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जैविक खेती : बायोपेस्टिसाइड खाद पर किसानों को मिलेगी 90% सब्सिडी

Published - 11 Jun 2022

जैविक खेती को बढ़ावा : 900 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से दी जाएगी सब्सिडी

देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। रासायनिक खाद के बढ़ते प्रयोग से भूमि को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए अब बायोपेस्टिसाइड खाद के प्रयोग पर जोर दिया जा रहा है। सरकार चाहती है देश के किसान जैविक खेती करें जिससे रासायनिक खाद के दुष्परिणामों को कम किया जा सके। बता दें कि रासायनिक खाद के निरंतर इस्तेमाल से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने लगती है और अंत खेत बंजर अवस्था में पहुंच जाते हैं। आज खेती योगय भूमि भी कम होने लगी है। कई जगह भूमि परती हो गई है। बिहार में परती भूमि की समस्या अधिक है। इसके लिए यहां किसानों को सरकार की ओर से अनुदान दिया जाता है। ऐसे में अब सरकार किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि खेती योगय भूमि को बंजर होने से बचाया जा सके। इसके लिए किसानों को बायो पेस्टिसाइड खाद के इस्तेमाल की सलाह दी जा रही है। इसी क्रम में राजस्थान सरकार की ओर से किसानों को 90 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। बताया जा रहा है कि ये सब्सिडी एक लाख किसानों को दी जाएगी जो जैविक खेती करेंगे। 

किन बायो पेस्टिसाइड खाद पर मिलेगा अनुदान

किसान फसलों में लगने वाले अलग-अलग कीटों के लिए अलग-अलग कीट नाशकों का प्रयोग करते हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने सभी अनुशंसित जैविक कीट नाशकों पर अनुदान देने का फैसला लिया है। राज्य सरकार किसानों को ट्राइकोडर्मा, एनएसकेई, अजाडिरेक्टिन, बिउवेरिया बासिना, मेटाहरजिसम, वर्टीसीलम, एन.पी.वी., फेरेमौन ट्रेप, ट्राईकोकार्ड्स आदि बायो पेस्टीसाइट अनुमोदित दर पर किसानों को उपलब्ध होंगे। 

बायो पेस्टिसाइड खाद पर कितनी मिलेगी सब्सिडी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कृषि विभाग के आयुक्त कानाराम ने बताया कि अधिक से अधिक किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करने के लिए वर्ष 2022—23 में एक लाख किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान पर बायो पेस्टिसाइड किट उपलब्ध कराया जाएगा। कृषि आयुक्त ने बताया कि किसानों को बायो पेस्टिसाइड किट की खरीद पर 90 प्रतिशत अथवा अधिकतम 900 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान उपलब्ध करवाया जाएगा। किसानों को मात्र 10 प्रतिशत राशि ही देनी होगी। इसके लिए राज्य सरकार ने 9 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है।

योजना में इन किसानों को मिलेगी प्राथमिकता

राज्य के एक लाख किसानों को जैविक कीटनाशक अनुदान पर वितरित किया जाएगा। इस अनुदान योजना के तहत बायो पेस्टीसाइट किट का वितरण किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार ने कम से कम 50 प्रतिशत लघु अथवा सीमांत किसानों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला किसान, बीपीएल, अंत्योदय अथवा खाद्य सुरक्षा परिवारों के किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।

क्या है जैविक खेती पर राजस्थान सरकार की योजना

राजस्थान सरकार की ओर से प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना राजस्थान चलाई जा रही है। इस योजना को सॉइल हेल्थ योजना के अंतर्गत शुरू किया गया है। इस योजना के जरिये जैविक खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाता है। इसके लिए सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के माध्यम से क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण, अदानों के लिए प्रोत्साहन, मूल्यवर्धन और विपरण के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना को वर्ष 2015-16 में रसायनिक मुक्त जैविक खेती को क्लस्टर मोड में बढ़ावा देने के लिए आरंभ किया गया था। इस योजना के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान एवं आधुनिक विज्ञान के माध्यम से जैविक खेती के स्थाई मॉडल का विकसित किया जाएगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाना है। 

परंपरागत कृषि विकास योजना में सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता

इसके तहत जैविक खेती करने वाले किसानों को राज्य सरकार की ओर से 9 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर की दर से सहायता दी जा रही है। इस राशि में जैविक बीज के लिए 1500 रुपए, जैविक खाद के लिए एक हजार रुपए और हरी खाद के लिए 1000 रुपए शामिल हैं। बता दें कि अभी राजस्थान में जैविक खेती के 5 हजार कलस्टर चल रहे हैं। हर कलस्टर में 20 हैक्टेयर जैविक एरिया शामिल है।  

योजना के तहत 3 वर्षों में किसानों को कितनी मिलेगी आर्थिक सहायता

  • इस योजना के तहत क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण, आदनों के लिए प्रोत्साहन, मूल्यवर्धन और विपरण के लिए 50 हजार प्रति हेक्टेयर 3 वर्ष की के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इसमें से 31000 प्रति हेक्टेयर 3 वर्ष जैविक पदार्थों जैसे कि जैविक उर्वरकों, कीटनाशकों, बीजों आदि की खरीद के लिए प्रदान किया जाता है। इसके अलावा मूल्यवर्धन और विपणन के लिए 8800 प्रति हेक्टेयर 3 वर्षों के लिए प्रदान किया जाता है। 
  • इस योजना पर पिछले 4 वर्षों में 1197 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा चुकी है। परंपरागत कृषि विकास योजना के माध्यम से क्लस्टर निर्माण एवं क्षमता निर्माण के लिए 3 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर 3 वर्षों के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है। जिसमें एक्स्पोजऱ विजिट और फील्ड कर्मियों के प्रशिक्षण शामिल है। यह राशि किसानों के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से वितरित की जाती है।
  • इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक क्लस्टर के लिए 14.95 लाख रुपए की आर्थिक सहायता मोबिलाइजेशंस, मनूर मैनेजमेंट, एवं पीजीएस सर्टिफिकेट के एडॉप्शन के लिए प्रदान की जाएगी। 
  • 50 एकड़ या 20 हेक्टेयर के क्लस्टर के लिए अधिकतम 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। 
  • खाद प्रबंधन और जैविक नाइट्रोजन संचयन की गतिविधियों के अंतर्गत प्रत्येक किसान को अधिकतम 50 हजार की राशि प्रति हेक्टेयर उपलब्ध करवाई जाएगी। 
  • इसके अलावा कुल सहायता में से 4.95 लाख रुपए प्रति क्लस्टर पीजीएस प्रमाणन और गुणवत्ता नियंत्रण को जुटाने और अपनाने के लिए कार्यान्वयन एजेंसी को मुहैया कराए जाएंगे।

परंपरागत कृषि विकास योजना में कैसे मिलेगा किसानों को लाभ

राजस्थान में परंपरागत कृषि विकास योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास कम से कम 0.4 हैक्टेयर कृषि भूमि होनी जरूरी है। इससे कम होने पर उसी अनुपात में सहायता मिलेगी। कलस्टर (गांव और किसान) का चयन कृषि पर्यवेक्षक द्वारा बैठक आयोजित करके किया जाएगा। किसान का चयन हो जाने पर उसे कृषि पर्यवेक्षक को जमाबंदी, फोटो, आधार कार्ड, भामाशाह कार्ड, बैंक खाता संख्या आदि विवरण कृषि पर्यवेक्षक को उपलब्ध कराना होगा। आवेदन पूरा होने के बाद कृषि विभाग की ओर से भौतिक सत्यापन किया जाएगा। इसके बाद किसान के खाते में पैसा ट्रांसफर किया जाएगा।  

योजना की अधिक जानकारी के लिए कहां करें संपर्क

योजना की अधिक जानकारी के लिए किसान ग्राम पंचायत स्तर पर कृषि पर्यवेक्षक, पंचायत समिति स्तर पर सहायक कृषि अधिकारी, उप जिला स्तर पर सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) और जिला स्तर पर उप निदेशक कृषि (विस्तार) से संपर्क किया जा सकता है। 

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