Published - 13 May 2022
सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। इसके तहत किसानों को कई तरह की योजनाओं के माध्यम से लाभ पहुंचाया जा रहा है। इसी कड़ी में राजस्थान सरकार की ओर से मोती की खेती पर किसानों को 12.50 लाख रुपए की सब्सिडी दी जा रही है। ये सब्सिडी कुल लागत का 50 प्रतिशत है। यानि मोती की खेती पर करीब 25 लाख रुपए का खर्च आता है जिसमें 12.50 लाख रुपए की सब्सिडी सरकार देती है। जिन किसानों के खेत में तालाब हैं वे इसमें मोती की खेती करके लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से मोती की खेती और सरकार से मिलने वाली सहायता की जानकारी दे रहे हैं।
मोती की खेती के लिए सरकार की ओर से किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। क्योंकि मोती की खेती करके किसान लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं। यदि किसान परंपरागत खेती के साथ व्यवसायिक रूप से मोती की खेती करें तो किसान को दोहरा लाभ हो सकता है। हालांकि मोती की खेती में शुरुआत में खर्चा आता है लेकिन पहली बार में ही लागत निकल आती है। उसके बाद किसान को अच्छी कमाई होती है। जिन किसानों के पास खेत में तालाब नहीं है तो वे तालाब का निर्माण कराकर ये काम शुरू कर सकते हैं। तालाब निर्माण के लिए भी सरकार से अनुदान दिया जाता है।
राजस्थान के किसान जो मोती की खेती के लिए सब्सिडी प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए पहले आवेदन करना होगा। इसके लिए राजस्थान सरकार की ओर से तैयार किए गए राजकिसान साथी पोर्टल पर आवेदन करना होगा। यह पोर्टल सिंगल सिस्टम पर आधारित है। इसमें एक ही जगह पर सभी योजनाओं का लाभ लिया जा सकता है।
राजकिसान साथी पोर्टल पर आवेदन करने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, ये दस्तावेज इस प्रकार से हैं-
मोती की खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको तालाब की जरूरत होगी। इसके लिए आपको चाहिए की आप खेत में तालाब का निर्माण करवाएं। बता दें कि खेत में तालाब निर्माण कराने का फायदा ये हैं कि खेत की मिट्टी मोती पालन के लिए काफी अच्छी रहती है। खेत में बने तालाब में प्राकृतिक वातावरण मिल जाता है जो मोती की खेती के लिए काफी अच्छा रहता है। आप तालाब अपने बजट के अनुसार बनवा सकते हैं लेकिन तालाब की गहराई करीब 12 फुट होनी चाहिए। इस तालाब में आपको पानी की बेहतर व्यवस्था रखनी होगी। क्योंकि मोती बनाने वाले सीप ज्यादा पीएच मान वाले पानी में जिंदा नहीं रह पाते हैं। आपको पानी का पीएच मान 7 के आसपास ही रखना होगा। इसके अलावा सीप के लिए भोजन की व्यवस्था भी करनी होगी और समय-समय पर उनकी स्थिति की जांच भी करते रहना होगा।
किसान कृत्रिम तरीके से मोती की पैदावार सकते हैं। इसके तहत सबसे पहले सीप को 2 से 3 दिन के लिए खुले पानी में डाला जाता है ताकि सीप के ऊपर का कवच और उसकी मांसपेशियां नरम हो जाए। यदि सीपों को ज्यादा समय के लिए पानी से बाहर रखा गया तो ये खराब हो सकती हैं। मांशपेशियों में नरमी आने के बाद उसकी सतह पर 2 से 3 मिलीमीटर के छेद किया जाता हैं, जिसमें रेत का छोटा सा कण डाला जाता हैं। इसके बाद 2 से 3 सीप को नायलॉन के जालीदार बैग में रखकर तालाब में बांस या पाइप के सहारे पानी में लटका दिया जाता है।
मोती की खेती में आने वाला खर्च और कमाई इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितना बड़ा तालाब बनाते हैं। यदि आप 50-100 मीटर लंबाई-चौड़ाई वाला तालाब बनवाते है तो उस पर करीब 60-70 हजार रुपए का खर्च आएगा। इसमें 25 हजार सीप को आसानी से पाला जा सकता है। बाजार में एक सीप की कीमत 15-25 रुपए होती है। यदि आप 20 रुपए के औसत भाव से देखें तो आपको पांच लाख सीप डालने होंगे। इसके बाद पानी, भोजन व अन्य उपकरणों पर भी मोती तैयार होने तक करीब 2-3 लाख का खर्चा आ जाएगा। 12-15 महीने में सीप से मोती बनकर तैयार हो जाता है। यह समय वातावरण और रखरखाव के अनुसार कम या ज्यादा भी हो सकता है। मोती की खेती करने वाले जानकारों की मानें तो कुल सीप में से करीब 40 फीसदी खराब हो जाते हैं। ऐसे में यदि आपने 25 हजार सीप डाले थे, तो आपको करीब 15 हजार सीप से मोती मिल पाएंगे। एक सीप में 2 मोती होते है, जिसकी औसत कीमत 100 रुपए हो सकती है। इस तरह 30 हजार मोती पैदा करके आप 30 लाख रुपए कमा सकते हैं। यदि इसमें से आप के द्वारा मोती उत्पादन में लगाई गई लागत करीब 9-10 लाख रुपए जो आपने लगाई है, इसे निकाल दें तो भी आपको 20 लाख रुपए की कमाई हो जाएगी।
अगर आप नए ट्रैक्टर, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।
Social Share ✖