खेती में कृषि यंत्रों की महती भूमिका को देखते हुए सरकार की ओर से किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इस यंत्रों की सूची में अब ड्रोन का नाम भी जुड़ गया है। किसान संगठन सहित कृषि से जुड़ी संस्थाएं को खेती के लिए ड्रोन की खरीद पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाएगा। बता दें कि किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान करने के लिए कृषि यंत्र अनुदान योजना चलाई जा रही है। इसके तहत किसानों को राज्य के नियमों के अनुसार सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इसी कड़ी में अब ड्रोन की खरीद पर भी सरकार की ओर से 100 प्रतिशत सब्सिडी जो अधिकतम 10 लाख रुपए होगी दी जाएगी।
पिछले दिनों आयोजित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के 60वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि की तेजी से प्रगति के लिए नई टेक्नोलॉजी व संसाधन अपनाने पर जोर देते हुए ड्रोन के माध्यम से खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि के छात्र-छात्राओं से आगे आने का आह्वान किया। पूसा इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली में आयोजित गरिमामय दीक्षांत समारोह में केंद्रीय मंत्री तोमर ने उन्नत किस्मों व प्रौद्योगिकी के विकास के माध्यम से खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आईएआरआई द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की। तोमर ने किसानों के लाभ और विभिन्न हितधारकों के लिए ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया तथा बताया कि सरकार ने ड्रोन प्रशिक्षण देने के लिए शत-प्रतिशत सहायता-अनुदान देने का निर्णय लिया है। कृषि के विद्यार्थी इसमें बेहतर भूमिका निभा सकते है। कृषि के छात्र-छात्राओं के लिए सब्सिडी का प्रावधान भी है। इस मौके पर प्रो. आर.बी. सिंह,पूर्व निदेशक, आईएआरआई को डी.एससी मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। संस्थान के पोस्ट ग्रेजुएट स्कूल से 284 छात्रों को डिग्री मिली, जिनमें 8 विदेशी छात्र शामिल हैं। मुख्य अतिथि ने फल-सब्जियों की 6 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने कृषि क्षेत्र के हितधारकों के लिए ड्रोन तकनीक को किफायती बनाने के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने देश में ड्रोन का उपयोग बढ़ाने के लिए कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन (एसएमएएम) के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया गया है। इसमें अलग-अलग कृषि संस्थानों, उद्यमियों, कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) एवं किसानों के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इनके अनुसार कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, आईसीएआर संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा ड्रोन की खरीद पर कृषि ड्रोन की लागत का 100 प्रतिशत तक या 10 लाख रुपए, जो भी कम हो का अनुदान दिया जाएगा। इसके तहत किसानों के खेतों में बड़े स्तर पर इस तकनीक का प्रदर्शन किया जाएगा।
जैसा कि कस्टम हायरिंग सेंटर्स की स्थापना किसान सहकारी समितियों, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा की जाती है। वहीं एसएमएएम, आरकेवीवाई या अन्य योजनाओं से वित्तीय सहायता के साथ किसान सहकारी समितियों, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा स्थापित किए जाने वाले नए सीएचसी या हाई-टेक हब्स की परियोजनाओं में ड्रोन को भी अन्य कृषि मशीनों के साथ एक मशीन के रूप में शामिल किया जा सकता है।
ड्रोन तकनीक प्रदर्शन करने वाली कार्यान्वयन एजेंसियों को 6 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर आकस्मिक व्यय उपलब्ध कराया जाएगा, जो ड्रोन खरीदने की इच्छुक नहीं हैं लेकिन कस्टम हायरिंग सेंटर्स, हाई-टेक हब्स, ड्रोन मैन्युफैक्चरर्स और स्टार्ट-अप्स से किराये पर लेना चाहते हैं। उन कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए आकस्मिक व्यय 3 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर तक सीमित रहेगा। वित्तीय सहायता और अनुदान 31 मार्च, 2023 तक उपलब्ध होगा।
नागर विमानन मंत्रालय (एमओसीए) और नागर विमानन महानिदेशक (डीजीसीए) द्वारा सशर्त छूट सीमा के माध्यम से ड्रोन परिचालन की अनुमति दी जा रही है। एमओसीए ने भारत में ड्रोन के उपयोग और संचालन को विनियमित करने के लिए 25 अगस्त, 2021 को जीएसआर संख्या 589 (ई) के माध्यम से ‘ड्रोन नियम 2021’ प्रकाशित किए थे। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग कृषि, वन, गैर फसल क्षेत्रों आदि में फसल संरक्षण के लिए उर्वरकों के साथ ड्रोन के उपयोग और मिट्टी तथा फसलों पर पोषक तत्वों के छिडक़ाव के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) भी लाई गई हैं। प्रदर्शन करने वाले संस्थानों और ड्रोन के उपयोग के माध्यम से कृषि सेवाओं के प्रदाताओं को इन नियमों / विनियमों और एसओपी का पालन करना होगा।
कृषि यंत्र अनुदान वितरण योजनाओं का लाभ लेने के लिए अपने क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक / सहायक कृषि अधिकारी / सहायक निदेशक, कृषि विभाग / उप निदेशक, कृषि विभाग तथा जिला परिषद कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।
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