाधार कार्ड/आधार कार्ड की प्रति, 
  • बचत खाते की पास बुक की फोटो प्रति
  • खेत की जमाबंदी की नकल तथा अन्य वांछनीय दस्तावेजों की स्केंड प्रतियां लगाया जाना अनिवार्य है।

योजना का लाभ लेने के लिए कहां करें संपर्क

उपरोक्तानुसार योजना में अनुदान का लाभ लेने के लिए अपने क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक / सहायक कृषि अधिकारी / सहायक निदेशक, कृषि (विभाग) / उप निदेशक, कृषि (विभाग) जिला परिषद कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।  

क्या है राजस्थान संरक्षित खेती मिशन

इस वर्ष राज्य सरकार ने अपने बजट में संरक्षित खेती हेतु आधुनिक तौर-तरीके एवं तकनीक को अपनाए जाने तथा गैर-मौसमी फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए राजस्थान संरक्षित खेती मिशन योजना की शुरुआत करने की घोषणा की थी। इसके तहत आगामी 2 वर्षों में 25 हजार किसानों को ग्रीनहाउस/शेड नेट हाउस/ लो टनल की स्थापना के लिए करीब 400 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जाएगा। पहले चरण में, आगामी वर्ष 10 हजार किसानों को लाभान्वित किया जाएगा। साथ ही अधिसूचित जनजाति क्षेत्र के किसानों को 25 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी दिए जाने की घोषणा की गई है। 

संरक्षित खेती से किसानों को होने वाले लाभ

संरक्षित खेती से बेहतर उत्पादन मिलने में मदद मिलेगी। इसमें कम लागत पर खेती करना आसान हो जाएगा। संरक्षित खेती से किसान को जो लाभ प्राप्त होंगे, वे इस प्रकार से हैं-

  • संरक्षित खेती को अपनाकर पारंपरिक खेती की तुलना में 25-30 प्रतिशत तक समय, ईंधन व मजदूरी की बचत की जा सकती है। 
  • संरक्षित खेती में बुआई पर होने वाले खर्च को कम किया जा सकता है।
  • संरक्षित खेती के तहत किसान का मित्र कहे जाने वाले केंचुए की संख्या में वृद्धि होती है। फसलों की जड़ों एवं केंचुए द्वारा बनाए हुए छिद्रों में पानी एवं हवा का अनुपात (1:1) बना रहता है जिससे फसलों की वृद्धि एवं विकास ठीक ढंग से होता है।
  • संरक्षित खेती प्रणाली को अपनाने से पर्यावरण एवं संसाधन दोनों का संरक्षण होता है। न्यूनतम जुताई, फसल अवशेष का स्थायी आवरण तथा फसल विविधिकरण अपनाने से मृदा एवं जल संसाधनों की गुणवत्ता और फसल की उत्पादक क्षमता बढ़ती है। 
  • इस प्रणाली में फसल अवशेष जैव विविधता, जैविक गतिविधियों एवं वायवीय गुणवत्ता में बढ़ोतरी करते हैं। यह कार्बन को संचय (सीक्वेस्ट्रेशन) करने एवं मृदा तापमान को नियंत्रित करने में भी सहायक होती है। 
  • मृदा सतह पर उपस्थित फसल अवशेष मृदा सतह पर बहने वाले पानी (रन ऑफ) और हवा की गति को कम कर देते हैं जिससे मिट्टी के महीन कणों का ऊपरी सतह से विस्थापन एवं मृदा काबर्निक पदार्थों का क्षरण बहुत कम हो जाता है। फसल अवशेष मृदा सतह से पानी का वाष्पीकरण कम करने में सहायक होते हैं जिससे अधिक समय के लिए मृदा में नमी बनी रहती है। 
  • संरक्षण खेती आधारित फसल प्रणालियों को अपनाकर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है तथा साथ ही उपलब्ध संसाधनों को समुचित उपयोग में भी लाया जा सकता है। 
  • मृदा की सतह पर अवशेषों को रखने से मिट्टी में नमी का संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण तथा मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है। 
  • संरक्षित खेती करने से सीमांत ताप प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है एवं इसके कारण से गेहूं की फसल में होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 


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